Monday 13 November 2017

तेरा मेरा कच्चा रिश्ता....

तेरा मेरा  कच्चा रिश्ता यूँ ही खत्म हो गया
एक  अधूरा सा किस्सा कहीं  दफ़न हो गया
कौन करेगा यक़ीन तेरी  इस बात पर
कोई करता था मोहब्बत तुझे भी इस तरह
एक  आधी मोहब्बत का हिस्सा कहीं  गुमनाम हो गया
कर लेना तू भी याद कभी बहते आंसुओं  के सावन में
क्या सही थी तेरी पूजा अपने धर्म के आँगन में
मिले आसूं  तुझे हर हाल में फिर भी
फिर तेरे फैसले पर यह कैसा सवाल हो गया
ना तू रही ख़ुश , ना दे सकी दूसरे को ख़ुशी
फिर क्या किया तूने, यह खुद तुझसे  सवाल हो गया
एक  आधी मोहब्बत का किस्सा ख़त्म  हो गया

तेरा मेरा  कच्चा रिश्ता यूँ ही खत्म हो गया
एक  अधूरा सा किस्सा कहीं  दफ़न हो गया
कौन करेगा यक़ीन तेरी  इस बात पर
कोई करता था मोहब्बत तुझे भी इस तरह
एक  आधी मोहब्बत का हिस्सा कहीं  गुमनाम हो गया

कर लेना तू भी याद कभी बहते आंसुओं  के सावन में
क्या सही थी तेरी पूजा अपने धर्म के आँगन में
मिले आसूं  तुझे हर हाल में फिर भी
फिर तेरे फैसले पर यह कैसा सवाल हो गया
ना तू रही ख़ुश , ना दे सकी दूसरे को ख़ुशी
फिर क्या किया तूने, यह खुद तुझसे  सवाल हो गया
एक  आधी मोहब्बत का किस्सा ख़त्म  हो गया
By
Kapil Kumar

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