Tuesday 15 December 2015

नारी की खोज---6



अभी तक आपने पढ़ा (नारी की खोज भाग –1 , 2 , 3,4 और 5 में ) ...की मैंने  बचपन से आज तक नारी के  भिन्न भिन्न रूपों को देखा .......मेरे इस सफर की आगे की कहानी.....


गतांक से आगे .......

इंसानी फितरत भी अजीब है , अगर हम इंसानी फितरत को ढूंढने निकले तो शायद दुनिया के सारे जानवर भी कम पड़ जाए , क्योकि इंसान के अंदर लगभग हर  जानवर के गुण है...

उस रात हम दोनों ने खुब गप्पे की और सो गए , मैं रात भर ना जाने किस तरह के सपने देखता रहा ...अगले दिन मैं उठा तो, बहुत जोश और उत्तेजना से भरा हुआ था , आखिर इतने दिनों बाद, आज जीवन का सबसे बड़ा सपना सच होने जा रहा था ...ऐसा सोच सोच के, शरीर उत्तेजना से भरा जा रहा था .... की.... नारी का नग्न शरीर देखने में  कैसा होगा  और उसे भोगने के बाद कैसा आनंद आएगा ?


  सुबह सुबह हम दोनों उठ गए और नास्ता करने के बाद , आने वाले दिन की प्लानिंग में लग गए ।  मैंने  सोचा , यह मुझे किसी अपनी ऐसी जानने वाली , जिसके साथ इसके ऐसे सम्बन्ध रहे हैं, के  घर ले जाएगा या उसे किसी होटल में बुला लेगा  , पर ऐसा कुछ ना हुआ ।  उसने मुझसे कहा , चलो किसी से मिलते है फिर , आगे का जुगाड़ देखते है  ।  मैं भी  जोश में भरा , सुनील के साथ  घर से निकल गया ....


यूँ तो सुनील, अपने घर को गाँव  बोलता था , असल में वह एक  अच्छा खासा शहर था , शायद  गाँव  से सम्बन्ध होने के कारण, उसे घर को गावं कहने की आदत पड़ गई थी ।  रास्ते में चलते हुए मैंने  उससे पुछा , क्या हम किसी औरत या लड़की के घर जा रहे है?  इस पर   उसने हँसते हुए कहा , बॉस इतनी जल्दी  कुछ नहीं होता , अभी हम एक  दोस्त के पास जा रहे है , उसके पास ही सारे जुगाड़ होते है , अब तुम अचानक से आगये ! अगर पता रहता तो कुछ बंदोबस्त करके रखता ।    चलो अब भी कुछ न कुछ तो बंदोबस्त हो जाएगा ।  उसके इतना कहने से मेरा दिल डूबने लगा , कहाँ तो कॉलेज में यह बड़ी बड़ी ढींगे मारता था , की मैंने  ऐसे माल के साथ मजा लिया , यह किया , वह किया , अब यह कुछ ना कुछ की बात कर रहा है....


उस दिन मैंने  जाना की ... “आदमी को लेने के बाद ही उसके बारे में कोई धारणा बनानी चाहिए”....


गर्मियों के दिन थे , सूरज ने आग बरसानी शुरू कर दी थी , पर उस जोश में गर्मी भी ठंडक का अनुभव दे रही थी ।  शायद इन्सान जोश में अपने दुःख , दर्द और अन्य कमियों को भूल जाता है .....थोड़ी  देर चलने के बाद, हम दोनों एक  दुकान के पास आकर रुके  ।  सुनील को वंहा आया देख , दुकान के काउंटर के पीछे से एक  लड़का निकल कर आया और बड़े जोश से सुनील से मिला और बोला , अरे सुबह सुबह कैसे आना हुआ ?


उसने मुझे देखा और मेरी तारीफ़ पूछी ? सुनील ने मुस्कुराते हुए उसे कहा , अरे चन्दन , तुझसे बात हुई थी न , बस बॉस, उसी काम के सिलसिले में आये है.. .. उसने मुझे  देखा और बोला , अच्छा तो यह बात है और ऐसा कह दोनों ने ठहाके लगा दिए , उनके ठहाकों के बीच मैं झेंप गया और नज़रें  घुमाकर इधर उधर देखने लगा  की चन्दन मेरी तरफ मुखातिब  हुआ और बोला कितने दिन रुकने का इरादा है?.... मैं बोला बस २/३ दिन , इस बात  पर  उसने एक  आह भरी और बोला , अब इतनी जल्दी तो कुछ नहीं हो सकता , आजकल त्यौहार है, तो सब कुछ ढीला सा चला रहा है और ऐसा कह उसने अपने कंधे उचका दिए , उसकी बात सुन मेरा दिल डूबने लगा , इतनी दूर, इतनी मेहनत , पैसा और समय खर्च करके आया था .....और यह कह रहा है की कुछ नहीं हो सकता ?....


 मैंने  लगभग रूवांसे स्वर में कहा , यार मेरा तो आना ही बेकार गया , इस पर   दोनों ने  एक  दूसरे  के कान में कुछ कानाफूसी की और एक  साथ बोले , अरे नहीं , कुछ न कुछ तो मज़ा  करवा ही देंगे ... फिर  सुनील के दोस्त ने कहा, चल इसे रोनी के घर ले चलते है ,वहाँ  चल कर देखते है क्या सीन है? .... ऐसा कह उसने दुकान अपने नौकर के हवाले की और हम तीनों  रोनी के घर की तरफ चल दिए ...


जहां  शायद  नारी के  साथ मेरी  जिंदगी का पहला और अनोखा सफर शुरू होना लिखा था , जिसका मुझे अभी तक गुमान भी ना था ......


सूरज सर पर चढने  लगा था , हमारा बदन पसीने  से भरने लगा ,काफी देर पैदल चलने के बाद हम तीनो एक  फ़्लैटनुमा घर के पास आकर रुके ।  वह एक  मिडिल क्लास फैमिली का घर था , घंटी बजाने  पर एक अधेड़ उम्र की औरत ने दरवाजा खोला ,शायद वह रोनी की बीवी थी... एक  गन्दा सा गाऊन उसके शरीर को ढके भर था .....


 वह एक  ३०/३५ के करीब की, हलके सांवले रंग की युवती थी , जिसपे उम्र ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया था , उसका शरीर बेतरबी से इधर उधर फैला सा हुआ था , जो उसकी गुजर चुकी जवानी ,आने वाले कुरूप बुढ़ापे और मोटापे की मुनादी खुलेआम कर रहा था.... कहीं  से भी देखने में, उस औरत में सुंदरता या आकर्षण जैसी कोई चीज मुझे नजर नहीं आई , उसपर  वह मुरझाई और बड़ी थकी थकी  सी लग रही थी....

उसकी आँखे  ऊंधी सी थी और लगता था, वह सारी रात पीती रही और देर से सोई थी.....


हमारे घंटी बजाने पर  ही ,वह  शायद बिस्तर से ही निकल कर आई थी .... हम तीनो ने उसे गुड मॉर्निंग कहा और वह हमें इक ड्राइंग रूम में ले आई ,जिस तरह वह  हमें, घर के अन्दर लाइ , ऐसा लगता था सुनील और चन्दन का वंहा आना जान लगा रहता था ....

ड्राइंग रूम में हम तीनो इक सोफे पे पसर गए । वहां पर  बैठने के बाद, दोनों ने उससे पुछा , रोनी कंहा है ? उससे कुछ काम था , रोनी का नाम सुनते ही, उस औरत का चेहरा गुस्से  में  आगबगूला हो गया , वह अपने नथुने फुलाती  हुई बोली  .....  मैन , तुम तो जानता  है , वह कितना पीता है , अब तो किसी छोकरी संग सारी सारी रात भी गुजारता  है , एक  हम किस तरह मरखप के उसके वास्ते सब कुछ करता है और उसको अपनी वाइफ का फ़िक्र ही कब होता है ? अभी तो वह पिछले दो दिन से इधर आया भी नहीं  और ऐसा  कह वह हमारे सामने सुबकने लगी...


 बड़ी ही विचित्र स्थिति  थी , कहाँ तो मैं , इन लोगो के साथ मौज मेला करने के लिए आया था और कहाँ   यह औरत अपने घर का रोना धोना लेकर हमारे सामने बैठ गई , यह तो वही बात हो गई, की .....


 “गए थे नमाज अदा करने और रोजे गले पड़ गए” ....


उसके घर जाते वक़्त मुझे लगा था  , शायद रोनी, सुनील और चन्दन का दोस्त है और वही इन सबके लिए इनकी मस्ती का इंतजाम करता होगा... .. अब रोनी  ही घर पे नहीं तो , अब इंतजाम क्या खाक होगा? ....


 मेरा दिल निराशा से डूबने लगा......लगता था, जो जो सपने मेने संजोये थे , उनपर कहीं न कहीं  शनि बैठा था ,हर काम में कोई न कोई विध्न जैसे पड़ना लिखा ही था .....पर उस वक़्त  मुझे क्या मालुम था....की ...आज....

मुझे नारी के चरित्र का वह पहलु,  देखने को मिलना था , जो आने वाले जीवन में, नारी के चरित्र की , एक  नयी इबारत लिखने वाला था....


उन दोनों ने उसे ढांढस बंधाया और कहा , हाँ यह तो उसकी गलती है , की वह रात रात भर गायब रहता है और उसपर  नयी नयी लड़कियों के साथ ऐश करता है  ।  फिर चन्दन ने उससे पुछा , यह नयी लड़की  कौन है ?  जिसके साथ रोनी आजकल इश्क फरमा रहा है , रोनी की बीवी ने किसी का नाम लिया , जिसे दोनों ने बड़े ध्यान से सुना और अपनी मेमोरी में बिठा लिया ...थोड़ी देर बाद , जब रोनी की बीवी का रोना धोना ख़त्म हुआ तो , चन्दन  ने उसके कान में कुछ कहा और इतना कहने के बाद वह , सुनील से बोला , ऐसा है मैंने इसे समझा दिया है .... अब मुझे चलना चाहिए , दुकान छोड़े काफी वक़्त हो गया , ऐसा कह वह वंहा से रुखसत हो गया ...

अब ड्राइंग रूम में, हम तीनो बैठे थे ,जुलाई  का महीना था , सुबह के ११ बज चुके थे और कड़ी  गर्मी शुरू हो चुकी थी , ड्राइंग रूम में चलता एकलौता  पंखा किसी तरह से, हमारे पसीनो को उड़ा भर रहा था ,  की थोड़ी देर चुप रहने के बाद , सुनील मेरी तरह देखकर  बोला, मैं थोड़ी देर घूम कर आता हूँ जब तक , तुम अपना काम निपटा लो , ऐसा कह सुनील मुझे हक्का बक्का छोड़ ,फ्लैट से बहार चला गया ....


 सुनील के बहार निकलने के बाद ,हम दोनों फ्लैट  में अकेले रह गए , अब  मेने उस औरत को बड़े गौर से देखा , जितना मैं उसे गौर से देखता , मेरा दिल उतना ही बैठा जाता , वह देखने में कहीं  से भी, उस  पैमाने में नहीं बैठती थी , जिस तरह की औरतो और लड़कियों की  बाते सुनील मुझे सुनाया करता था  ।  वह बुझी बुझी सी , भारी बदन की एक  अलसाई सी औरत थी , जो थोड़ी देर पहले ही सोकर उठी थी , उसके बदन से आती पसीने की बदबू चीख चीख कर कह रही थी  ....की .... उसने सुबह का स्नान अभी तक नहीं लिया था....


सुनील के जाने के बाद , वह  और मैं वहां  रह गए , अचानक उसकी आँखे से शरारत के शोले चमकने लगे , अब उनसे आंसू ऐसे गायब थे , जैसे गधे के सर से सींग ,उसने इक बड़ी सी अंगड़ाई ली और मुझ पर एक  मस्त भरी नजर डाली , फिर उसने मुझसे से कहा अन्दर चलो ....


उसके इस बदले वयवहार से , मै जैसे जड़ सा हो गया , मुझे समझ ना आया , की अभी थोड़ी देर पहले , यह अपनी पति की बेवफाई पर  ढेर आँसू  बहा रही थी , अब यह पुरे प्रोफेशनल तरीके से मुझे बहला रही है .....
उस दिन मैंने  जाना ...की .....


 “वक़्त के साथ , रंग बदलने की कला , गिरगिट ने , जरुर किसी नारी से ही सीखी होगी”.....


वह  मुझे, अपने साथ फ्लैट के  बैडरूम में ले गई , मैं डरता और कांपता हुआ उसके साथ हो लिया , मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था ....अब मुझे समझ आ रहा था ...की...


 नारी के बारे में पढ़ना और डिस्कस  करना, एक  अलग  बात है पर उसका भोग करना दूसरी बात.......


जिसके बारे में सोचने भर से मेरा कंठ सूखने और शरीर तनाव से कांपने लगा , एक  तरफ मेरी मर्दानगी मुझे चुनौती दे रही थी , तो दूसरी तरफ , घबराहट मेरे जिस्म की परीक्षा ले रही थी , दोनों की लड़ाई में ,मेरा शरीर, पसीने पसीने हुआ जा रहा था....


उसके बेडौल  शरीर और निकलते पसीने की बदबू से ,मुझे मितली सी आ रही थी , पर उस वक़्त नारी का शरीर, मेरी इच्छाओं  और सपनों पर  भारी हो गया , आखिर, वह उस वक़्त, दुनिया का वह  अजूबा थी ... जो....


 “किसी भी मर्द की मर्दानगी को ठंडा करने या किसी लड़के को मर्द बनाने की कुव्वत रखती थी” ...


यह और बात थी की ,उसके रंग-रूप और शरीर मे , मेरे लिए , किसी भी तरह का आकर्षण नहीं था ....


डर और रोमांच से मेरा दिल जोर जोर से धडक रहा था , किसी औरत के साथ अकेले होने का यह मेरा पहला अवसर था ....मैंने  उसे ऊपर से नीचे  देखा और अपना जी कड़ा करके कहा ... क्या तुम कुछ मेकअप वगैरह  नहीं करोगी ?....


कई बार किसी खास बाजार से गुजरते हुए, मैंने  धंधे वाली औरतो को देखा था , वो सब बहुत ही गहरे से मेकप में होती थी और फिल्मों में भी धंधे वालियों को गहरे मेकअप में ही दिखाया जाता था ..मैंने  मन में सोच ...अरे ... यह तो नहाईं धोई भी नहीं है और उसपे इस गंदे से गाऊन को ही पहने हुए है , उसने मेरी बात को सुन मजाक में उड़ा दिया और बोली , "अरे मैन”... कैसा मेकअप?


“तुम हमको फ़क करना मांगता है की हमारी फोटो खीचना ?".....


फिर उसने ,मेरा दिल रखने के लिए ,अपना चेहरा, दरवाजे पर  लटके, एक  परदे से रगड़ कर कहा , चलो अब तो चेहरा साफ़ हो गया और ऐसा कह उसने अपना गाउन निचे सरका दिया ....


 उसके गाउन का नीचे  गिरना था , की उसका शरीर अपनी प्राकृतिक अवस्था में आ गया..... आज जीवन में पहली बार किसी नारी को इतने करीब से प्राकृतिक अवस्था में देखना नसीब हुआ था....


उसके नंगे बदन को देख ,मेरा शरीर उत्तेजना में काँपने  लगा , जहां  थोड़ी देर पहले, उसे देखने भर से , मुझे मितली  आ रही थी , अब खाली शरीर देखने भर से , मेरा शरीर तनाव में अकड़ने लगा , उसने मुझे इक गहरी कामुक नजर से देखा... जैसे कोई भेड़िया, मेरे जैसे नए मेमने को हजम करने की चाहत में हो , उसकी सांस ,सेक्स के आवेग में तेज तेज चलने लगी और मैं जन्म जन्म का भूखा , उस सड़े मॉस के लोथड़े को खाने के लिए बेहाल हुआ जा रहा था ....


वह   मेरे करीब सरक आई , मैं भी, उसके शरीर के पसीने की बदबू और  बेतरबी से फैले मोटापे की परवाह किये बिना उससे लिपट गया ....मेरी हालत उस आदमी की तरह थी ...


“जो थोड़ी देर पहले एक  गंदे नाले को देख नाक मुंह सिकोड़  रहा था , अब अपनी, प्यास बुझाने के लिए उसमे ही कूदने को बेताब था”....


आदमी की फितरत भी अजीब है , वह  अपनी मर्दानगी की प्यास बुझाने के लिए ,किस हद तक, किसी गंद में गिर सकता है , उसका पता उसे गिरने के बाद ही चलता है ?.....


उसके शरीर से लिपटा ही था , की उसके शरीर से पसीने की बदबू का एक  झोका आया , जिसने मेरे अरमानो को डिगाने की एक  असफल कोशिस की , पर मैं भी उसके शरीर से लिपटा , उसके उभारो को बेतरबी से मसलने और चूमने लगा ...


उसने मुझे अपने करीब खिंचा और बिस्तर पर  अपने साथ धकेल लिया ...मैंने एक  ही झटके में अपने सारे कपडे अलग कर दिए और उससे लिपटता  गया ...  बिस्तर  पर  लिपटे हम दोनों को , अभी , मुश्किल से कुछ सेकंड ही हुए थे , की कमरे में चलता हुआ पंखा , झटके से रूक गया... गर्मियों के दिन थे , उसपर वह सुबह से नहाईं भी ना थी , अब बिजली भी चली गई , उसका शरीर पसीने से लथपथ हो चूका था , इतना सब होने के बाद भी , मैं जैसे, उसके शरीर को छोडना ही ना चाहता था , उसके मुंह  से अब मीठी मीठी सितकारे निकलने लगी थी ....


अचानक मेरा शरीर पसीने से भर उठा और मुझे अब, उसे छुने भर से उबकाई आने लगी , शायद मैंने  अपनी मंजिल , बिना सफर की शुरुवात किये ही पा ली थी ... मैं बिस्तर से उठकर , कमरे में खड़ा हो गया और बोला , इतनी गर्मी में तो , यह सब मुझसे ना हो सकेगा?


उसका शरीर भी, पसीने से सरोबर हो चूका था , वह  ऐसे ही लेटी रही और मेरे नंगे शरीर का मुआयना करते हुए बोली , मैन , लगता है तुमको अभी कुछ और वक़्त मांगता है ....


मैं अपनी झेंप को मिटाते हुए बोला , हाँ इतनी गर्मी में , मुझे तनाव नहीं हो पा रहा , शायद गर्मी और घबराहट से ऐसा हो रहा है , मेरा तो यह पहला टाइम है ... उसपर  उसने हँसते हुए कहा , कोई बात नहीं , अभी और कोशिस करो , शायद यह तैयार हो जाये ... उसके सामने मैंने  कई बार असफल कोशिस की , पर वह  होना नहीं था , क्योकि , मैंने  अपनी सारी मर्दानगी तो ,पहले ही उसके बिस्तर पे खाली कर दी थी ....अब उसमे ऐसा कुछ शेष ना था , जो मुझे द्वारा से इतनी जल्दी जोश दे पाता ...


तभी बहार से सुनील की आवज आई , बॉस हो गया क्या ? मैं बोला यार , यहां तो गर्मी की वजह से कुछ हो ही नहीं पा रहा , वह  भी बिस्तर से उठ गई और उसने गाउन को अपने शरीर पर डाल लिया ...


तभी सुनील का कमरे में प्रवेश हुआ , उसने देखा, कमरा गर्मी और हम दोनों के पसीने की बदबू से बेहाल था ... वह  बोला , लगता है बिजली आने तक रुकना पड़ेगा ,इस कमरे में तो कुछ होना मुमिकन ही नहीं , लगता है अभी तक कुछ हुआ ही नहीं है ?


अचानक रोनी की बीवी की नजर बिस्तर पे पड़ी  और वह  जोश में बोली , नो मैन , डिस्चार्ज तो हुआ है , उसने बिस्तर पर  पड़े, एक  बड़े से धब्बे की तरफ इशारा किया , बेड को इधर से ! देखो मैन.......


अब , इसके आगे, किसी को कुछ कहने या सुनने  की कोई जरूरत नहीं पड़ी , सुनील ने उसके कान में कुछ कहा और बोला , अच्छा बाद में देख लेंगे और ऐसा कह हम दोनों, उस फ्लैट से बहार आ गए ....


मेरी हालत अजीब थी , कल तक जो बड़ी बड़ी बाते करता था , दुनिया जहां  के उपदेश लोगों को देता था , लोगो की सेक्स समस्याओ के हल देता था ,आज वह  अपनी बारी आपने पर  , पहले ही राउंड में , पहले ही पंच पर  नाक आउट हो गया था  ...


रास्ते में सुनील ने मुझे हौंसला  देते हुए कहा , बॉस चिंता की कोई बात नहीं , पहली पहली बार, सबके साथ ऐसा ही होता है , मुझे पता  था , वह  जो कह रहा है , ठीक है ...पर .. दिल था की मानता ही नहीं था ...वह  बार बार एक  ही बात अपने आप से कहता था ...की ....


“घोड़ियो के बारे में किताबी जानकारी लेने से , कोई भी घुड़सवार नहीं बन जाता”


और उस दिन तो , मुझे तो घोड़ी ने ,अपने ऊपर चढने से पहले ही, नीचे  गिरा दिया था......


क्रमश :......

By
Kapil Kumar


Note: “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is purely coincidental.' ”

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