Friday 13 November 2015

जय हो बाबा की !




कपिल इक माध्यम वर्ग का आम सा इन्सान था ...जो दिन रात मेहनत करता पर उसकी गृहस्थी का बोझ उसे दिन रात धोबी के गधे की भांति अपने चक्रवियूह में उलझाये रखता ...कभी बीवी की फरमाइश तो कभी बच्चो के शौक पुरे करते करते ..उसकी तनखा ..महीने ख़त्म होने से पहले ही रेगिस्तानी बारिश की तरह हवा हो जाती ...अपने बारे में सोचने की ना तो उसे फुर्सत मिलती ना ही इतनी उसकी हिमाकत थी की ..वोह बीवी और बच्चो को ना कह अपनी मन की कुछ कर ले ...

कहते है अति का अंत बुरा ही होता है ..इक दिन ऑफिस में किसी बात पे अपने बॉस की झाड़ खाने के बाद दुखी और विषाद सा मन लिए घर पहुंचा ..सोचा की घर जाकर आराम करके ..थोडा मन को बहला लेगा ....कडकती गर्मी के दिन थे और सरकारी नलों में पानी राशन के तेल की भांति रिस रहा था ...कपिल का हाल गर्मी से बेहाल था ..उसमे इतना धैर्य ना था ..की बाल्टी के भरने का इंतजार करता ..उसने बाल्टी उठाई और पास वाले नगर निगम के नल से पानी भरने निकल पड़ा ...किसी तरह हांफता ..वोह बाल्टी भर पानी अपने घर लाया और इसे बाथरूम में रख तौलिया और कपडे लेने के लिए कमरे में चला गया ....

कमरे से अपने कपडे ले जब वोह वापिस लौटा तो देखा बाथरूम का दरवाजा बंद है ..उसने आवाज लगाई तो अन्दर से उसकी बीवी की आवाज आई ...मेने बाल्टी का पानी ले लिया है दूसरी भर लाना ..मुझे बड़ी गर्मी लग रही थी ..कपिल का दिल जल कर खाक होगया ...ऑफिस से थके मांदे आये आदमी का ऐसा स्वागत ...उसे अंदर कंही हिला सा गया ..उसने सोचा चलो इक बाल्टी पानी पे क्या सर फोडू ..तो बीवी से बोला ..कुछ खाने के लिए बनाया है क्या ?

कपिल की बीवी ने अंदर से आवाज लगाई...अभी कुछ नहीं बनाया है सुबह के कुछ दाल चावल है ..उसे गर्म करके खा लो ..अपने मन को मसोस कपिल किचन में गया तो देखा ...वंहा तो सारे बर्तन खाली पड़े थे ...तभी उसकी नजर बगल के कमरे से आती आवाज पे पड़ी ..जन्हा उसका लड़का बैठा अपने दोस्त से गप्पे हांक रहा था ..और उससे पूछ रहा था ..की अगर भूख लगी है तो उसकी मम्मी कुछ और बना कर खिला देगी ..तब तक वोह इन दाल चावल से अपना काम चला ले ....

माँ तो माँ और बेटा तो बेटा.... यहाँ तो सब इक से बढ़ कर इक थे ...भूख , गुस्से , विषाद और थकान से बेहाल कपिल आज जैसे उखड़ सा पड़ा ..उसने चिल्ला कर  अपनी बीवी से कहा ...कितनी देर में खाना बनाओगी?..उसके चिल्लाने की आवाज से भोचंकी ..कपिल की पत्नी ने गुस्से में जवाब दिया ...आज कुछ नहीं बन्ने वाला ..जाकर बाहर खाकर आजाओ ....

ऐसा ना था उसके साथ ऐसा वयवहार आज पहली बार हुआ था ...पर ना जाने क्यों आज उसके मन ने विद्रोह का बिगुल बजा दिया ....
दुखी और गुस्से में भरा कपिल ना जाने क्या सोच कर घर से बहार निकल गया ...गुस्से और निराशा से उसका सर घुम रहा था ..उसकी रही सही भूख जैसे मर सी गई थी ...वोह इधर उधर यूँही  टहलने लगा ...अब उसे ना तो कुछ खाने की इच्छा हो रही थी ना ही उसका मन घर जाने को हो रहा था...भटकते भटकते उसे सामने मेट्रो स्टेशन दिखाई दिया ... बिना किसी सोच विचार के वोह मेट्रो स्टेशन के अन्दर घुस गया .......
इन्सान का मन और चरित्र भी अजीब पहेली है ...वोह कितने बड़े बड़े त्याग अपनी मर्जी से कर दे ....पर कभी कभी थोड़ी सी नाइंसाफी उसके अन्दर इक अजीब सा जूनून भर देती है ...जिसका अंत सिर्फ निराशा और दुःख में होता है ....

उसका मन हुआ की आज ट्रेन के सामने कूद सारे लफ़डो और रोज रोज की कीच कीच से छुटकारा पा लू ....पर यह इतना आसन ना था ...अभी वोह कुछ फैसला लेता की ....भीड़ का रेला आया और उसे अपने साथ डब्बे में ले गया.....

ट्रेन कंहा गई और कितने स्टेशन घूमी कपिल को तनिक याद भी ना था ..उसका बैचेन मन बार बार अवसाद और विषाद की पीड़ा से भर उसे निराशा की गिरफ्त में जकड़े थे ...
इस वक़्त उसकी सामाजिक और व्यक्तिगत प्रतिष्ठा संज्ञाशून्य हो चुकी थी ..उसके मन की मथनी सिर्फ रह रह कर गत में उसपे हुए नाइंसाफी के छाछ को बिलोने का काम कर रही थी और उसके मथने से सिर्फ क्रोध और अवसाद आकर अपने आकार को बढ़ा रहा था ...    

कब रात के १२ बजे उसे पता भी ना चला ..मेट्रो अपने रात के पार्किंग स्टेशन पे आकर खडी हो गई ..अचानक इक छपाक की आवाज हुई और मेट्रो में अंधरे छा गया ....जब तक मेट्रो में चहलपहल और रौशनी थी ..कपिल अपने मन के अंधरे में डूबा अपने को अकेला महसूस कर रहा था ..अब अचानक अंधरे और सन्नाटे ने उसे अन्दर से झिंझोडना शुरू कर दिया …..

इन्सान का दुःख-दर्द और आशा-निराशा उसे तब तक परेशान करते है जब तक यह  पापी पेट भरा होता है...जैसे ही इनकी सहन शक्ति ख़त्म इन्सान का विषाद, क्रोध और दुःख छू मंतर हो जाता है...

कपिल की भूख और प्यास जो अब तक शांत पड़े थे अचानक अपना दैत्य रूप धारण कर उस के ऊपर मंडराने लगे.....
कंहा थोड़ी देर पहले कपिल को यह सुध भी ना थी की वो क्यों चला और कंहा पहुँच गया ..अब उसे अकलेपन और अँधेरे का डर सताने लगा ....उसने हिम्मत कर मेट्रो के दरवाजे को खोला ..पर वोह इतना आसान ना था ...भूखा प्यासा , थका हारा ..कपिल किसी तरह जी तोड़ कोशिस कर ...मेट्रो के डब्बे के दरवाजे को खोलने लगा ..थोड़ी ही देर में उसका शरीर पसीने से तर बतर हो गया ..साँस थी की धोकौनी की भांति चल रही थी ....उसका क्रोध और विषाद अब कंही गुम हो चुके थे ...उसे किसी तरह इस डब्बे से बहार निकल अपने पेट की भूख और गले की प्यास को शांत करना था ...

शायद इन्सान की जिन्दगी में तनाव , निराशा और अवसाद तभी जन्म लेता है ...जब उसकी जिन्दगी आसान होने लगती है ...कठिनाइयों में जूझते आदमी को इतना वक़्त ही कंहा होता है ..वोह इनकी परवाह करे ...

काफी जोर आजमाइश करने के बाद कपिल दरवाजे को थोडा सा खोने में कामयाब हो गया ..उसने किसी तरह से अपने शारीर को समेट कर दरवाजे के बहार निकल तो लिया ..पर वंहा तो कोई प्लेटफ़ॉर्म ना था ...किसी तरह लटकते हुए डब्बे से उसने अपने हाथ छोड़े तो वोह धडाम की आवाज के साथ ...पटरी के पास पड़ी पत्थर की रोडियो पे जा गिरा ......गिरने से उसका शरीर कई जगह से छिल गया और उनसे हल्का से खून रिसने लगा ...
कंही और वक़्त होता तो उसे अपने शरीर के इन मामूली जख्मो से बहुत दर्द होता..पर उस वक़्त उसे इन सब की परवाह ना थी ..वोह अपनी इस विजय पे मंद मंद मुस्कुरा रहा था ....

किसी तरह कपिल अपने शरीर को घिसट पिसट कर उस ट्रेन यार्ड से बहार लाया ....पर अब मुसीबत थी की जाए तो जाए कंहा ....गुस्से और तैश में आकर उसने घर तो छोड़ दिया, बिना यह सोचे की वो कंहा और क्यों जा रहा है?...उसके पास सेल फोन भी ना था की ..किसी मदद को बुला ले ..यार्ड से बहार निकल कर देखा तो इक कच्ची सी सडक उसे नजर आई ...उसपे चलते चलते थोड़ी देर बाद ..उसे इक चमकती सी रौशनी दिखाई दी...वोह रौशनी की दिशा की और बढ़ गया ....

किसी तरह कपिल गिरता पड़ता ..उस रौशनी के पास पहुंचा ...उसकी किस्मत भी इक अजीब खेल खेलने के लिए तैयार बैठी थी ....जन्हा से रौशनी छलक कर आरही थी ...वोह इक पुराना और बेजान सा मंदिर था ...जिसकी इक कोठरी नुमा कमरे से किसी के खासने की आवाज रही थी ....

किस्मत का खेल भी अजीब निराला था ...कंहा भगवान और जजमान से दूर रहने वाला कपिल ...जो अपने जीवन में घोर नास्तिक था ...आज उस पत्थर की मूरत के घर में शरण लेने को मजबूर था .....

कपिल ने कांपते हाथो से मंदिर के कमरे के दरवाजे पे लगी सांकल को बजा दिया ....कंही दूर से इक लडखडाती और कांपती सी आवाज आई ....
कौन है भाई ..इतनी रात को मंदिर से क्या लेने आये हो ...मंदिर के कपाट बंद हो चुके है ..अब कल सुबह आना ....
कपिल के पास इनती ताकत ना थी ..की वोह आवाज को पलट कर जवाब दे सके ...उसके कांपते हाथ ...कमरे की सांकल को जोर जोर से बजाने लगे....मंदिर के पुजारी को मज़बूरी में अपनी चारपाई से उतर कमरा खोलने आना ही पड़ा ...पुजारी मन ही मन कपिल को हजार गाली और बद्दुआ दे रहा था ...पर सिवाय अपना मुंह गन्दा करने के उसके पास और कोई चारा ना था ....

जैसे ही पुजारी ने दरवाजा खोला ...कपिल लड़खड़ा कर जमींन पे गिर पड़ाजमींन पर पड़े कपिल के मुंह पे पुजारी ने पानी के कुछ छींटे मारे तो उसे होश आया ..और होश में आते ही उसने पुजारी से कुछ खाने और पिने के लिए माँगा.... ....पुजारी के पास कुछ प्रसाद के फल थे जो उसने कपिल को दे दिए ...उन्हें इक ही झटके में कपिल चट कर गया ..और देखते ही देखते मंदिर के फर्श पे ढेर होकर खर्राटे भरने लगा ....

रात का तीसरा पहर चल रहा था ...पुजारी भी ज्यादा पूछ ताछ करने के मूड में ना था ..उसने भी अपनी लाठी सम्भाली और कमरे में आकर सो गया ...सुबह सुबह जल्दी से उठ पुजारी ने नींद में सोये कपिल को जगाया  और बोला ..अब मंदिर खुलने का वक़्त होने वाला है ..तुम अपने घर जाओ ....

पुजारी की बाते सुन कपिल को आभास हुआ ..उसने कितना बड़ा कदम उठा लिया है ..उसे घर की चिंता सताने लगी ..पर जैसे ही उसे अपने बीवी और बच्चो का ख्याल आया ..उसका मन वित्शणा से भर उठा ...वोह पुजारी से गिडगिडाते हुए बोला ...महाराज मेरा इस दुनिया में कोई नहीं ....कल सडक दुर्घटना में मेरा सब कुछ लूट गया ....मैं किसी तरह बच गया ....मेरे पास तो अब कुछ भी नहीं कैसे वापस अपने घर जाऊं ?

उसकी हालत और घावों को देख पुजारी को उसपे दया आगइ और उसने कपिल को दान में आए कुछ वस्त्र ..जिनमे इक कुरता, बनियान और धोती थी उसे पहनने के लिए  दे दी  और उससे बोला ..तुम पहले नहा धो लो ..फिर कुछ खा पीकर अपने घर चले जाना ...मैं तब तक पूजा पूरी कर लू ...मुझे किस तरह का व्यवधान ना देना ...ऐसा कह पुजारी मंदिर के अन्दर वाले कमरे में पूजा करने चला गया ...

कपिल नहा धो कर आया और मंदिर के आंगन में मूर्तियों के पास बैठ गया...अचानक ना जाने उसे क्या सुझा उसने इक बड़ा चंदन का तिलक अपने माथे पे लगा लिया और वंहा राखी रुद्राक्ष की माला अपने गले में डाल ली ....अब वोह देखने में किसी मंदिर का पंडा सा नजर रहा था ..जब उसने अपनी सूरत आइने में देखि तो वोह खुद अपने को पहचान ना सका .....

लगता था उस मंदिर में लोगो का आना जाना बहुत कम होता था ...सूरज चढ़ने लगा था ..पर अभी तक कोई भक्त मंदिर में दर्शन करने के लिए नहीं आया था ...यूँही समय काटने हेतु ..वोह मंदिर के आंगन में चहल कदमी करने लगा ....
तभी अचानक ..इक कार मंदिर के दरवाजे पे आकर रुकी ...उसमे से कोई सेठ अपनी पत्नी के साथ उतरा और कपिल की तरफ बढ़ गया ....

कपिल के पास जा कर सेठ ने दोनों हाथ जोड़ उसे नमस्कार किया और बोला ...पंडितजी ..बड़ी दूर से आए है ..इस मंदिर की बड़ी महत्ता सुनी है ..की यंहा से कोई खाली हाथ नहीं जाता ..मेरी पुत्र वधु इस बार पेट से है ..पिछले कई प्रयासों में वोह माँ  और मैं दादा ना बन सके ...इस बार ..बड़ी उम्मीदों से यंहा आया हूँ ...की मेरे घर में इस बार मेरा कोई वारिश जरुर आये ....ऐसा कह सेठ और उसकी पत्नी कपिल के पैरो में गिर गए ....

उनको अपने पैरो में गिरा देख कपिल सकपका गया ...उसकी समझ में कुछ ना आया ....की वोह उन्हें क्या कहे और क्या ना कहे ..उसने उन्हें उठाते हुए कहा ...धीरज रखो ..सब ठीक हो जाएगा ..कपिल की बात सुन सेठ का होसला थोडा सा बढ़ा और वोह हाथ जोड़कर बोला .....महाराज इतनी और कृपा कर देते ... अगर बता दे  ....की ....मेरे घर लड़का होगा या लड़की ?

कपिल को कुछ ना सुझा इस सवाल का वोह क्या जवाब दे ...उसने आधे अधूरे मन से कहा ...क्यों व्यर्थ में परेशान होते हो ...लड़का हो या लड़की ..तुम्हे दोनों ही ख़ुशी देंगे ..और ऐसा कह कपिल ने मंदिर की मूर्ति के पास रखे कुछ फूल उठा कर सेठ को दे दिए......

सेठ अपने साथ लाये फलो को मंदिर में चढ़ा और प्रसाद में फूलो को अपने हाथो में भर ख़ुशी ख़ुशी वंहा से लौट गया ....उसके जाने के बाद कपिल ने इक गहरी सास ली ... मंदिर का पुजारी दूर से यह तमाशा देख रहा था की ... कैसे कपिल ने सेठ को दिलासा देकर ख़ुशी ख़ुशी वापिस भेजा था .....

पुजारी बोला ...लगता है तुम्हारे आने से इस मंदिर में रोनक आगई है ...आज बहुत सालो बाद कोई धनवान इस मंदिर की चोखट पर आया ....अगर तुम कुछ दिन यंहा रुकना चाहो तो रुक सकते हो ....ना जाने वंहा के माहौल में क्या कशिश थी ..की कपिल का मन अपने घर और पुराणी जिन्दगी में वापस जाने का ना हुआ ...उसने पुजारी का धन्यवाद दिया और बोला ...पर आपके पा सोने के लिए तो बस इक ही कमरा है ..मैं कहाँ सोऊंगा ?
पुजारी उसकी इस बात पे जोर से हंसा और बोला अरे ...मंदिर के अन्दर कई सारे कमरे खाली पड़े है ..उनमे तख़्त भी है ...बस थोडा साफ़ कर लो और मजे से रहो ...कपिल पुजारी की बात सुन झट इक कमरे की साफ़ सफाई में लग गया ....

उधर सेठ जब घर पहुंचा तो ..उसका लड़का दरवाजे पे ही खड़ा मिल गया ..वोह अपने पिता के चरण छु कर बोला ...पिताजी आप दादा बन गए ...अभी कुछ देर पहले हमारे घर लक्ष्मी ने जन्म लिया ...सेठ उसकी बात सुन आधे मन से खुश हुआ ..वोह सोच रहा था कांश लड़का हो जाता तो इस खानदान को वारिस मिल जाता ?

पर सेठानी तो इस खबर को सुनकर फूली ना समाई और बोली ..बेटा ...मैं और तेरे पिताजी अभी इक पहुंचे हुए बाबा का आशीर्वाद ले कर आए है ....अभी सब अपनी ख़ुशी में मशगुल थे की ...घर में फोन की घंटी बजी .....सेठ ने लपक कर फोन उठाया .....उधर से आती आवाज सुन उसका ..मुंह खुला का खुला रह गया ...उसके चेहरे पे विचार आकर जैसे थम से गए ...उसकी यह हालत देख सेठानी और उसका लड़का घबरा गए ....वोह सेठ से हड़बड़ी में पूछने लगे किसका फोन था ? और क्या बात है जो आप कुछ बोल नहीं पार रहे ?...सेठ ने फोन पे कुछ कहा  और आकर सोफे पे धस गया....

सेठानी और लड़का घबराये से उसके पास आकर खड़े हो गए ..सेठ ने इत्मिनान की इक साँस ली और बोला घबराने की कोई बात नहीं ..बल्कि ख़ुशी की बात है ..दामादजी का फोन आया था ...उन्हें बेटा हुआ है .... हम नाना बन गए ...सेठानी तुम नानी और बेटा तुम मामा....आजतक  इतनी सारी ख़ुशी इक साथ इस घर में कभी नहीं आई ...हमने तो अपनी बेटी की तरफ से आस ही छोड़ दी थी ...की उसके बेटियों के बाद कभी बेटा भी होगा ....सब कुछ मंदिर वाले बाबा का कमाल है...सेठ अपने बेटे से बोला......आज जब हमने उनसे पुछा की हमारे घर बेटा आएगा या बेटी ..तो उन्होंने कहा था ....की लड़का हो या लड़की ..तुम्हे दोनों ही ख़ुशी देंगे..और हैरानी की बात है ..हमें दो दो ख़ुशी मिली ...कल हम सपरिवार जाकर उन्हें अपने घर आने का निमंत्र्ण देंगे ......

किस्मत भी इक अजीब पहेली है...जितना सुलझाओ उतना उल्जे और जितना उलझाओ ...उतना सुलझे .....
कहाँ जिसको अपने घर में मुखिया होने के बावजूद भी इज्जत ना मिलती थी ...जो ऑफिस में काबिल होने के बाद भी प्रमोशन के बदले झिडकी खाता था आज उसका नसीब उसे दुसरे ही किनारे लेकर जा रहा था .....

शाम का वक़्त था ..कपिल और पुजारी बैठे ...अपने अपने जीवन के दुर्दिनो की यादो को खंगोल रहे थे ....की ..अचानक मंदिर के सामने कुछ गाड़ियाँ आकर रुकी ...दोनों हडबडा से गए ...उस मंदिर में यदा कदा आस पास के गावं के कुछ लोग ही आते थे ...जो थोडा बहुत अनाज मंदिर में चढ़ा जाते ...जिससे पुजारी की दो वक़्त की रोटी किसी तरह चल जाती थी ...   
 सेठ सपरिवार कार से उतरा और सारा परिवार कपिल के चरणों में नतमस्तक होगया ...यह नजर देख पुजारी की आँखे चोधियाँ गई ..उसे समझ ना आया ..की इस कल के अनाड़ी में ऐसा क्या जादू है जो ..इतना बड़ा आदमी ..इसके आगे झुक गया ....वोह बड़े अचरज से यह तमाशा देखने लगा ...

सेठ कपिल के पैर पकड़ बोला ..महाराज आपकी कृपा से मेरे पुत्र आयर पुत्री को मनपसंद संतान की प्राप्ति हुई ..आपक कृपा हमारे घर ..पधार कर उन्हें आशीर्वाद दे ....कपिल की हालत अजीब थी ..वोह किंकर्तव्यविमूढ़ सा बना सेठ को सिर्फ देखता भर रहा ....सेठ अपने साथ बहुत सारे वस्त्र ,फल और अनाज लाया था ...जो उसने कपिल के चरणों में रखवा दिये ..कपिल कुछ ना बोला उसकी जुबान को जैसे लकवा मार गया था....इतना सारा साज सामान देख मंदिर के पुजारी की आँखे चोधियाँ गई ...
उसने सेठ के कंधे को थपथपाते हुए कहा ...आप निश्चिन्त रहे ..गुरूजी आपके यंहा जरुर दर्शन देंगे ...इस रविवार को आप आकर उन्हें ससम्मान ले जाए ...
पुजारी की बातो से सेठ का मन मयूर नाच उठा ...उसने इक बड़ी राशि दान के रूप में पुजारी को भेंट कर वंहा से विदा ली ....

कपिल यह सब देख आश्चर्य और उलझन के भवंर में डूबा जा रहा था ...पुजारी ने उसे झिंझोड़ा और बोला ...बरखुरदार ...जिस दिन का इंतजार करते हुए मेने अपनी तमाम उम्र बीता दी ..वोह आज तुम्हारे आने से सार्थक होती नजर रही है ...लगता है लक्ष्मी और सरस्वती दोनों ही इस मंदिर में स्थापना के लिए प्रेवश ले चुकी है ...

देखते ही देखते ..उस पुराने मंदिर में भक्तो का आना जाना शुरू गया .... पुजारी .. दिन भर मंदिर में आए भक्तो के साथ पूजा पाठ में लगा रहता और कपिल इन सबसे दूर इक पेड़ की निचे एकांत में ध्यान लगा कर बैठ जाता ..उसे वंहा की ताज़ी हवा और शांति में इक सकून मिलता......

सब गुरु कपिल के दर्शन के लिए लालायित रहते ...पर पुजारी पुराना घाघ था ..वोह किसी से भी कपिल को मिलने ना देता...कपिल की रहस्यमयी छवि लोगो में और उत्सुकता जगाती और नयी नयी अफवाहों को जन्म देती ... ....लोग दूर से ही उसे प्रणाम कर तरह तरह की भेट पुजारी को सोंप कर चले जाते .....

कुछ दिन बाद रविवार का दिन आया ...कपिल और पुजारी सेठ के न्योते को लगभग भूल चुके थे ...इक विदेशी कार मंदिर के प्रांगण में आकर रुकी ..सेठ का लड़का उसमे से निकला और कपिल के चरणों में लेट गया ..कपिल को उसकी इस  हरकत से बड़ी शर्मिंदगी लग रही थी ....उसने उसे उठाया और अपने पास वाले आसन पे बैठा लिया ...लड़का हाथ जोड़ विनीत स्वर में बोला ...गुरूजी ..पिताजी ने आपको लाने के लिए भेजा है ...वोह आपके स्वागत की तैयारी में वयस्त है ..कृपा आप मेरे साथ चल कर हमारे घर को पवित्र करे .....
कपिल कुछ ना बोला ..उसे समझ ना रहा था ..की वो क्या कहे ....उसकी चुप्पी सेठ के लड़के को अंदर ही अंदर बैचेन किये जा रही थी ...वोह दोनों हाथ जोड़ कपिल के आगे खड़ा हो गया ....  
जब काफी देर हो गई और कपिल ने कुछ ना कहा तो ..पुजारी ने लड़के के कंधे को थपथपाते...हुए कहा ...गुरूजी थोड़ी देर में ध्यान ख़त्म करके तुम्हारे साथ चलेंगे ...तब तक तुम मंदिर के बहार इंतजार करो ....उसके बहार जाने के बाद ..पुजारी ने कपिल को कहा ..तुम बार बार कहाँ खो जाते हो ..चलो ऐसा मौका जीवन में बार बार नहीं मिलता ...उसने सेठ दुवारा लाये कुछ वस्त्र कपिल को दिए और बोला जल्दी से पहन लो ...वैसे ही काफी देर हो चुकी है ....

किसी ज़माने में जिन विदेशी कारों को देखने की हिमाकत भी कपिल की ना होती थी ...आज वोह उस तरह की आलिशान गाडी में इक विशेष मेहमान की भांति बैठा हुआ जा रहा था ...कपिल के मंदिर में आने से पुजारी की किस्मत का भी वोह दरवाजा खुला ...जो शायद उसने सपने में भी ना देखा था ...दोनों आँखे बंद उस शानदार गाडी के हसींन सफ़र के आनन्द में डूब गए ...

इक महलनुमा घर के आगे आकर गाडी रुकी ..सेठ दरवाजे पे ही खड़ा था और कपिल को देखते ही बड़ी श्रधा से उसके पैरो में झुक गया ...उसको ऐसा करता देख घर के हर सदस्य उसके पैर छुकर आशीर्वाद लेने लगे ...कपिल बस चुपचाप खड़ा था ..पुजारी इक इक करके लोगो को हटाता और उन्हें ..खुश रहो .....सुख और शांति का निवास हो ..कह कर कपिल से दूर हटाता जाता ....

दोनों घर के अंदर इक सजे हुए आसन पर विराजमान हो गए ....सब बड़ी हसरत भरी निगाहों से कपिल को देख रहे थे की ...गरूजी कुछ तो बोले ...पर अपने दैनिक जीवन में इतना बातूनी कपिल जैसे इतने बड़े सम्मान और सत्कार के बोझ तले ऐसा दबा की ..उसे कुछ बोलते ना बन रहा था ...
कपिल की चुप्पी घर के सदस्यों के मन में उसके प्रति आकर्षण बढ़ा रही थी .....इक सामान्य सा इन्सान शांत और सम्मान के आवरण से ढक...इक विलक्ष्ण इन्सान में परिवर्तित हो चूका था....कपिल इक अधेड़ उम्र का इन्सान था ...उसकी उम्र आम बाबाओ और गुरुओ की भांति ना थी ...इसलिए घर की स्त्रियों में वोह ज्यादा कोतहूल का विषय था ...सब उसकी इक झलक के लिए लालायित हो रही थी ...कुछ को उसमे इक आशा की किरण दिख रही थी ...जिन्हें अपने जीवन में निराशा और अकेलापन घेरे था ...कुछ जिन्हें जीवन में किसी चीज की कमी थी उन्हें कपिल के अन्दर इक मर्द दिखाई दे रहा था ....

घर के सब सदस्य कपिल को देख अति प्रसन्न थे ..पर सेठ का दामाद ...ना जाने क्यों कपिल को बार बार घूर कर देख रहा था ..वोह किसी बाबा या गुरु पे विश्वास ना करता था ....उसने कपिल का इम्तिहान लेने का फैसला किया ...

वोह उसके पास गया और बोला गुरूजी ..आप तो सब जानते है ...मुझे भी इक समस्या है? ..कृपा आप उसका समाधान करे और ऐसा कह उसने अपनी तीखी नजरे कपिल के चेहरे पे गडा दी...
उसकी नजरो की चुभन से कपिल अन्दर से विचलित होने लगा ...पर उसने अपना धीरज ना खोया ..उसे चुप चाप देख पुजारी ने बात सँभालने हेतु कुछ बोलने के लिए जैसे ही मुंह खोला ...कपिल ने उसे इशारे से चुप करा दिया ...
पुजारी हैरान , परेशान सा कपिल को मन ही मन कोस रहा था ...की आज यह सब गुड गोबर कर देगा .....
इतने दिन से चले रहे खेल को खेलते खेलते ..कपिल इंसानी भावो को पढने का अभ्यस्त हो चूका था ..उसने अपने चेहरे पे इक कृतिम मुस्कान चमकाई और सेठ के दामाद से बोला ...बोलो बच्चा तुम्हारी क्या समस्या है ?

कपिल को बोलता देख घर परिवार के लोग उसके इर्द गिर्द उसे घेर कर खड़े हो गए ...उन्हों ने पहली बार कपिल के मुख से कोई शब्द सुना था ...कपिल के शब्दों की खनक से जैसे वोह सब वशीभूत से हो गए....
सेठ के दामाद ने अपनी कुटली नजरो से कपिल की आँखों को भेदते हुए कहा ...गुरूजी ...मेने इक फैक्ट्री डालने का इरादा बनाया है ...आपकी अति कृपा होगी अगर आप मुझे उसके नफे नुकसान के बारे में अवगत करा दे ?

कपिल ने दामाद की कुटिली नजरो से बचने के लिए अपनी आँखे बंद कर ली और मंद मंद मुस्कुराते हुए बोला ...तुम हमारी राय जानना चाहते हो या अपना भविष्य ...बोलो तुम्हे क्या सुनना अच्छा लगेगा? ....
दामाद को कपिल से उलटे प्रशन की उम्मीद ना थी ..उसने अपनी अमीरों वाली हेकड़ी को समटते हुए कहा ..गुरूजी ..मैं प्लास्टिक के गिलास बनाने की फैक्ट्री लगाना चाहता हूँ ...क्या वोह मेरे लिए भविष्य में फायदेमंद रहेगी?

कपिल के लिए इकोनॉमिक्स , बिसनेस इन्वेस्टमेंट हमेशा से पसिंदा विषय था ..वोह समझ गया सेठ का दामाद गलत फैसला ले रहा है ..पर उसे सबक सिखाना भी जरुरी था ...ताकि कोई उसकी तरफ फिर से ऊँगली ना उठा सके ...
कपिल ने बड़ी सोच की मुद्रा बनाते हुए कहा ...क्या आपके घर में ऐसा ग्लास है जिसकी तुम फैक्ट्री लगाना चाहते हो ....दामाद ने सेठ से पुछा ...सेठ ने सेठानी से ..सेठानी ने घर के नौकरों से ..सबने ना में सर हिला दिया ...की उनके घर में सिर्फ कांच , स्टील या चांदी के गिलास के अलावा और कोई गिलास नहीं है ...

कपिल ने विजयी मुद्रा में अपनी आँखे खोली और सेठ से कहा ..जरा अपने नौकर को अडूस पडूस में भेजो और ऐसे गिलास को पूछवाओ ...की क्या उनके पास ऐसे गिलास है ?

थोड़ी देर बाद सब नौकर खाली हाथ वापस आगये ..उन्हें खाली हाथ आया देख कपिल ने अपनी आवाज में जोश भरते हुए कहा ...बेटा ....धंधा वोह करना चाहिए जिसका ...इस्तमाल हर घर में होता हो ....सिर्फ अपनी शौक की पूर्ति के लिए किया जाने वाला कारोबार ..नफा नहीं दे सकता ...दुसरे कोई भी ऐसा कारोबार ना करो जिसका तुम्हे कोई पूर्व अनुभव ना हो ....बाकी तुम्हारा फैसला है ....
कपिल की तर्कपूर्ण बाते सुन सेठ और उसका लड़का उसके आगे नतमस्तक होगये ....दामाद जो अभी तक अपने सपनो की दुनिया में खोया था अचानक बहार आया और उसे भी कपिल की बात में वजन लगा ..पर अपने मुंह से कुछ ना बोला ...शायद उसका अभिमान कपिल को अपना गुरु मानने से रोके हुए था ...

बस फिर क्या था ....उसके बाद घर के और सदस्य भी अपनी अपनी समस्या कपिल के आगे बताने लगे ....कपिल उन्हें शांत भाव से सुनता और उन्हें अपने विवेक के हिसाब से सलाह देता ..अधिकतर लोग अपनी परेशानियों का हल जानते थे ....पर किसी के आगे कहनी की उनकी हिचकिचाहट ..उनके फैसला लेने में रोड़ा थी ...जिसे कपिल की ओजस्वी वाणी के प्रताप ने उनके अंदर के संशय को ख़त्म कर दिया ....

लोगो की परेशानियों को सुनते सुनते काफी समय बीत गया ...पुजारी ने सब लोगो से कहा ..की अब गुरूजी आराम करंगे ..उनके वापस जाने की वयवस्था की जाए ...कपिल और पुजारी ..सेठ के परिवार से विदा ले मंदिर में आगये ..आज उन्हें काफी धन के साथ और भी सामान मिला था ...

देखते ही देखते कपिल आस पास के गावं में प्रसिद्ध होगया ...की मंदिर में कोई चमत्कारी बाबा है ..जिनके पास शहर के बड़े बड़े सेठ लोग अपनी किस्मत जानने आते है ....

कुछ महीने बीते थे ...की इक कारो का काफिला मंदिर के पास आकर रुका ...उस काफिले में सेठ का परिवार और कुछ मीडिया के लोग भी थे ..जो बाबा कपिल का इंटरव्यू लेने  आए थे ...आज सेठ अपने सपरिवार के साथ आया था ...सेठ का दामाद सबसे आगे आकर कपिल के चरणों में गिर गया और बोला गुरूजी ...आपने मुझे डूबने से बचा लिया ....आपके कहने से मेने उस फैक्ट्री में इन्वेस्ट नहीं किया ..मेरे जिस भी रिश्तेदार और दोस्त ने उसमे इन्वेस्ट किया ..उन सबका बहुत पैसा डूब गया ...आप अन्तरयामी है ...उसने जोर से आवाज लगाई ...जय हो बाबा की ..उसकी आवाज के साथ आए मीडिया के लोग कपिल के इंटरव्यू के लिए उसके ऊपर मंडराने लगे ..ऐसे में पुजारी इक चतुर रिलेशन ऑफिसर की भांति सबको कपिल से दूर रहने की हिदायत दे रहा था .....

कपिल अपनी आँखे बंद किये अपने घर के द्रश्य को ध्यान कर मन ही मन मुस्कुरा रहा था ..और मंदिर के बहार  लोगो का हुजूम ...जय हो बाबा की ..जय हो कपिल बाबा की ..से गूंज रहा था ....आधुनिक उपभोक्ता के बाजार में इक नए बाबा और गुरु का जन्म हो चूका था ...


By

Kapil Kumar




Note: “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is purely coincidental.' ”


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