Monday 9 November 2015

सुहाग रात!




चारो तरफ शहनाईयो की गूंज माहोल को इक तरंग में डुबो रही थी ..थोड़ी देर पहले यही शहनाई मंगल गीत बजा रही थी और जब दुलहन विदा हो रही थी उनका भी सुर बदल चूका था अब उनसे विरह की धुन गूंज रही थी ..कार के इक कोने में सिमटी सी दुल्हन अपने पिया के संग अपनी नयी जिन्दगी के  सफ़र पर निकल ससुराल  जा रही थी ...पीछे से कंही रिकॉर्ड पे गाना बजता सा सुनाई देता था ...
"बाबुल की दुआ लेती जा ..तुझको सुखी संसार मिले ".........
अभी अभी कपिल और कृतिका का "शुभ विवाह " संपन हुआ था , वैसे तो दोनों बहुत पढ़े लिखे और नौकरीपेशा युवा  अपनी अपनी कम्पनी में बहुत बड़े बड़े ओहोदो पर थे! पर इस वक़्त दोनों इक दुसरे से अनजान बने अपनी अपनी कार की खिड़की से बहार के धवस्त होते अंधरे को देख रहे थे .. दोनों का विवाह, उनके परिवार वालो की आपसी  रजामंदी से ,हिन्दू धर्म के रस्मो रिवाज से संपन हुआ था.. ..
कृतिका… आम जीवन में इक बहुत ही वाचाल, आधुनिक और आत्मविश्वास से परिपूर्ण युवती थी…... पर आज लाल जोड़े में लिपटी हुयी इक गुमसुम गुडिया सी लगती थी! जो इक हाथ से अपने सर के पल्लू को पकडे ….बहार छुटते अपने जीवन की यादो को अपनी आँशु वाली हिचकियो से भिगो भिगो कर धोने की असफल कोशिस कर रही थी...

जैसे जैसे कार कपिल के घर की तरफ बढ़ रही थी! वैसे वैसे उजाला अंधरे को अपनी गिरफ्त में लेता जा रहा था ...
घर पहुँचते पहुँचते  उजाला फ़ैल चूका था ...कपिल के घर की कुछ औरते उन दोनों की आरती उतरने के लिए दरवाजे पे तैयार खड़ी थी ... पारम्परिक रिवाजो से निजत पा कपिल सीधा अपने बिस्तर प् आ गिर और नींद के आगोश में खो गया ….

पर बेचारी दुल्हन को तो अभी और रस्मो रिवाज की सजा काटनी थी! .... दोपहर ढले कपिल उठा तो कुछ तरोताजा महसूस कर रहा था .. उसने सोचा क्यों ना बहार जाकर थोडा मन को बहलाया जाए?......

 ऐसा सोच वोह अपनी कार में सवार शहर के माल में आ गया .. वंहा पर इधर उधर घूमते हुए उसकी नजर इक बड़े से ब्यूटी पार्लोर पर पड़ी ... अपनी थकान को मिटाने और आने वाली "रात" के लिए तरोताजा होने के ख्याल से वोह उसमे फेसिअल कराने के इरादे से घुस गया ... आज से पहले वोह कभी इतने महंगे पर्लोर में ना आया था ..अधिकतर बाल कटाने के लिए वोह पास की किसी नाई की दुकान से ही काम चला लेता था ..
 अन्दर का नजारा  बड़ा अजीब सा था .. 

जिन्हें बहार हम सुंदर सजीली जवान खुबसूरत औरते / स्त्रियाँ  देखते है… वंहा पर वही औरते अपने चेहरे पे कुछ अजीब सा लेप लगाये भूतनी बनी बैठी थी .. कुछ बालो में छल्ले से बांधे जोकर की नानी लगती थी… कुछ अधेड़ मोटी भद्दी सी औरते अपने हाथो और पेरो पे सुन्दर सुन्दर नाजुक कन्याओ से मैनीक्योर और पेडीक्योर करा रही थी  ...
इक सुन्दर सी लड़की ने ….अजीब सी निगाहों से उसे निहारा की …..वोह शरमा सा गया ..लड़की ने पुछा ..तुम्हे क्या करवाना है ?..  
बाल तो मर्दों के हम काटते नहीं ? कपिल डरता सा हुआ धीरे  से बोला…मेरी आज शादी हई है…. तो… थोडा थकान कम करने और ताजा लगने  के लिए फेसिअल करवाना है ...

लड़की यह सुन….. जोश और शरारत में चिल्लाई .. तो आज तुम्हारी “सुहागरात” है .....
 लडकी की आवाज सुन वंहा बैठी

….थकी ,बेजार ,अधेड़ औरते ….जो अपने ढलते हुस्न की रिपेयर और ओवेरहालिंग करवानेके लिए आयी थी …ताकी…. अपने मिडिल ऐज क्राइसिस वाले हस्बैंड की नकेल कस के पकड सके ... ऐसे चोंकी ….

जैसे किसी मुर्गीयो  के दबड़े में कोई मोर घुस आया हो ....
और कपिल को शरारती मुस्कराहट से घूरने लगी ... उनकी  कातिल नजरो से बचता हुआ…. कपिल…. लड़की के साथ चुप चाप नीची नजरों  से चलता हुआ इक कमरे में चला गया .. जन्हा लड़की ने उसे इक बड़ी आरामदायक कुर्सी पे बैठा दिया…..
वंहा से निपट, जब कपिल बहार आया तो शाम हो चुकी थी .. अब उसे काफी फ्रेश महसूस हो रहा था और चेहरा भी ताजगी और रोनक से भरपूर लग रहा था ...
घर आने पे सब उसे अजीब सी नजरो से देखने लगे …पर किसी की कुछ पूछने की हिम्मत ना हुयी ... 
इक इक पल इक युग की तरह बीतते बीतते वोह घडी भी आ गई जिसका इंतजार हर किसी नवयुवा जोड़े का सबसे बड़ा सपना होता है .... रात का दस बज चूका था और घर वाले और रिश्तेदार उन दोनों को घर के ऊपर वाले कमरे में अकेल छोड़ सब निचे जा चुके थे ....

कपिल जब कमरे में घुस तो .. कमरे का माहौल ही अलग था .. कान्हा रोज उस कमरे में बिस्तर बेतरबी से फैला होता था .. पर आज नये डबल बेड पे नयी सुन्दर चादर पे गुलाबो के फूलो की चादर सी बिछी हुयी थी जो कमरे में खुशबु के साथ मदहोशी भी फैला रही थी ...

कपिल ने सोचा था ….की जैसे पिक्चरो में दुल्हन लाल जोड़े में लिपटी सर को झुकाए पिया का इंतजार करती है… वैसे ही"कृतिका" भी बिस्तर पे बैठी होगी ... पर वंहा तो कोई न था .. उसका दिल धक् से बैठ गया और सारे सपने इक ही झटके में रेत के महल की तरहा जा गिरे .. अभी वोह अपने को संभल ही रहा था .. की बाथरूम का दरवाजा खुला और कृतिका उसमे से बहार निकली ....

उसका यह रूप देख उसके जोश और होश दोनों गायब हो गए ....कृतिका इक गुलाबी रंग के गाउन में अपने बालो को तोलिये से झटकारती हुयी बहार आ रही थी .. उसने कपिल को देखा और मुस्कुरा कर कहा .. 

Hey Kapil !.. How are you? ..you look great!

 और मस्त शोख अदा में बोली अरे मुझे अकेल छोड़ कंहा भाग गए ..कब से तुम्हारा इंतजार कर रही थी .. सोचा था… की दोपहर में थोड़ी तुमसे बात चित हो जाती ….पर तुम्हारी रिश्तेदार तो ऐसे जकड के बैठ गयी थी .. की ... मैं इस धरती से कंही उड़ ना जाऊ ..तुम्हारा चेहरा बड़ा चमक रहा है लगता कंही फेसिअल तो कराके नहीं आ रहे और ऐसा कह उसने कपिल पे इक कातिल मुस्कराहट का तीर छोड़ दिया ...

कपिल .. जिसके सामने उसके ऑफिस की लडकिया बात करते वक़्त नजर झुका लेती थी . वन्ही …आज उसकी दुल्हन पहली रात उससे नजरे लड़ा रही थी ? ... 

कपिल ने अपनी हिम्मत समेट कृतिका से उसका हालचाल पुछा .. उसने बड़े शोख और चंचल अदा में अपने बाल संवारते हुए अपने साथ हुए दिन भर के नाटक का विवरण दिया .. अपने बालो को पोनी टेल का रूप दे और अपने ऊपर ईत्र का छिडकाव कर वोह उसके पास आकार बोली .. क्या तुम्हे सोना नहीं है? .. जो यह दुल्हे वाले कुर्ते पजामे में घूम रहे हो जाओ तुम भी कोई नाईट ड्रेस पहन लो .. मेने तुम्हारे लिए पहले से ही लाकर बाथरूम में रख दी है ...

कृतिका की यह बात सुन कपिल का जोश ठंडा पड़ने लगा ..कपिल सोचने लगा ...

क्या क्या सपने संजोये थे ?.. की इक दुल्हन होगी .. जो लाल जोड़े में सिमटी सी घूँघट ओढ़े मेरा इंतजार कर रही होगी और मैं जाकर उसे धीरे से छुउंगा   तो वोह शरमा के पीछे सिमट जाएगी .. उसके कंगन की खनक उसे मदहोश करेगी और वोह उसके शर्माने पे…. इक शेर उसे पेशे खिदमत करेगा .. और इतने दिन से सिर्फ इस दिन ले लिए ... वोह कई शेर रट के बैठा हुआ था ..उसने सोचा था की लड़की अरेंज्ड मैरिज कर रही है तो सुहागरात भी ट्रेडिशनल होगी ... पर लगता था नियति को शायद उसके सपनो से ही बैर था ... 

बड़े बुझे मन से कपिल बाथरूम में अपने कपडे बदलने चला गया .. जब लोट के आया तो कृतिका सजे संवरे बिस्तर पे आंखे मुंदी सी लेटी थी ..कृतिका को ऐसे लेटे देख ... कपिल के दिल पे छुरी सी चल गयी! उसे लगा जैसे उसके अरमानो की अर्थी सजी हई रखी है ...थके कदमो से वोह आकर बिस्तर पे लेट  गया ....

थोड़ी देर बाद कंगन खनकने की आवाज आई .. की .. कृतिका ने उसकी तरफ अपने मुंह करते हुए कहा ... जानते हो .. आज कल ऑफिस में बहुत पॉलिटिक्स हो रही है ... मुझे ऐसे प्रोजेक्ट में डाल दिया है  जन्हा मुझे अगले महीने सिंगापूर जाना पड़ेगा ....सब लोगो को पता है मेरी शादी होने वाली है फिर भी नहीं पसीजे .. .. मेरे दो प्रोग्रामर नौकरी छोड़ के जाने वाले है और अभी उनका विकल्प भी नहीं मिला है ...जब उधर से कोई आवाज नहीं आई तो कृतिका बोली ...

अरे कपिल तुम तो सोने लगे .. अरे आज तो हमारी पहली रात है तुम ऐसे कैसे सो रहे हो? ऐसा कह ... उसने उसे गुदगुदी करते हुए कहा .. अरे डब्बू जी .. अभी से हार गए ..वोह भी बिना लड़े और ऐसा कह खिलखिला कर हंसने लगी  ... कृतिका की बकवास से पहले ही कपिल का भेज घुमा हुआ था अब इस हरकत ने उसे और चिढ़ा दिया ..

उसके अन्दर का पुरुष और दफ्तर का बॉस जाग उठा .. उसने सोचा अगर यह अपने को बिल्ली समझ रही है तो इसे समझाना पड़ेगा की शेर कौन है ... कपिल बिस्तर से उठा और कमरे में रखे सोफे पे जाकर बैठ गया और कृतिका से बोला .. जरा उठके इधर आओ …तुमसे कुछ बात करनी है ... कपिल की आवाज की गंभीरता को समझ वोह कुछ सहमी सी उसके पास आकर जमीं पे बैठ गयी और उसे मानाने के लिए अपना सर उसके गोद में रख दिया ...

और बड़े प्यार से बोली ... क्या तुम नाराज हो गए ?
 कपिल बोला .. कृतिका तुम और हम पढ़े लिखे युवा है और अपनी जिदगी का पहला अध्याय आज से शुरू कर रहे है..अगर कुछ बाते हम इक दुसरे की समझ ले ... तो आने वाली जिन्दगी में तुम्हे और हमें इक दुसरे से शिकायत नहीं होगी ...
कपिल बोला ..
आज हम जिस जगह खड़े है यंहा से तीन रास्ते जाते है ...

पहला रास्ता यह है .... की हम आने वाली जिन्दगी इक प्रेमी प्रेमिका की तरह करे .. जिसमे सिर्फ वादे हो ...शायरी हो ..हँसना हँसाना हो पर किसी को किसी से कोई उम्मीद ना हो .. तुम हमसे आटे दाल -- घर ग्रास्थी की उलझनों की बाते करके हमारा सर नहीं खाओगी …जो भी मिले.. उसमे खुश रहे .. ना कोई शिकवा हो ... ना शिकायत हो !...
दूसरा रास्ता .. यह है की हम दोनों… इक दुसरे को हमेशा आदर्श पारम्परिक भारतीय पति पत्नी  की तरह  इज्जत दे ! भले ही हम दोनो इक दुसरे को प्यार न कर सके! ....

और तीसरा रास्ता है ….
की हम दो दोस्तों की तरह रहे .. जिनकी अपनी आजादी हो .. अपना स्पेस हो .. वोह कभी किसी के मामले में दखलंदाजी ना करे ...अगर मन मिले तो बोले ना मिले तो अपने काम से काम!...

कपिल की बाते सुन कृतिका का दिल बैठ गया और वोह रुंधे गले से बोली क्या ऐसा कोई रास्ता नहीं जिसमे यह तीनो रास्ते भी आते हो ?...
कपिल उसकी बात समझ गया और बोला …ऐसा इक रास्ता है पर उसमे तुम्हे अलग जगह अलग वयवहार करना होगा ...कृतिका बोली क्या है वो ?   कपिल बोला ....

इस कमरे के अन्दर तुम और हम प्रेमी और प्रेमिका के रूप में होंगे और इस कमरे की बात हम और तुम बहार नहीं करंगे.... तुम हमें यंहा कुछ भी कह सुन सकती हो ….

कमरे के बहार, घर में ,समाज में हम इक भारतीय पति पत्नी की तरह होंगे जन्हा हम इक दुसरे को पूरी इज्जत देंगे  चाहे कोई भी गलत और सही हो… हम इक दुसरे की बात नहीं काटंगे जो भी कहना सुना है वोह इस कमरे में होगा….

घर के बहार .... हम तुम आपस में दोस्तों की तरह वयवहार करंगे….तुमहारे मित्र और रिश्तेदारों को हम पूरी इज्जत देंगे और ऐसी इज्जत की अपेक्षा तुमसे भी करंगे ...... बहार तुम और हम दोनों आजाद है इक दुसरे की बात रखने के लिए, न माने के लिए .. इसमें कोई बड़ा छोटा नहीं होगा! दोनों को बराबरी का हक होगा .. बोलो तुम्हे यह बाते मंजूर है ……

कपिल की बाते सुन कृतिका का मन ख़ुशी में झूम उठा बोली.. तो अब क्या इरादा है.. कपिल बोल अब यंहा तो हम प्रेमी बनकर आये थे पर तुम तो दुसरे ही रूप में हो?.....

कृतिका उसकी बात का मतलब समझ बोली…. तो तुम चाहते हो मैं पारंपरिक दुल्हन बन घूँघट निकाल बैठु .. चलो यह भी कर लेते है और ऐसा कह वोह अपने बदले हुए कपडे उठाने लगी ..
कपिल बोल.. अब इतना वक़्त पहले ही ख़राब हो चूका है और ज्यादा समय बर्बाद करने की जरुरत नहीं है! .. चलो यह चुनरी ओढ़ के बैठो... अब इससे ही काम चला लेंगे और तुम क्या करोगे?..कृतिका ने उसे चिढाते हुए कहा..क्या पुरे कपडे बदलोगे?
कपिल हंसा और बोला.... अब किस पे इतना सब्र है .. चलो अपने सेहरे से ही काम चला लेते है और ऐसा कह उसने मेज पर रखा सेहरा उठा अपने सर पर रख लिया और बिस्तर पर सिमटी सी बैठी कृतिका की तरफ बढ़ गया ....

By
Kapil Kumar


Note: “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is purely coincidental.' 

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