Monday 9 November 2015

कांश तुम होते !! ....




अपनी ही धुन में खोई छाया की चेतना लौटी .... जब उसकी नौकरानी ने उससे पुछा की ..  बीबीजी कुछ चाहिए या मैं अपने क्वाटर चली जायुं ?

सर्दी अपने पुरे आवेश में इंसानी शरीर का इम्तिहान ले रही थी ... शाम ढल गई थी और रात ने अपनी दस्तक दे दी थी .... बहार सांय सांय करती हवा सूखे पत्तो को पेड़ो से जुदा कर अपने आगोश में समेट उन्हें कंही दूर ले जा रही थी .... ऐसे में बहार का नज़ारा देखने भर से हड्डियों में कम्पन होने लगता था ... इस वक़्त दूर दूर तक सडक पर आदम जात का नामो निशान नजर नहीं रहा था ...सब लोग सर्दी से बचने के लिए अपने अपने घरो में दुबके पड़े थे .....

पर छाया इन सबसे अनजान अपने ही ख्यालो में खोई किसी पत्रिका में उलझी पड़ी थी या यूँ कहे जैसे बहार के मौसम जैसी विरानगी उसके जीवन में चुकी थी और दिल में उमड़ते जज्बात सांय सायं करती हवा का रुख अख्तियार कर, उसकी यादो के सूखे पत्ते , उसके अतीत  से टूट कर जहन में बिखर रहे थे ....

उसने नौकरानी से कहा की जरा फायर प्लेस ऑन कर दे ... आज बड़ी सर्दी लग रही है और जाने से पहले उसे इक कप कॉफ़ी बना कर दे  दे , उसके बाद वोह अपने क्वाटर में चली जाए ... नौकरानी ने ख़ुशी में चहकते हुए कहा बस ..अभी लाइ और ऐसा कह वोह किचन की तरफ रुखसत हो गई ....

छाया ने अपने आस पास नजर उठकर देखा ....सब कुछ तो उसके पास था , जो इक इन्सान दौलत से खरीद सकता था  .... शहर की पोश कॉलोनी में इक बड़ा सा बंगला , विदेशी कार और पुरे वक़्त की जी हजुरी करने के लिए नौकर जो घर में बने सर्वेंट क्वाटर में रहते ....

छाया के पास दौलत , शोहरत और इज्जत तीनो थी ... उसपे कुदरत ने उसे लायक औलाद का भी सुख दिया था ... लड़का और लड़की दोनों ही अपने पैरो पे खड़े होकर दौलत और शोहरत बटोर रहे थे ....कुदरत और ऊपर वाले के रहमो करम से उसके पास आज वोह सब कुछ था ,जिसे पाने की हसरत इक आम इन्सान में होती है ... शायद इन सब को पाने के लिए उसने जो कीमत चुकाई थी आज वोह उसे ,इन सबके मुकाबले बहुत ज्यादा लग रही थी .....


पर कुदरत का नियम भी अजीब है यंहा अगर कुछ मिलता है तो कंही कुछ आपके खाते से निकल भी जाता है ....दोनों बच्चे अपने अपने जीवन में मस्त थे ..उनपे माँ को देने के लिए सब कुछ था सिवाय वक़्त के ...सिर्फ क्रिसमस में ही उनका घर पे आना होता .....

इन तनहइयो और अकेलेपण ने उसे सोने के महल में रहने वाली वोह चिड़िया भर बना दिया था ...जिसके पास सब कुछ था सिवाय पंखो के ....जिन्हें लगा कर वोह इस संसार में बेखोफ और ख़ुशी से उड़ पाती ?

अपने ख्यालो के भवंर में डूबी , छाया उस अतीत में चली गई जंहा उसकी इक मामूली सी कुंठा ने उसे यंहा पहुंचा दिया था ....

वक्त बदल रहा था और उसके साथ युवा पीढ़ी के ख्यालात भी , अस्सी के दशक में कॉलेज में पढने वाले लड़के और लडकियों में बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड रखने का चलन बड़े जोर शोर पे था ....

उन दिनों साधारण शक्ल सूरत वाले लड़के लड़कियां भी अपना कोई कोई जोड़ीदार धुंड ही लेते , ऐसे में जो देखने में खूबसूरत और पढने लिखने में जहीन हो , ऐसी लड़की को भला चाहने वालो की कमी हो सकती थी ...

छाया इक ऐसी ही लड़की थी जिसका बॉयफ्रेंड बनने की तमन्ना कॉलेज का हर लड़का करता था ... पर छाया इस चूहा दौड़ से अलग थलग अपनी ही दुनिया में रहने वाली ...पुराने जमाने के संसकारो में बंधी ऐसी लड़की थी ..जिसके ऊपर हजारो भँवरे मंडराते .... पर यह कलि , किसी को कोई भाव ना देती ....


छाया की सहेलियां अपने अपने बॉयफ्रेंड की आशिकी के किस्से मजे ले लेकर सुनाती ..की कैसे लड़के उनके नाज नखरे दिन रात उठाते है ...तो वोह क्यों नहीं ऐसे इक दो दीवाने अपनी खिदमत में लगा लेती ...जिनसे मुफ्त में सेवा और कैंटीन का खर्चा भी निकलता ...पर छाया को यह सब पसंद ना था ....उसका फलसफा था की .....

जिससे दिल ना जोड़ना हो फिर उससे नाता ही क्यों जोड़ना ?

छाया अपने जीवन में कुछ कर गुजरना चाहती थी ... इसलिए अपना ध्यान इधर उधर लगाने के बजाय अपनी पढाई की तरफ ही रखती ....

पर इश्क पे किसका जोर ..इक दिन यह बिजली भी छाया पे गिर पड़ी ...इक दिन कैफ़े में कॉफ़ी पिते हुए उसकी मुलाकात इक ऐसे शक्श से हो गई जिसने उसकी जिन्दगी की दिशा ही बदल दी...हुआ यूँ ...छाया कैफ़े में बैठी अपनी सहेलियों का इंतजार कर रही थी ...की वोह उसे टाइम देकर ना जाने अभी तक क्यो नही आई थी... ऐसे में ....इक सजीला लड़का जो बैठने के लिए खाली टेबल ढूंड रहा था ...उसकी टेबल के करीब आया और वंहा पर उसने बैठने की इछा जाहिर की ...

पहली नजर में तो छाया ने उसे मना कर दिया ..पर जब उसने जोर डाला और कहा की कैफ़े में कोई भी टेबल खाली नहीं है ... तो ना जाने किस तरंग में आकर छाया ने उसे बैठने की इजाजत दे दी ....

उस दिन छाया ने उसे अपनी टेबल ही शेयर नहीं की ....बल्कि बातो ही बातो में उसने अपने ख्वाब , इछाये और सपने तक भी साझा कर डाले .... नौजवान का नाम कपिल था ..वोह अपने करियर की डूबती नाव को किसी तरह घसीट कर किनारे पे लाना चाहता था ....

कपिल इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा था ...पिछले दो कोशिश में उसका सिलेक्शन नहीं हुआ था .... इस बार उसका यह आखरी चांस था ....वोह पूरी तरह हिम्मत हार चूका था .... कैसे उसके दोस्त इक इक करके इंजीनियरिंग में चले गए ..उसके रिश्तेदार , घर वाले और अडुसी पडुसी सब उसका दबे छिपे मजाक उड़ाते .....उसे समझ नहीं रहा था ....की वोह करे तो क्या करे ?

छाया ने उसे हिम्मत बंधाई और होसला दिया कहा की वोह ठन्डे दिमाग से तयारी करे तो जरुर सफल होगा ..उसे दुनिया की परवाह नहीं करनी चाहिए ...की लोग क्या कहते है ...उसने अपने बारे में कपिल को बताया  की वोह तो सिर्फ आईएस ही बनना चाहती है ....कपिल छाया के व्यक्तित्व , नॉलेज और होसले से बहुत प्रभावित हुआ ...


वक़्त गुजरता गया और देखते ही देखते इक साल बीत गया ....छाया और कपिल इक दुसरे के बेहद नजदीक आगये ..लगता था दोनों जैसे इक दुसरे के लिए ही बने है .....

यह कुदरत भी बड़ी ही जालिम और बेवफा चीज है  ख़ुशी के गुलदस्ते में गमो को जरुर  सजा कर लाती है

छाया की होसलाहफजाई और प्रेम का असर की कपिल का अगले साल इंजीनियरिंग में सिलेक्शन हो गया ...छाया और कपिल की ख़ुशी का ठिकाना ना था ....पर इस ख़ुशी में इक गम की छाया भी थी .... कपिल का इंजीनियरिंग कॉलेज उनके शहर से काफी दूर था ...अब दोनों के बिछड़ने का वक़्त चूका था ...जन्हा कपिल आने वाले भविष्य के सपनो से आवेशित था वन्ही छाया से बिछड़ने का गम उसकी खुशियों को जला रहा  था ....

कपिल कॉलेज ज्वाइन करने चला गया ..उधर छाया कपिल के साथ बिताये पलो की यादो को संजोये अपने आईएस बनने के सपनो को पूरा करने में लग गई ...

अब दोनों का मिलना सिर्फ दिवाली और गर्मियों की छुट्टियों में होता ....पर उस वक़्त छाया कभी आईएस प्रीलिम्स तो कभी मैन्स के एग्जाम में बीजी होती ......छाया को कड़ी मेहनत करता देख कपिल उससे बाते करने की इच्छा होते हुए भी मन मार कर उससे सिर्फ देखभर कर खुश हो  जाता.... सोचता क्यों उसके कीमती समय को बेकार और फिजूल की बातो में बर्बाद करू ...जब यह एग्जाम खतम कर लेगी तब इत्मिनान से ढेर सारी बाते करूँगा ....

पर उसे क्या पता था ...जीवन कल में नहीं , सिर्फ आज में जिन्दा रहता है ... कल किसने देखा ..... आज नहीं तो कभी नहीं ....

जो बदनसीबी कभी कपिल के करियर में थी .... लगता था उसकी छाया अब छाया के करियर में पड गई थी .... या कुदरत ने कपिल को कामयाब बनाने के लिए छाया के करियर की क़ुरबानी उससे जाने अनजाने में ले ली थी ....

काफी मेहनत और कोशिशो के बावजूद भी अपने पहले दो एटेम्पट में छाया आईएस मैन्स को पास नहीं कर सकी ....इन असफलताओ ने जैसे छाया को बदल ही डाला ... छाया जो कल तक इक मस्त बिंदास हिरनी बनी घुमती थी ... अपनी असफलताओ से घबराकर ...अंदर ही  अंदर हीन भावना से घिरने लगी .....

देखते ही देखते इतने वक्त में कपिल ने अपनी इंजीनियरिंग की पढाई पूरा कर ली और उसकी नौकरी इक विदेशी कम्पनी में  भी लग गई .....अब छाया को  कपिल से मिलने में इक शर्म सी महसूस होने लगी ..... कल तक जो बड़े बड़े फलसफे उसने कपिल को उत्साहित करने के लिए दिए थे ..जैसे आज वोह उसका मुह चिढ़ा रहे होते...जब जब कपिल उससे मिलने आता ... वोह कोई ना कोई बहाना बनाकर उसकी निगाहों से बचना चाहती ...उसे अंदर कंही ना कंही यह कचोटता ...की मैं असफल होकर उसका सामना कैसे करूँ ? ......

 
उसपे कपिल उसका होसला बढ़ाने के लिए उसे फलसफे देता तो उसे अंदर ही अंदर कपिल से खीज होती ... कल का प्रेम धीरे धीरे हीनभावना की गिरफ्त में पड़कर , खोखला होने लगा .....

कितनी अजीब बात थी ... जिस छाया ने निराशा के भंवर में डूबते कपिल को अपनी जिन्दादिली , होसले और हिम्मत से इक नया जोश और उमंग दिया था ...आज वोह ही अपनी असफलता पे  उससे नजरे मिलाने से कतरा रही थी ......

इक दिन कपिल ख़ुशी में झूमता हुआ छाया के पास आया ...उसने छाया को बताया की उसे तीन महीनो के लिए विदेश में ट्रेनिंग के लिए जाना है ... आज छाया , कपिल को देख अंदर ही अंदर ख़ुशी और जोश में भर उठी ...उसने कपिल को बांहों में भर चुम्बनों की बोछार कर दी ....

कपिल छाया के इस वयवहार से बड़ा हैरान हुआ ...कंहा कल तक तो इसे बात करने तक की फुर्सत ना थी आज अचानक क्या हो गया ? छाया ने उसे बताया की उसके आईएस के मैन्स का एग्जाम कल ही ख़त्म हुआ  था ... इसबार उसे पक्की उम्मीद थी की उसका सिलेक्शन हो जायेगा .... कपिल जब उसके पास आया ...तो उसकी सालो की दबी मोहब्बत की चिंगारी जैसे शोलो में भड़क गई ...दोनों इक दुसरे की बांहों में खोये आने वाले सुनहरे भविष्य के सपने बुनते रहे और अगले ही दिन कपिल विदेश के लिए रवाना हो गया ....

उसे क्या मालूम था ...की उसके विदेश जाने के बाद उसके जीवन में ऐसा भूचाल जाएगा ...जो जीवन भर उसे सालता रहेगा ?

कपिल के जाने के बाद ....छाया अपने और कपिल के रिश्ते के नए नए सपने बुनती रहती ...उसने सोचा जिस दिन उसका आईएस में सिलेक्शन हो जायेगा वोह अपने घर वालो से कपिल के बारे में बात करेगी .... इक दिन वोह घडी भी गई ....जिस दिन आईएस का रिजल्ट आया .....

इस रिजल्ट ने जैसे कपिल और छाया के भविष्य की दास्तान लिख दी ... छाया इस बार भी मैन्स को पास नहीं कर सकी .... इस असफलता ने उसके दिमाग को कुंद कर दिया ... उसने अपने को दुनिया की चुभती नजरो से बचाने के लिए अपने को घर में कैद कर लिया ....

छाया अब ना तो हंसती और ना ही पहले की तरह खिलखिलाती ...बस इक पत्थर की मूर्त बनी सुनी सुनी आँखों से खाली आसमान को निहारती रहती ..उसके कानो में अपने ही शब्द गूंजते ...जो कभी उसने कपिल का होसला बढ़ने के लिए कहे थे ....अपनी असफलता से ज्यादा उसे कपिल की तीखी नजरो का डर सताता ...की वोह अब उसका सामना कैसे करेगी ?


छाया की यह हालत देख उसके घर वालो ने उसकी शादी के लिए लड़के देखने शुरू कर दिए ....किस्मत कहे या बदकिस्मती ..इक रिश्ता खुद बे खुद चलकर छाया के घर गया और छाया ने भी बिना किसी प्रतिरोध के उस रिश्ते के लिए हाँ भर दी ....
 

शायद दुनिया में सबसे खुबसूरत चीज मोहब्बत है ...पर जो चीज खुबसुरत होती है ...वोह अपने अंदर इक ऐसी कसक और तड़प छिपाए होती है ..उसे सिर्फ इक भुक्तभोगी ही महसूस कर सकता है ....


कपिल विदेश से लौटा और ख़ुशी में झूमता हुआ छाया के घर पहुंचा ..सोचा आज इसे जाकर सरप्राइज दे दूँ ? और लगे हाथ इसके घर वाले से भी शादी की बात कर लू ..उसे उम्मीद थी की छाया का रिजल्ट चूका होगा और मैडम अब तक ऑफिसर बनी घर वालो पे रॉब गांठ रही होंगी .....कपिल छाया के घर पहुंचा तो वंहा पर लगे शामियाने और सजावट देख चोंका ...ऐसा लगता था जैसे किसी की शादी का मंडप सज रहा है ...कपिल ने सोचा होसकता है छाया के आईएस बनने की ख़ुशी में घर वालो ने कोई बहुत बड़ी पार्टी दी हो ?...

कपिल घर के अंदर जाने ही वाला था की बहार उसकी मुलाकात  छाया के भाई से हो गई ... उसने उससे पुछा की यह कैसा फंक्शन है ?...उसने बताया की छाया की आज शादी है और थोड़ी ही देर में बारात आने वाली है ...उसकी बाते सुन कपिल के पैरो तले जमींन खिसक गई ...उसने कहा की वोह छाया को बताये की कपिल उससे मिलना चाहता है ..बड़ी ना नकुर के बाद उसने कपिल का पैगाम छाया तक पहुंचा दिया .....जवाब में छाया ने कहा की ..कपिल उसे भूल जाए ..वोह उससे शादी नहीं कर सकती ...

कपिल को ऐसे किसी जवाब की छाया से तनिक भी उम्मीद ना थी ...उसका दिमाग घूम गया और दिल भर आया ... अभी वोह कुछ सोच पाता ....की नजदीक आते बैंड बाजो की आवाज ने उसकी चेतना भांग कर दी  ....इससे पहले वोह किसी से कुछ कहता सुनता ..घोड़ी से उतर दूल्हा, दुल्हन के दरवाजे पे पहुँच गया और कपिल के सामने उसकी मोहब्बत ने किसी और के गले में वरमाला डाल दी ......

अपनी मोहब्बत को यूँ सरे आम लुटा कर कपिल भारी कदमो से लौट गया .....उसके दिमाग में बार बार यही सवाल गूंज रहा था ...आखिर मेरा क्या कसूर था ?...

वक़्त का पहियाँ अपनी धुरी पे घुमने लगा ....छाया ने जिस हताशा और हीनभावना में भरकर शादी की थी ..वोह शादी ना होकर उसकी बर्बादी बन गई ..उसका पति इक नंबर का आवारा और निकम्मा था ..जिसे ना तो कमाने से और ना ही घर के किसी काम से मतलब था ....कहने को वोह नौकरी करता पर उसकी नौकरी कभी साल या कुछ महीनो से ज्यादा ना चलती ... हर जगह वोह किसी ना किसी से झगडा कर घर में आकर बैठ जाता ... और देखते ही देखते छाया  दो बच्चे की माँ बन गई ....

अपने पति की हरकतों और लापरवाही से तंग आकर , बच्चो की परवरिश की खातिर छाया ने अपना ध्यान अपने करियर में लगाना शुरू कर दिया .....जब भी उसे घर घरस्थी से फुर्सत मिलती ...वोह कुछ ना कुछ लिखने बैठ जाती ....पढने का शौक उसे बचपन से ही था .... जीवन की दुश्वारियो ने जैसे लिखने की कला का उसमे पुनर्जन्म कर दिया ...

कपिल के साथ बिताये पलो को याद कर उन्हें अलग अलग रंगों में डुबो कर वोह इक ऐसी काल्पनिक कहानियो को जन्म देती ..की पढने वाला इक रूहानी सुकून महसूस करता ...देखते ही देखते छाया इक मशहूर लेखिका बन गई ...

अब उसे अपने बच्चो की परवरिश के लिए किसी का मोहताज नहीं होना पड़ता था ....इक दिन कुदरत ने भी उसके सब्र का उसे इक बड़ा सा इनाम दे दिया .....उसके पति की सडक दुर्घटना में मौत हो गई ....छाया के जीवन का आखरी ग्रहण भी हट चूका था .... समय फिर से अपनी धुरी पे घूमने लगा ...कहते है की  यह दुनिया गोल है ...यंहा बिछड़े भी मिल जाते है ...आज बहुत दिनों बाद छाया उसी कैफ़े में कॉफ़ी पिने आई थी जिसमे कभी उसकी कपिल से पहली मुलाकात हुई थी ....

छाया अपने बैठने के लिए अभी टेबल ढूंड ही रही थी ...की उसके कानो में इक जानी पहचानी आवाज पड़ी ..अरे यंही बैठ जाओ ..यह तो तुम्हारी ही टेबल है ...छाया जैसे चोंक उठी ..जिस इन्सान को ख़्वाबो और ख्यालो में ले कर वोह अपनी रचना गढ़ती थी आज वो ही उसके सामने बैठा था ....उसने नजर उठाकर देखा तो सामने वाला चेहरा कुछ जाना पहचाना सा लगा ... उस चेहरे को देखे और आवाज को सुने 15 साल बीत चुके थे और इतने वक़्त में कल का सजीला नौजवान आज का इक अधेड़ बन चूका था ...


छाया ने गौर से कपिल को देखा ....कल का पतला दुबला युवक इक ऐसा अधेड़ था ..जिसका चेहरा अपने बढ़ते वजन और उम्र की चुगली कर रहा था ...आगे निकला हुआ पेट, सर के आधे उड़े बाल और चेहरे पे हलकी सफ़ेद दाढ़ी  बढती  उम्र का ढोल पीट रहे थे ....छाया ने इक फीकी मुस्कान से उसे निहारा और उसके सामने बैठ गई ....कब दोनों ने इक दुसरे के दिलो में जमी धुल अपने आंसुओ , शिकवे और शिकायतों से धो डाली की उन्हें पता भी ना चला ...

कपिल अपनी जिन्दगी से बेजार और निराश था ...आज वोह फिर से उसी चोराहे पर खड़ा था ..जिस चोराहे पे उसकी मुलाकत छाया से 15 साल पहले हुई थी ..आज फर्क इतना था ..कल कपिल अपने करियर को लेकर निराश था आज वोह अपने जीवन में निराश था ...उसका पारिवारिक जीवन कलह और कलेशो से भरा था ....

ऐसे में छाया का साथ कपिल के लिए ... डूबता हुए के लिए तिनके का सहारा था ...कपिल और छाया दोनों रोज मिलने लगे ...अधूरी मोहब्बत जैसे पूर्ण होने के लिए बैचेन होने लगी ....इक दिन कपिल ने छाया के आगे शादी की बात रख दी ....उसने छाया से कहा की अगर वोह उससे शादी के लिए तैयार है तो ..वोह अपनी पत्नी को छोड़ देगा और उसके साथ इक नए जीवन की शुरुवात करेगा ....कपिल की बात सुन छाया का रोम रोम ख़ुशी में भर उठा ...वोह फिर इक बार आने वाले नए जीवन के सपने बुनने लगी ....

आज छाया और कपिल को मिलकर अपनी आने वाली जिन्दगी का फैसला लेना था ...की वोह कब और कैसे क्या क्या करंगे ....छाया कपिल से मिलने के लिए घर से निकली ही थी ..की पडूस  के घर से झगडे की आवाज सुन ..उसका ध्यान उधर भटक गया ....दो औरते आपस में झगडा कर रही थी ..जिसमे इक औरत दो बच्चो के साथ पडूस वाले घर  के बहार खाड़ी थी और ..दूसरी औरत पे इल्जाम लगा रही थी ..की उसने उसके पति को अपना बना कर उसे और उसके बच्चो को घर से बेघर कर दिया ....

यूँ तो छाया कभी किसी के लड़ाई झगडे को ना देखती सुनती थी ..पर ना जाने आज क्यों उसके पावं जैसे वन्ही ठिठक गए ...जो औरत बच्चो के साथ खाड़ी थी जोर जोर से रो रो कर आस पडूस वालो को बता रही थी ..की उसका पति उसे छोड़ इस औरत के घर में आकर रहने लगा था ..अब उसका और उसके बच्चो के खाने रहने का कोई ठिकाना ना था ...सब लोग उससे हमदर्दी दिखा दूसरी औरत को भला बुरा कह रहे थे .....

लोगो की गलियां , लानते और बुराइयाँ जैसे छाया के कानो में पिघले शीशे की भांति उसके कानो में उतर रही थी ..उसने अपने दोनों कान बंद कर लिए .... भरे गले और भरी कदमो से वोह वापस घर लौट आई ...

उसके कानो में रह रह कर उन दोनों औरते  के शब्द गूंजते थे ....यह तेरे बच्चो को क्यों अपनायेगा  ...वोह  उसके सगे थोड़ी ना है ...तू दूसरी औरत का घर तोड़ देगी ....

कपिल , छाया का इंतजार करता रहा ...ना जाने कितनी बार उसने छाया को फोन किया पर उसका कंही अता पता ना था ....मायूस और थका मांदा कपिल छाया के घर पहुंचा तो वंहा दरवाजे पे इक ताला लटका पाया ....जिसपे उसके नाम का इक नोट लगा था .....हो सके तो मुझे माफ़ कर देना .....

कपिल इसके बाद हर दिन छाया के घर का चक्कर लगाता की शायद इक दिन उसकी मुलाकात उससे हो जाए .... पर उसका कंही पता ना था ...इक दिन जब कपिल वंहा आया था तो दरवाजे पे ताला ना देख उसका दिल उत्तेजना और ख़ुशी में उछल पड़ा ....यह ख़ुशी थोड़ी ही देर में काफूर हो गई ..जब उसमे रहने वालो ने बताया की ..वोह मकान उन्होंने खरीद लिया है और बेचने वाला यह शहर छोड़ , हमेशा के लिए कंही विदेश चला गया है ...

कपिल आज भी छाया को उसके शहर में ढूंड रहा है ...और छाया जो अनजान देश में इक मशहूर लेखिका है ... विदेश में लोग उसे डेज़ी के नाम से जानते है ....छाया , कपिल के लिए सिर्फ इक ना मिटने वाली याद और कसक बनके रह गई   ....

  By 
Kapil Kumar



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