Tuesday 10 November 2015

मुजरिम फंस गया !!




शाम के वक़्त 5 औरबजे केबीच  मेट्रो में आने का आनंद ही कुछ और होता है .. सारी जवान खुबसूरत लड़कियां इस वक़्त ही देखने को मिलती है ..पता नहीं सारी  खुबसूरत लड़कियां सिर्फ 9 से 5 वाला टाइम ही क्यों फोलो करती है ..जबकि हमारे यंहा फ्लेक्सिबल होउर्स है ....आज गलती से मैं ऑफिस से लेट हो गया  था वरना मुझ जैसे बीवी बच्चे वाला शरीफ आदमी बेचारा सुबह अंधरे में ऑफिस जाता और जल्दी शाम को ऑफिस से घर भागता ....की... बच्चे घर में अकेले होंगे .....

वरना तो हम जैसे टीम टिमाते चिरागों को फुलझडियो कंहा मिलती .....  इन नयी नवेली  तितलियों के दीदार की जगह हमें वही पूरानी अम्बसडोर , फ़िएट या आउट डेटेड मॉडल ही नसीब होते थे पर आज तो बी ऍम डब्लू , फरारी और मर्सिडीज के दर्शन जी भरके किये ...मन अपनी तरंग में नाच रहा था… 

आज इस बात की चिंता नहीं थी …..की बच्चे घर में अकेले होंगे ....बेचारो ने स्कूल से आकर कुछ खाया पिया होगा की नहीं .... बीवी 25/30 दिनों के लिए मायके गयी हुयी थी .. तो पूरी आजादी थी ...सोचा बहुत दिन हो गए आज घर जाकर कोई "रंग बिरंगी " पिक्चर देखी जाये ...

सुना है  ज़माने ना जाने कान्हा पहुंच गया हो और हम  है की अभी तक बुझते चुल्हे का धुवां झेलते हुए ..उसमें आग अभी तक  पुराने तरीके से लगा रहे हो ... जैसे ही ड्राइव वे पे गाडी लगाई थी की ना जाने कैसे इक भूत की तरह इक सूटेड  बूटेड आदमी हमारे सामने प्रगट हो गया ....और बोला .. Mr. कुमार ..
मैं बोला हाँ भाई हाँ तो ?...उसने कहा ....मेरा नाम पीटर है और  आपको मिस एलिना ने अपने घर इन्वायट किया है ... मैं चोंका .. भाई... इस नाम की किसी औरत को तो मैं जानता  तक नहीं और जिसके पास सोफर ड्रिवेन गाड़ी हो और वोह भी इतनी अमीरजादी यह तो सपने वाली बात है ... वोह मुस्कुराया और बोला ...

शायद आप मिस एलिना  से किसी केस के सिलसिले में कोर्ट में मिले हो और उन्होंने आपको अपने घर इन्वायट  किया हो ..... अब मुझे याद आया अरे कुछ दिन पहले ही तो इक जज को लाइन मारी थी .....अब हम जैसा दिल फेंकू इतना याद थोड़ी ना रखता है की कब और कंहा किसे दिल देकर चूका है ..... मन ख़ुशी और उत्तेजना में नाचने लगा ..पर अंदर ही अंदर डर भी लग रहा था की हमारे जैसे आदमी को जज के साथ कैसे पेश आना आना चाहिए ?....

अभी तक हमारे इश्क का दायरा सेल्स गर्ल ,क्लर्क , एग्जीक्यूटिव , ब्यूटिशियन या छोटी मोटी नौकरी करने वाली लडकियों / औरतो तक ही सिमित था ....

पर लॉ एंड आर्डर से खेलने मैं रिस्क लग रहा था ...कब इक गलत  कदम उठा और आप होगये बिना जमानत के अन्दर .... ..... जोश में इक बार पुलिसवाली को तो हम फिर भी झेल गए पर..... कानूनवाली ...तो काली का अवतार है जरा सी गलती पे गर्दन ले उड़ेगी ....
मन ही मन बुदबुदाया ,अब जब अपने दिल को संभाल नहीं सकते तो झेलो उसके परिणाम .... अपने पर बहुत गुस्सा रहा था की इस डील में कोई फील गुड  नहीं है ....खेर  गाड़ी थोड़ी देर बाद इक आलिशान बंगले के आगे रुकी और ड्राईवर ने पूरी इज्जत बख्सते हुए हमारे लिया दरवाजा खोला और हमें घर के अन्दर छोड़ आया .....
अभी सोफे पे पसरे ही थे की इक मोर्डेन युग का अवतार हमारे सामने आकर खड़ा हो गया .....वोह कोई 30/32 की इक जन्मजात सुन्दरी इक ढीली जींस पे इक खदर का कुरता पहने हुए थी और इक पुराने फैशन का बड़ा ही गन्दा सा काला चश्मा उसकी सुन्दरता का चिरहरण  हमारे सामने कर रहा था ...

उसपे उसके काले लम्बे बाल जो किसी नागिन की उपमा पा सकते थे .. किसी अघोरी साधू के उलझे बालो से मुकाबला करते लगते थे ....अच्छी भली सुन्दर कन्या .. अपनी सुन्दरता का क़त्ल इस बेहरहमी से कैसे कर सकती है ?

यह सोच के मन बड़ा उदास हो रहा था .. जो हम जैसे लोगो को नयन सुख का चैन दे सकती थी... बड़ी ही बेदर्दी से अपनी छलकती जवानी और हुस्न का सरे बाजार क़त्ल कर रही थी .... उसने हमें ऊपर से निचे तक ऐसे निहारा .....

जैसे कोई दूध वाला बाकड़ी भैंस को खरीद रहा हो और इस बात की ताकीद कर रहा हो की यह भैंस वाकई में 20 लीटर दूध दे सकती है की नहीं ...

उसने हमें इक तिरछी मुस्कान से घूरा और बोली तो आप है वो साहब हैजो पीकर गाडी चलाते है और जज को औरत समझ कर उल्लू बनाते है ... हम भी तो देखे की दीदी को आप में ऐसा क्या लगा जो आपका इतना गुणगान कर रही थी ?.... मैं चोंक कर बोला  ….ओह तो आप जज साहिबा की छोटी बहन है? ......
उसने अपने योवन के  तरकस  में से इक कातिल मुस्कान का तीर  निकाला और हमपे दागा और बोली ... कोई शक ? मैं बोला शक की गुंजाईश होती भी तो क्या होता ??.. वैसे आपका परिचय ....मेरा यह पूछना था की ...उसने चोंक कर ऐसे देखा....

 जैसे किसी नामी गिरामी गुंडे से किसी शरीफ बाबू ने हफ्ता वसूली पे उसका नाम पूछ लिया हो ....

अरे कैसे आदमी हो?.. कभी टीवी , अख़बार नहीं पढ़ते देखते हो ? हमारे इंटरव्यू तो हर दुसरे तीसरे दिन अख़बार और चनेल्स पर  आते रहते है ....मैं बात को सँभालते हुए बोला जी .. वोह क्या है की अख़बार में लेता नहीं और टीवी , बीवी और बच्चे देखने देते नहीं और इन्टरनेट पे तो .. आप भला हम जैसो से चैट क्यों करने लगी ?....
वोह हंसी और बोली ठीक है ... हमारा नाम मोनिका है और हम एलिना  , तुम्हारी जज साहिबा की छोटी बहन है ... हम इक काउंटी की रिप्रेजेन्टेटिव है और "ग्रीन व्यू " पार्टी की युवा मोर्चा इकाई की अध्यक्ष ....

अरे आप वो है ... आपका नाम तो हमेशा सुर्खियों में रहता है .. हमने भी उसका दिल रखने के लिए थोडा झूट पेल दिया .....वोह अब थोडा सा नर्म हो गयी और उसने दरियादिली का परिचय देते हुए पुछा तो .... आप सोडे के साथ लेंगे या पानी के साथ या फिर नीट ही पियंगे ....मैं चोंका और बोला ....आप किसी चाय कॉफ़ी या ठन्डे की बात कर रही है ?

मोनिका ने मुझे ऐसे देखा .....जैसे कोई दुध मुंहा बच्चा यह पूछे की मम्मी दूध क्या होता  है ?

मोनिका हंसी आप आदमी भी कमाल  हो ... दिन दहाड़े दारू पीकर गाड़ी चलाते हो और जब इक खुबसूरत हसीन जवान लड़की अपने हाथो से पिला रही है तो आप पूछ रहे है की दारू क्या है ?...

अब मुझे माजरा समझ आया की वोह दारू ऑफर कर रही थी पर जिस तरह उसने पुछा था मुझे लगा शायद कॉफ़ी या कोल्ड ड्रिंक के बारे में पूछ रही थी ... मैं बोला .. आप मुझे तो बियर दे दे ....उसपे उसने अपनी दिलकश मुस्कान मेरे ऊपर उड़ेली और बोली ....
बियर तो बच्चे पिते है कुछ मर्दों वाली बात करो ...

मैं बोला ठीक है और अपनी घिसी पिटी शयरी झाड़ते हुए बोला ....

 "जब पिलाने वाली साकी है शानदार तो देदो हमें भी इक मार्ग्रिता का गिलास "  ... ..

मोनिका हंसी और बोली अब मुझे यकीन हो रहा है की दीदी ने कुछ गलत पसंद नहीं किया ... उसने दो मार्गरीता के गिलास बनाये और इक मेरे हाथ में पकड़ा दिया .. बोली ...पीकर बताओ कैसी बनी है ? मेने इक सिप मारी ही थी .. की वोह बोली अरे यह गिलास मुझे देदो और अपने गिलास की सिप मार के बोली मेरा वाला तुम लेलो और ऐसा करते हुए उसने अपनी इक आँख दबा दी ....मेने उसका गिलास ले लिया और मन में सोचा  इसमें क्या फर्क पड़ता है?......
मुझे चुप देख मोनिका बोली असल में ...मैं और दीदी हर चीज शेयर करते है ....अब दीदी तो हैं नहीं ...मेने पुछा एलिना   ने बुलाया तो वोह कान्हा चली गयी ?

मोनिका बोली वोह आपका ही इंतजार कर रही थी की सिटी मेयर का फ़ोन अगया और उन्हें अर्जेंट जाना पड़ा उन्होंने मुझसे कहा मैं तुम्हारी खातिरदारी अच्छे से करूँ .....तो बोलो कैसे तुम्हारी खातिरदारी करू ? और ऐसा कह कर उसने मुझे इक कोहनी मार दी .....

मेने मन ही  मन में कहा  गुलाब का कोमल महकता फूल और कंहा यह करेले का कड़वा निचुड़ा फूल ….

अब एलिना  (जज साहिबा) होती तो बात कुछ और होती ! यह तो देखने में ही बंदरिया लग रही है.. अब इससे कौन चुहल बाजी करे ....हमारी तरफ से कोई प्रतिक्रिया ना होता देख.....

उसे भी मेरी बेरुखी से लग गया ...की ...उसके हुस्न में  वोह आग नहीं जिससे वोह मुझे जला सके .. ..

मैं बार बार दरवाजे पे टक टाकी लगाये देख रहे थे की कब हमारी मल्लिका आएगी और कब हम प्रेम विहार में डूबेंगे ... मेरी बेरुखी को नजरंदाज करते हुए .... वोह थोडा मटकती हुयी पास आई और बोली .. लगता है आपको हमारे बारे में गलतफहमी हो गयी है ....हम अपने प्रोफेशन की वजह से थोडा रूखे सूखे रहते है ....

वरना तो लोग हमें  वोट की जगह हमें बेबी डोल समझ दिल पे चोट दे जाये .....

मेने भी उसकी बात पे गर्दन हिला दी और अपना ड्रिंक पिने लगा ... उसने जब बात बनती ना देखि तो बोली ....जरा थोड़ी देर बैठे मैं अभी आती हूँ ! थोड़ी देर को बोल वोह तो निकल गयी और हमें बैठ बैठ अपना कटा रहे थे ...

यह कानून वाले भी अजीब होते है अगर आप लेट हो जाये तो आपकी गलती और यह लेट हो जाये तो भी आपकी गलती ...

थोड़ी देर बाद इक खुशबु का झोका आया ... हाल के सामने की सीढ़ी  जो उप्पर बेडरूम को जाती  थी ... उन सीढ़ीयो पे देखा तो ऐसे लगा...जैसे कोई अप्सरा स्वर्ग लोक से धरती पे धीरे धीरे उतर रही हो ...
उसे देख मेरा मुंह खुला का खुला रह गया ...उसे भी अपनी खूबसूरती का पूरी तरह अहसास था... वोह धीरे धीरे चलती हुई मेरे पास आई और थोडा सा लड़खड़ा गई ...की...उसे सँभालने के लिए मेने अपनी बांहे फैला दी ... वोह कटी पंतग की तरह मेरी बांहों में सिमट गई ...उसकी गर्म गर्म सांसे मेरे चेहरे से टकराने लगी ...उसके बदन की खुशबु मेरे नथुनों से सीधा मेरे दिमाग में घुस कर उसे कुंद करने लगी ...कहने को तो वोह मेरी बांहों में थी ...पर हकीकत में ...मैं उसकी गिरफ्त में था नाकि वोह मेरी गिरफ्त में थी ....

मेरी पहले से ही बदहवास हालत को और ख़राब करने के लिए उस जालिम ने अपने होटो के सुलगते अंगारों की चिंगारी मेरे सूखते , कांपते और फडफडाते होटो में भर दी.....मैं जोश , आवेश और उतेजना में इतना मदहोश हो गया ...की.. मेरी साँस उखड़ने लगी और बदन इक सूखे पत्ते की तरह कांपने लगा ...उसने मेरी तरह देखा और मुस्कुराते हुए बोली ...बस अपने पे इतना ही काबू हैअभी तो बहुत बड़े तीसमारखां बन रहे थे ..इतनी जल्दी हालत ख़राब हो गई ....

अभी तो बोतल का सिर्फ ढक्कन ही खुला है और तुम्हारे होश उड़ने भी लगे ....

अबे उस कौन समझाता ...की बढ़िया शराब और गर्म शबाब का नशा तो बड़े बड़े पियकडो के होश उड़ा देता है ..हम तो वैसे भी सिर्फ यदाकदा के सूंघने वाले थे ...

उसने मुझे इक झटका दिया और अपना बदन ऐसे दूर किया ..जैसे किसी भूखे कुत्ते के जबड़े से किसी ने हड्डी खिंच ली ....उसके होटो के रसपान में मै ऐसा डूबा था ...की लगा जैसे अमृत का प्याला निकल जाने से अब मौत निश्चित थी .....

उसने अपनी ऊँगली को मेरे माथे पे ठोकते हुए कहा ...बहुत जल्दी रंग बदलते हो ..अभी तो तुमएलिनाके नाम की माला जप रहे थे ..अचानक ..तुम्हारा सुर कैसे बदल गया ...मैंने अपने खींसे निपोरे और उसकी तरफ कामुक और ललचाई आँखों से देखा और बोला ...

जैसे राजनीती में ना कोई किसी का हमेशा दोस्त या दुश्मन होता है ..वंहा तो सिर्फ मौका ही दोस्त या दुश्मन होता है ....वैसे ही हम आशिको का ....प्यार सिर्फ हुस्न से होता है .....भले ही लैला कोई भी हो ...

उसे मेरी बात में ना जाने क्या नजर आया ...की अचानक उसने मुझपे जंगली बिल्ली की तरह इक झपट्टा मारा और मेरे कमीज के कॉलर को पकड मुझे अपनी तरफ खींच लिया और देखते ही देखते ..उसने मेरे होटो को अपने दांतों तले कुचल दिया .....उसकी इस अदा से जंहा में रोम रोम वासना की आग  से अन्दर तक सिहर गया वन्ही मेरे होटो से हल्का सा खून छलकने लगा ....अब मेरा मुझपे काबू रहा ...मेने उसे बांहों में उठा लिया और जिन सीढियों से चढ़ कर वोह निचे आई थी ..उनपे चढ़ने लगा ...ऊपर पहुँच ..इक कमरे  में जो की बेडरूम था ..मेने उसे पटक दिया और उसके बाद मेने अपनी जिन्दगी का सबसे कामुक ,रोमांचकारी और तूफानी इश्क का सफर उसके साथ तय करना शुरू कर दिया  ...

हम दोनों पसीनों से तरबतर अपनी सांसो को नियंत्रतरित कर ही रहे थे ..की अचानक  काल बेल बजने की आवज सुनाई दी... मेरा बदन थक कर चूर चूर हो चूका था ....शरीर का हर अंग इक मीठे दर्द में डूबा हुआ था .....मैं शरीर को जंहा भी छूता ..वंहा या तो नाखुनो की खरोंचे या दांतों के काटने का दर्द उभर आता.......मेरी पूरी पीठ और छाती उसके नाखुने से छिली पड़ी थी.... चेहरे और गर्दन पे दांतों के गहरे गहरे निशान उभर आए थे....

लगता था जंगली बिल्ली ने कई दिनों बाद जी भरकर मलाई चाटी थी ...

मेने अपनी साँसों को सँभालते हुए ...उससे पुछा कौन आया होगा ?....उसने फिर जंगली बिल्ली वाला इक  किस लेते हुए कहा ..अरे कौन ..वही तुम्हारी मेडमएलिनाहोंगी  जिसके लिए तुम थोड़ी देर पहले तड़प रहे थे ..ऐसा कह उसने अपने हाथ से मेरे मर्दानगी वाले हिस्से को जोर से दबा दिया ....मै अचानक हुए इस  दर्द  से जोर का चिल्ला दिया ...की अचानक सीढियों पे किसी के कदमो की आवाज आती सुनाई दी ...

धीरे धीरे कदमो की आवाज ..हमारे बेडरूम की तरफ ही रही थी ...की ...अब मुझे डर लगने लगा ... डर के कारण मेरा दिल जोर जोर की आवाज में धडकने  लगा ..मेने मोनिका से फुसफुसाते हुए कहा ..अरे तुम्हारी बहन ने मुझे ऐसे तुम्हारे साथ देख लिया तो मेरी खैर नहीं ....

उसने हँसते हुए कहा.... अरे आराम से लेटे रहो ....तभी कमरे में एलिना का प्रवेश हुआ ..उसने हम दोनों को ऐसे देखा तो ..उसने मोनिका के गाल पे चिकोटी काटते  हुए बोली .... अरे जंगली बिल्ली ..सारी मलाई खुद ही खा गई या मेरे लिए भी कुछ छोड़ा है ?उसकी यह बात सुन मैं चोंक पड़ा ...एलिना उससे मुस्कुराते हुए बोली ....मैं अभी कपडे बदल कर आती हूँ तब तक इसे इक दो पैग पिला दो ....ताकि इसकी थकावट उतर जाए  और ऐसा कह वोह कमरे के अंदर वाले बाथरूम में चली गई ...

एलिना के जाने के बाद ..मोनिका बोली ...चलो भी मेरा पेट तो भर गया ..अब दीदी की बारी है ...मैं और दीदी दोनों इक साथ मिलजुल कर हर चीज को शेयर करते है ...ऐसा कह वोह अपने कपडे समेट वंहा से निकल गई ...मेरा रोम रोम थकावट से चूर चूर हो रहा  था .....

मेरी हालत उस आदमी की थी जिसने महीने भर का स्वादिष्ट खाना ...कुछ ही घंटो में खा लिया था और अब खाने के बारे में सोचने भर से उसे मितली रही थी ....पर उसे तो अभी खूब सारी मनपसन्द मिठाई भरे पेट में खानी थी ....

मेरा मन हिलने का भी नहीं हो रहा था और उसपे सेक्स के बारे में सोचना ही नामुमकिन था ..मैं अभी इसी उधेड़बून में लगा था ....की ...अचानक इक तेज खुशबु का झोका आया ..सामने देखा तो एलिना इक झीने सफ़ेद गाउन में मेर पास खड़ी थी ....

इस वक़्त देखने में ....वोह चांदनी रात में निकली  ऐसी अप्सरा लग रही थी ....जिसकी इक झलक भर से ....कब्र में सोये मुर्दे भी कफ़न फाड़ कर बहार निकल आते ...मैं तो फिर भी हाड मांस का चलता फिरता इन्सान था ...

उसे देख मेरा पुरुष अपने अस्तित्व से फिर से लड़ाई लड़ने  लगा ....पर उसपे थकावट इतनी हावी थी ..की मुझे एलिना को  देख ....उत्तेजना की बजाय ...शारीर में दर्द का अहसास होने लगा .....

वोह मेरे पास आई और मेरे कान के लो को अपने होटो से कुतरते हुए बोलो ....मेरा मुजरिम कैसा है ? जैसे ही उसने मुझे छुवा ....मेरी सांसे फिर से उखड़ने लगी और मैं रेगिस्तान में भटके मुसाफिर की तरह ...फिर से म्रग्मारिचिका में उलझ गया .....आज मुजरिम जज के हाथो में फंस गया था ...जिसमे उसे ऐसी सजा मिलनी थी ..जो निहायत खुबसूरत होते हुए भी अति कष्टकारी थी .....


By
Kapil Kumar 


Note: “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is purely coincidental. Do not use any content without author permission”


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