Wednesday 11 November 2015

वोह कौन थी?






रात ढलने लगी थी ....घर में बिस्तर पे लेटे लेटे टीवी सीरियल कंप्यूटर पे देख रहा था ....की थोड़ी ही देर में सीरियल की उट पटांग कहानी से बोर हो गया...तो सोचा.. थोडा अख़बार के ब्लॉग ही पढ़े जाए .....जब ब्लॉग पढ़ ही रहा था ..की किसी महिला ब्लोगेर का ब्लॉग पढ़ते हुए... कुछ प्रशन दिमाग में कोंधे और ना जाने की जोश में उसके ब्लॉग पे इक कमेंट ठोक दिया .....ऐसा ना था की यह पहला कमेंट था ....पर विषय कुछ ऐसा था की कमेंट करना कुछ जाएज सा लगा .....
              और हर बार की तरह कमेंट लिखा और भूल गया ...कुछ दिन बाद..यूँही इन्टरनेट पे ब्राउज़िंग करते हुए .... जब दुबारा उस ब्लॉग पे गया, तो उस कमेंट का जवाब पढ़, कुछ अजीब सा लगा और मेने उसके जवाब पे फिर इक कमेंट ठोक दिया ...यह सिलसिला / बार चला की मेरा आखिरी कमेंट उस ब्लोगेर ने पब्लिश ही नहीं किया ....बड़ा गुस्सा आया और जोश में इक लम्बा सा कमेंट फिर भेज दिया ....पर यह क्या? यह कमेंट भी पब्लिश नहीं हुआ.... उलटे इक ईमेल मेरे अकाउंट में आगयी .....शायद यह मेल, उस महिला ब्लोगेर ने भेजी थी ...जिसमे उसने मेरी अच्छी खासी क्लास ली थी .....की मेरा कमेंट बेहूदा था और मेने अपने आपको ऊँचा दिखाने और उसकी  बैज्जती करने में कोई कसर ना छोड़ी थी .....मेने मौके की नजाकत समझ उससे माफ़ी मांग ली ..और अपना पक्ष रखा ….पर वोह तो शायद पुरुषो से, इतनी नफरत मन में पाल के रखी थी कीउसे मेरी सफाई भी इक ढोंग से ज्यादा ना लगी .....

शायद, जिसके पाँव रेगिस्तान की धुप पे चलने से जले हों ..उसे जमींन पर भी संभल के चलने की आदत हो जाती है....
बात आई गयी हो गयी और मैंने भी बात को ज्यादा बढ़ाना उचित ना समझा ...इस बात को लेकर कुछ दिन यूँही बीत गए ....की इक दिन फिर उसका नया ब्लॉग आया और मेने उसपे भी इक कमेंट कर दिया .....फिर कुछ दिन बाद, मुझे इक ईमेल उस महिला ब्लोगेर से आई ...की मेने अपनी बेहूदा हरकत अभी तक नहीं छोड़ी है और कमेंट करने में उसे नीचा दिखाया है ...फिर मेने उससे माफ़ी मांग ली और अपनी सफाई रख दी ...इस बार शायद उसका दिल पसीज गया और उसने भी बदले में माफ़ी मांग ली ...बस इसके बाद तो मेरा और उसका ईमेल भेजने और लिखने का सिलसिला शुरू हो गया .....
और हम दोनी के बिच इक बिना किसी मेल मिलाप के इक ना दिखने वाली केमिस्ट्री बन गयी ......

ईमेल के जरिये ,हम दोनों अपने बारे में कुछ हलकी फुलकी बाते इक दुसरे की कर लेते...शायद हम दोनों जीवन के उस दौर से गुजर रहे थे ..जंहा जिन्दगी स्थिर हो जाती है !!
                  धीर धीर हमारी बातो का सिलसिला इमेल में बढ़ता ही गया ...जन्हा मैं अपने बारे में उसे सब कुछ बता  देता ....वोह अपने बारे में बहुत ही कम लिखती ..अधिकतर उसकी ईमेल में बड़ी सामान्य सी बाते होती ...की उसने क्या किया और कुछ ब्लॉग से संबधित बाते ......अपने बारे में बताने के नाम पे वोह ना जाने क्यों चुप्पी साध लेती ....इतनी सारी ईमेल भेजने और मिलने के बावजूद मैं उसके बारे में ज्यादा कुछ जान ना पाया .....मुझे सिर्फ उसका नाम मालूम था.... जो उसने ब्लॉग पर लिखा था और शक्ल सूरत के नाम पे बस ,उसकी वोह तस्वीर जो ब्लॉग पे देखि थी ..उससे ज्यादा मुझे कुछ और मालूम ना था .....

                            जाने क्यों मुझे ऐसा लगता.... जैसे वोह मेरे बारे में सब कुछ जानती है पर मेरे मुंह से सुनकर उसे अच्छा लगता की.... मैं कितना झूट और कितना सच बोलता हूँ ....जब भी मैं उससे.... उसके बारे में  जाने की कोशिस करता....वोह बड़ी सफाई से बातो का रुख मोड़ देती ...इतनी सारी ईमेल अपनी तरफ से भेजने और उसकी तरफ से मिलने के बावजूद सिर्फ मैं इतना जान पाया की वोह शादी शुदा है और इक बच्चे की माँ ....इससे ज्यादा वोह कुछ ना बताती ....उसने कभी भी अपनी बच्ची के बारे में कोई बात नहीं की ....बस कभी कभी अपने पति के बारे में कुछ कुछ लिख देती ...शायद जिस दिन वोह उसके साथ बुरा सलूक करता होगा ...वोह उस दिन अपने दिल का हाल मुझसे कह कर अपना दिल हल्का कर लेती .....

                        उसकी बाते सुन मेरा खून खोल उठता ..लगता था उसका पति उसपे खूब अत्याचार करता था ...फिर भी ना जाने क्यों.... वोह उसकी बातो को कुछ दिनों में भुला देती ....और कहती की वोह ही उसका सब कुछ है ....मुझे समझ ना आता की जिस इन्सान को वोह मन से पसंद नहीं करती उसके साथ वोह किस मज़बूरी के नाम पे रह रही है .....मेरे बार बार समझाने पे ,की वोह उसे छोड़ क्यों नहीं देती ... वोह झल्ला जाती और कहती ....की तुम मेरे दोस्त हो इससे ज्यादा..किसी और  रिश्ते की तुम उम्मीद मुझसे मत करना ....अगर उसका पति है तो उसका अस्तित्व हूँ ..अगर पति नहीं तो वोह भी इस दुनिया में नहीं ...बड़ी अजीब पहेली थी  ....
की कोई नरक से मोहब्बत.... इतनी शिदत से करे की ....स्वर्ग... नरक को देख शर्मा जाये !!!
जंहा मेने अपनी जिन्दगी के बारे सब कुछ खुली किताब की तरह उसके सामने रख दिया ....शायद ना भी रखता तो भी कोई फर्क ना पड़ता... वोह तो शायद पहले से ही मेरे और मेरे घर वालो के बारे में सब कुछ जानती थी ...पर उसकी जिन्दगी की किताब का तो.... मुझे सिर्फ कवर तक ही मालूम था ....उस किताब में क्या लिखा है... यह मेरे लिए हमेशा इक रहस्य की तरह रहता?? ....मैं भी ज्यादा जिद ना करता ....अन्दर से डरता की, कंही नाराज होकर वोह मुझे ईमेल भेजनी बंद ना करदे और बैठे बिठाये मैं इक इतनी अच्छी दोस्त खो दूं ....

                          वोह वाकई में बहुत अच्छी दोस्त थी ....ना जाने उसे कैसे मेरी परेशानी और दुःख दर्द का अहसास हो जाता और उसे दूर करने का वोह कोई ना कोई उपाय भी बता देती ....कभी कभी मुझे हैरानी होती की, उसे यह सब कैसे मालुम हो जाता.... मैं पूछता तो वोह कोई भी गोल मोल जवाब दे देती ..उससे ज्यादा मैं इसलिए ना पूछता ....की कंही वो बुरा ना मान जाये और उसे खोने के डर से ज्यादा पूछने की हिम्मत ना कर पाता....
                   ना जाने बिना, उसे मिले , बिना उसे  देखे ....कैसे और क्यों मेरा लगाव उसके प्रति दिन पे दिन बढ़ता ही गया.....ऐसा  महसूस होता ,की वोह, हर वक्त मेरे साथ है और मुझे देख रही है ...कभी कभी लगता मेरा वहम है पर जैसे ही आँखे बंद करता, उसका चेहरा ना जाने कंहा से घूम कर मेरे सामने जाता ... .धिरे -धिरे बडा ही अजीब सा रिश्ता मेरा उससे बनने लगा ....जिसे इस आधुनिक युग में कोई भी सामान्य बुधि वाला इन्सान ना मानता और मुझे ही पागल या सनकी समझता ...मैं भी जानता था की इक बैज्ञानिक सोच रखने वाले इन्सान को ऐसी फिजूल की बातो में नहीं पड़ना चाहिए... पर जब कोई हर वक़्त आपके साथ हो... पर आपको दिखाई ना दे तो आप क्या सम्झंगे और क्या सोचेंगे?? .....

                           कभी कभी वोह... अपने दिल की बाते मुझसे कर लेती और उसकी बातो से लगता था... जैसे वोह भी इक कठिन जीवन जीने को मजबूर है ....शायद उसकी शादी उसकी बिना मर्जी के हुई थी और वोह अपने पति से पूरी तरह से खुश नहीं थी ....पर उसके संस्कार और शायद किसी को दिया वचन... उसे उसके साथ रहने पे मजबूर करता था .....मेरे पूछने पे वोह कुछ भी खुलके ना बताती .... मुझे यह बात समझ नहीं आती थी ...अगर वोह अपने पति से खुश नहीं है तो उसके साथ क्यों रहती है ...ऐसा क्या मज़बूरी है जो उसे जिन्दा लाश के रूप में जीने को मजबूर कर रही है !...
                  उसका यह दुःख मेरे अन्दर इक हलचल मचा देता ...शायद मैं अपनी जिन्दगी में भी उसी तरह से अपनी  पत्नी से परेशान था ....जिस तरह से वोह अपने पति से ....पर मेरा ,जिन्दगी भर अपनी पत्नी के साथ सड़ने का इरादा ना था और ना ही मेने अपने जीवन में इतने ऊँचे आदर्श रखे थे की मैं अपनी पत्नी के सिवाय किसी और स्त्री की तरफ नहीं झुकूँगा .....

                  मेरे  जीवन का सीधा सा फंडा था ...अगर पत्नी आपकी कद्र नहीं करती ....तो मैं भी उसकी परवाह नहीं करता ...पर वोह तो... इन सब बातो से जुदा थी .....वोह अपने पत्नी धर्म का पालन पूरी निष्ठा से करना चाहती थी ....
                                  अगर कभी वोह बहुत ज्यादा दुखी होती.... तो थोडा सा हिंट दे देती.... पर जब उसका मूड ठीक होता, तो पुरानी बातो को मजाक में उडा देती ....उसकी इन्ही बातो से ,मेरी और उसकी कभी कभी, छोटी मोटी लड़ाई भी हो जाती.... जो / दिन से ज्यादा ना चलती ....क्योकि उसके ईमेल के बिना मेरे जीवन में  सब कुछ फीका और सूना सा हो जाता ...अधिकतर वोह ही अपनी गलती मान कर ,माफ़ी मांग लेती ...ना जाने क्यों, उसे माफ़ी मागने में बड़ा मजा आता ....या कभी कभी मुझे लगता, की वोह अपने जीवन में शायद इतना प्रताड़ित हो चुकी है.... की उसे हर किसी लड़ाई झगडे में अपनी ही गलती लगती थी .... जबकि उस झगडे मे भले ही उसकी कोई गलती ना होती ....उसकी यह मासूम अदाए मुझे उसकी और इक चुम्बक की तरह खींचती ...ना जाने क्यों लगता उसका मेरा जन्म जन्म का रिश्ता है ...जिसे शायद वोह तो जानती है पर मैं अभी तक समझ नहीं पा रहा हूँ??....
उसकी इस आदत के कारण ,मैं भी, उसके कुछ ना बताने की, उसकी जिद को ज्यादा तूल ना  देता ..... पर मेरा दिल अन्दर ही अन्दर उसकी इस मज़बूरी पे रो भी पड़ता ....

                    जब कोई इतना अच्छा और सच्चे दिल का इन्सान तुम्हारा दोस्त हो... तो भला आप उसे कैसे खो सकते है? ....मुझे लगता वोह मेरी जिन्दगी में आजाये तो मैं उसे दुनिया की वो सारी खुशियाँ दू जो उसे अभी तक मिल नहीं पाई थी ....पर कई बार जिन्दगी में ऐसे लम्हे भी जाते ....जब वोह कुछ अपने बारे में बता देती ....पर जब मैं पूरी बात पूछता.... तो उसे वोह फिर हवा में उड़ा देती ...ऐसे करते करते / महीने बीत गए... पर इन महीनो में वोह मेरे बारे में इतना जान चुकी थी.... की शायद मेरी बीवी भी मेरे साथ २० साल रहने के बाद भी मुझे ......इतने अच्छे से नहीं समझ पाई थी या उसने समझना ही नहीं चाहा था ?.....
                                      इसी ईमेल के चक्कर बाजी में, मेरा दिल उसमे इतना उलझ गया की ....मुझे दिन रात सिर्फ उसके ख्याल आते और ऐसा लगता जैसे वोह मेरे अक्श में समा सी गयी ....मेने अपना प्रेम निवेदन, उसके सामने कई बार सीधे तो कई बार अलग अलग तरीके से किया....

पर हर बार, उसने बड़ी सफाई से उन्हें ठुकरा दिया.... की उसका... मेरा आदमी और औरत का रिश्ता इस जन्म में संभव नहीं? हम इस जन्म में सिर्फ ,इक दोस्त से ज्यादा और कुछ नहीं हो सकते !!
                               ना जाने इक दिन, मेरे दिमाग पे क्या फितूर सवार हुआ की मेने उसे अल्टीमेटम दे दिया की... या तो वोह मेरे प्रेम को स्वीकारे नहीं तो मुझे कोई भी ईमेल ना भेजे ......शायद इस बार उसने मेरी बात को काफी गंभीरता सा लिया और मुझे ईमेल भेजनी बंद करदी ....
                           मेरी इस नादानी की सजा यह हुई की... अब दिन रात में अपने ईमेल अकाउंट में जाकर देखता... शायद उसने कोई मेल भेजी हो.... पर लगता था ,वोह भी वचन की पूरी पक्की थी ...

 मुझे नहीं मालुम था, उसकी क्या मज़बूरी थी? वोह किसी वचन से बंधी थी या उसने सिर्फ अपना दुःख किसी के साथ शेयर करने की नीयत से यह दोस्ती स्वीकार की थी??.....
                  पर मेरी हालत तो दिन रात उसके ख्यालो में डूब इक मजनू जैसी होने लगी ...जब भी किसी लड़की को देखता तो उसका अक्श उभर आता ....किसी भी लड़की या औरत के साथ फ्लर्ट करता... तो मन में अन्दर से गिलानी सी होती ....जो उसे जानने से पहले कभी ना होती थी!!

               यह उसकी कैसी दोस्ती थी या मेरा उसके प्रति प्रेम ,जो मुझे उससे दूर होने पे अजीब सी बैचेनी देने लगा था.....मैं उसे पाने के लिए दिन रात तडपने लगा ..पर यह इतना आसन ना था ...वोह थी हिंदुस्तान में दुनिया के दुसरे कोने में ८०००० मिल्स दूर कंही ओर....उससे मिलता भी तो कैसे ?
                                             देखते देखते हमारी बोलचाल (ईमेल सवांद )को बंद हुए महीने बीत गए ....शुरू शुर में तो उसके इक दो ब्लॉग अख़बार में आये.... उन ब्लोग्स पर मेरे कमेंट पर उसने  कभी जवाब दिया और कभी नहीं भी दिया ....फिर कई महीनो तक उसका कोई भी ब्लॉग पब्लिश नहीं हुआ ...मैं इंतजार करता की, कब उसका ब्लॉग आये और कब मुझे उसकी खोज खबर लगे ....इसी कशमकश में महीने और बीत गए पर  उसकी कोई खोज खबर ना लगी ...अब मुझे उसकी चिंता सताने लगी की वोह कंहा गायब हो गयी थी .....जब मेरे से अपनी बैचेनी बर्दाश्त ना हुई तो मेने उसकी खोज खबर लेने के लिए हाथ पावं चलने शुरू कर दिए ....उसे गूगल में सर्च किया ...उसे इंडिया की सर्च साईट पे ढूंडा पर कंही भी उसका पता ठिकाना ना मिला ....इंडिया में ढूंडता भी तो कंहा पर उसे ढूंडता .....उसने अपने बारे में कभी कुछ बताया ही नहीं था ....सिर्फ उसका नाम और तस्वीर जो ब्लॉग पे थी ..उसके अलावा मुझे उसके बारे में कुछ भी नहीं मालूम था .....और कोई चारा ना देख मेने उसे धुंडने के लिए हिंदुस्तान जाने का निर्णय ले लिया.....

                      हिंदुस्तान पहुँच कर ...इक दो दिन अपने घर रुकने के बाद, मैं उस अख़बार के दफ्तर पहुँच गया जन्हा से उसका ब्लॉग पब्लिश होता था ....पर वंहा तो कोई भी ....कुछ भी बताने को तैयार ही ना था ..फिर किसी तरह से कोई जान पहचान निकाल कर ,मेने  अख़बार के संपादक से मिलने का जुगाड़ बैठा लिया ....
पहले तो अख़बार का संपादक किसी भी ब्लोगर की व्यक्तिगत बात बताने से इंकार करने लगा ....पर मेरे बहुत जोर देने और यह बताने पर की मैं सिर्फ उसकी खोज खबर लेने हिंदुस्तान आया हूँ ...तो उसे मुझपे तरस आगया .....
                              संपादक ने मुझसे उसकी डिटेल्स मांगी की उसका नाम क्या है और उसके कौन कौन से ब्लॉग और कब पब्लिश किये  थे...मेने उसे उसका नाम बताया और कुछ ब्लॉग के नाम बताये ....तो उसने थोड़ी देर खोज बीन के बाद कहा ..लगता है आपको कोई गलतफहमी हुई है ...हमारे अख़बार में कभी इस नाम से किसी महिला ब्लोगेर ने कोई ब्लॉग नहीं लिखा ....बल्कि जो नाम आप ले रहे है ..इस नाम की कोई महिला ब्लॉगर ही नहीं है ....

                        मुझे संपादक की बात का विश्वास नहीं हुआ.....मैं बोला.... मेरे पास उन ब्लोग्स की कुछ कटिंग है ..वोह मैं कल लेकर आऊंगा ....तब आप फैसला कर लेना ..की मेरी बात सही है या नहीं ?
                  उसना कहा ठीक है ....आप कल आकर मिले ...मैं बड़े मायूस होकर अख़बार के दफ्तर से बहार आगया ...इतनी दूर चलके हिंदुस्तान जिसे खोजने आया था ...उसके अस्तित्व का ही पता ठिकाना ना था ...खेर घर पहुँच मेने उस फाइल को निकाला ,जिसमे उस महिला ब्लोगर्स के ब्लोग्स की पेपर कटिंग और  उसकी फोटो थी ....
                                  जब मेने फाइल खोली, तो मैं चोंक गया ...फाइल तो खाली थी ..उसमे तो कुछ भी ना था ....जो पेपर कटिंग मेने काट के फाइल में रखी थी ....वोह तो सफ़ेद कागज के टुकड़े भर थे ....ऐसा लगता था ..जैसे छपाई की श्याही उनसे उड़ चुकी थी ...मुझे विश्वास नहीं हुआ ....ऐसा कैसे हो सकता है ....हिंदुस्तान आने से पहले मेने खुद अपने हाथो से प्रिंट निकला था ....कल तक तो इस फाइल में सब कुछ ठीक ठाक था ....मेने खुद अपनी आँखों से घर आकर देखा था ..फिर यह क्या हुआ ?कैसे सारे प्रिंट अपने आप उड़ गए ?

                     पर मैं भी हर मानने वालो में से नहीं था ....मेने इक स्केच आर्टिस्ट को ढूंडा और उसे बुला कर उसकी तस्वीर बनाने के लिए बोला ....आर्टिस्ट दुवारा बनाई तस्वीर को लेकर मैं अख़बार के दफ्तर गया और वोह तस्वीर मेने संपादक के सामने रख दी .....वोह तस्वीर देख के उछल पड़ा ....और बोला... तुम इसे कैसे जानते हो?....
                     मैं बोला ...यही तो वोह महिला ब्लॉगगर है ..जिसके ब्लॉग के बारे में मैं आपसे बात कर रहा था ....इसपे ..उसके कुछ ना कहा और थोड़ी देर चुप होने के बाद बोला.... यह हमारे यंहा कभी काम करती थी .....फिर किसी कारन वश इसकी अख़बार के मालिक से कुछ ख़त पट हो गयी और यह नौकरी छोड़ के चली गयी ...पर यह तो बहुत पुरानी बात है .....इसकी उम्र तब यह रही हो गी जो तुमने मुझे इस फोटो में दिखाई है ...आज के हिसाब से तो अब यह काफी उम्र की होनी चाहिए .....

                        पर यह तो लगता है जैसे उस उम्र की फोटो है जब वोह यंहा काम करती थी .....मेने संपादक से पुछा ..और वोह ब्लॉग जिनका मेने जिक्र किया ..वोह क्या है .....उसपे वोह बड़ा सीरियस हो गया और बोला ...जिन ब्लॉग की आप बात लार रहे है ....ऐसे ब्लॉग हम आने वाले हफ्तों में लाने की प्लानिंग कर रहे है ..और अभी सिर्फ उनका ड्राफ्ट तैयार हुआ है जिन्हें हम भविष्य में पब्लिश करेंगे ...पर हैरानी की बात यह है ..जिन टॉपिक्स का आपने जिक्र किया है उनमे से आधो पे तो अभी तक काम भी नहीं हुआ ...फिर आपको विदेश में रहकर इन सबके बारे में इतनी डिटेल्स में कैसे पता ?
अब चोकने  की बारी मेरी थी .....की वोह अपनी जगह सही था और मैं अपनी जगह सही!! ...
मुझे आज तक यह रहस्य समझ नहीं आया ....की ....वोह कौन थी ?पर वोह जो भी ..थी उसे खोकर शायद मेने दुनिया की सबसे अनमोल चीज खो दी थी ........
मैं आज भी उसकी तलाश में हूँ इस उम्मीद के साथ की ......शायद उसे मुझपे तरस आजाये और मेरी गलती को माफ़ कर मेरी जिन्दगी में वापस जाये !!!
मैं सिर्फ इस उम्मीद पे जिन्दा हूँ  ...की ...उम्मीद पे दुनिया कायम है ....



By

Kapil Kumar 



Note: “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or

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