Friday 13 November 2015

चींटिया !


मैं (कपिल )जल्दी जल्दी सीढियाँ चढ़ता हुआ अपने कोर्ट रूम की तरफ जा रहा था ...आज मुझे इक फ्रॉड केस में सरकार की मदद करने के लिए बुलाया गया था .. किसी प्राइवेट म्यूच्यूअल फण्ड ने कुछ ही दिनों में अपने को दिवालिया घोषित कर जनता का पैसा डकार लिया था  ! हमारे डिपार्टमेंट को शक था की वोह पैसा अब भी उसी म्यूच्यूअल फण्ड के किसी इन्वेस्टमेंट में लगा हुआ है और वोह सामने होते हुए भी हमें दिखायी नहीं दे रहा ...

इस केस के लिए मेने कई दिन की मेहनत के बाद इक रिपोर्ट तैयार की थी जिससे साफ़ जाहिर था यह घपला पूरी समझदारी और जान बुझ के किया गया था .. फण्ड मेनेजर ने पैसा ,किसी ओवरसीज अकाउंट में किसी NGO को डोनेशन के नाम पर छुपाया हुआ था ... खेर, केस में कोई ज्यादा दम नहीं था और हम फण्ड वालो को पूरा नंगा करने के लिए कोर्ट में तैयार थे .... सीढियों पे चढ़ते चढ़ते , मेरा सामना "सोफिया " से हो गया .. हम दोनों इक दुसरे को देख चौंक गए .. 

सोफिया चिल्लाई ..हे कपिल ... ! कान्हा थे इतने दिन ?...

मेने  उसे देख हाथ हिलाया और उसे जल्दी से इक हग देकर बोल , अभी टाइम नहीं है कोर्ट केस का टाइम हो गया, तुम मुझे 12 बजे के करीब यंही बहार मिलो ,जल्दी जाना है ... वोह बोली कौन से रूम में हो ... मैं  जल्दी जल्दी दौड़ता हुआ चिल्लाया रूम 203 में मेरा केस है 12 बजे यंही मैं इंतजार करूँगा और ऐसा कह मैं  सोफिया से बिना कुछ कहे सुने वंहा से चल दिया ..... कोर्ट रूम में आकर मेने  अपने केस लड़ने वाले वकीलों के ग्रुप से कुछ सलाह मशविरा किया और उन्हें अपनी रिपोर्ट सोंप दी!

जज के आने पर केस की करवाई शुरू हुईकी ...मैं बचाव पक्ष (म्यूच्यूअल फण्ड ) के वकील को देख चौंक पड़ा .. उनका केस "सोफिया " लड़ रही थी ... मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ ..
जो लड़की कल तक किसी का “1 सेंटभी अपने उप्पर रखती थी …..
जो हर हफ्ते गरीबो को अपने पैसो से खाना खिलाने जाती थी .. वो जानते बुझते इतने बड़े फ्रॉड केस को कैसे लड़ सकती है ...
उसे केस रिप्रेजेंट करते देख मुझे उसके साथ बिताये वोह लम्हे याद हो गए ,जो हम दोनों ने "होवार्ड " में इक साथ बिताये थे ...
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इंजीनियरिंग करने के बाद अपने भविष्य को उज्वल करने के लिए मेने "GRE" और “Toffel” का एग्जाम  दिया और सोचा ,की जैसा स्कोर आएगा उसी के हिसाब से अपना भविष्य तै कर लेंगे ....खेर काफी यूनिवर्सिटीज में अप्लाई करने के बाद मुझे "होवार्डसे "MS" करने का ऑफर मिल गया ... मेरी ख़ुशी का ठिकाना था .. पर यह ख़ुशी जल्दी ही काफूर हो गयी .. जब उनके लैटर में यह लिखा था .. की मुझे शुरू के 6 महीने अपनी फीस और रहने की वयवस्था खुद करनी है ... उसका खर्च देख मुझे बेहोशी आगई ....

मुझ जैसे गरीब के पास अमेरिका जाने का हिसाब किताब ही मुश्किल से 2 साल की नौकरी मे बना था .. उसमे इन एग्जाम को तैयार करने और देने  और कॉलेज अप्लाई करने का खर्चा ...
उसपे ,बिना स्कालरशिप के तो मेरा जाना मुनासिब था ...मेने 1/2 महीने के खर्चे के लिए तो पैसे जोड़ रखे थे पर 6 महीने बहुत बड़ी बात थी .. उस ज़माने में बैंक वाले भी पुरे प्रोफेशनल होते थे ,जो लोन, हम जैसे गरीबो को तो देने में 50 कागजी करवाई करवाते थे .. किसी तरह हाथ पैर मार , कुछ लोन ले , कुछ उधार लेमैं अमेरिका  गया ...

और यंहा ("होवार्ड ") मेरी मुलाकात सोफिया से हुयी थी हम दोनों जल्दी ही अच्छे दोस्त बन गएशायद मुफलिसी हम दोनों की इक कॉमन दोस्त थी ! वोह फटेहाल डाइवोर्स माँ बाप की औलाद थी और मैं इक फटेहाल बड़े परिवार का अकेला जल सकने वाला चिराग .. हम दोनों अपने टीचर्स की चमचा गिरी में लगे रहते कीहमें कुछ जूनियर क्लास पढ़ाने को मिल जाये तो कुछ पैसो का बंदोबस्त हो जाये .. सोफिया का होवार्ड में लॉ (कानून की पढाई )का  तीसरा साल था और मेरा यह पहला तो उस जैसी दोस्त से मुझे सलाह मशवरा के अलावा और कई चीजो में बहुत मदद हो जाती थी .......

खेर, केस में ज्यादा दम नहीं था और ही सोफिया पे ज्यादा दलील .. शायद उसे भी पता था केस हारना तैय है

पर उसकी कंपनी चाहती थी की उन्हें फाइन कम से कम लगे और उनका फ्रॉड छोटे से फाइन की आड़ में छिप जाये ..पर मुझे देख शायद ..सोफिया ने बिना लड़े ही अपनी  हार मान ली थी .... जन्हा केस ख़त्म होने के बाद मैं जब चैम्बर (कोर्ट रूम ) से बहार आया तो कोर्ट की बिल्डिंग का  गलियारा पूरा खाली था , मेने इधर उधर जाकर विजिटर रूम में भी देखा पर सोफिया का कंही अता पता था .. थोडा सा मायूस चेहरा लिए मैं कोर्ट से बहार आगया .. ना जाने क्यों आज इतना बड़ा केस जितने के बाद भी अपने को हारा हुआ महसूस कर रहा था .. जैसे ही मेने सडक पे इक टैक्सी को देख हाथ बढाया…. कीइक लिमोजीन (बड़ी लम्बी सी कार ) मेरे पास आकर रुकी और इक हाथ ने मुझे अन्दर आने को कहा . मैं कुछ विस्मित सा उसे देख ही रहा था की अन्दर से सोफिया की आवाज आई ..

अरे कपिल .. अन्दर आजाओ ...सोफिया को देख मेरे चेहरे पे ऐसे रोनक आगई जोसे मुरझाते गुलाब को नया पानी जीवन दान के रूप में मिल गया .. मैं झट लपक कार के अन्दर घुस गया ...

आज से पहले मेने लिमोजीन सिर्फ सडक पर चलते देखि थीपर उसमे बैठने का सोभाग्य आज मिला था .. कार ,क्या थी पूरा चलता फिरता इक छोटा सा ऑफिस थी .. जिसमे दोनो  तरफ  छोटे से सोफे थे और बिच में इक बार टेबल और पीछे की तरफ इक फोल्डिंग बिस्तर नुमा  सोफा सा था ... मैं अपनी नजरे इधर उधर घुमा रहा था की सोफिया ने मुझे टोका ....

लगता है आज भी तुम्हारी आदत बदली नहीं .. कल भी तुम मुझे ढंग से देखते तक ना था और आज भी इधर उधर तांक झांक  में लगे हो ...मेने उसे नजर उठा कर देखा .. तो वाकई में उसकी शिकायत वाजिब थी ..
वोह आज भी अपनी उम्र को चुनोती देती लगती थी .. सोफिया इक पोने छे फीट की लम्बी दुबली  पतली बहुत ही खुबसूरत लड़की थी .. जिसके ऊपर उस ज़माने में उसकी लॉ क्लास का हर लड़का कुर्बान था .. ना जाने क्यों उसे मुझ जैसे घसीटे की दोस्ती गवारा थी .. जबकि मैं देखने में साधारण और जेब से फटेहाल था ….

कई बार तो चाय नाश्ते के बिल भी सोफिया ही देती थी …...
उसका दिल रखने के लिए मेने बोला …अरे तुम तो बहुत खुबसूरत लग रही ही .. लगता नहीं की हम आज 20 साल बाद मिल रहे है तुम्हरी खूबसूरती तो पहले से भी ज्यादा बढ़ गयी ...

उसने मुझे घुर कर देखा और मुस्कुरा के बोली ज्यादा फैकने के जरुरत नहीं .. तुमने मुझे बताया क्यों नहीं की तुम न्यूयॉर्क  रहे हो…. कम से कम तुम से तो मैं यह केस पहले डिस्कस कर लेती तो हमारी फर्म का नुकसान बच जाता .. मुझे उसकी यह बात सुन तगड़ा झटका लगा मैं बोल .. तुम्हे मालूम है .. कानून के हिसाब से हमें आपस में  केस से सम्बंधित कोई भी बात नहीं  करनी चाहिए …..

पर तुम तो बड़ी सिधान्त्वादी सोच की इक मदर टेरसा टाइप लड़की थी .. तुम कैसे इतना बदल गयी ? .. वोह बोली पहले यह बताओतुम अपनी पढाई छोड़ के बिच में क्यों चले गए ?….

मैं बोला ,मुझे घर की आर्थिक परेशानी के कारण जाना पड़ा .. हमारे घर पे बहुत सारा लोन था .. जो काफी महीने से दिया नहीं गया था और किसी ने मुझे इसके बारे में बताया भी नहीं .. जब बैंक वाले घर की कुडकी करने आगये तो घर वालो ने मुझे अर्जेंट बुलावा भेज दिया और  इंडिया जाने के बाद मुझे बैंक का हिसाब किताब करने में वोह सारा पैसा देना पड़ा जो मेने अपनी पढाई के लिए लोन लिया था .. अब जब पैसा ही पल्ले हो तो मैं अमेरिका आकर क्या झक मारता .. कब वक़्त बीत गया पता भी ना चला और वक़्त के बहाव ने यंहा लाकर पटक दिया  …..फिर घर  नौकरी के चक्कर  में ऐसा उलझा की कब हिंदुस्तान पीछे छुट गया पता भी ना चला ...

पर सोफिया, तुमने ऐसा केस क्यों लड़ा? ...मेने बड़े आश्चर्य  से पुछा ... 
वोह हंसी .. तुमने अपने घर के लिए अपना करियर बर्बाद कर दिया .. और मेने अपने हस्बैंड के लिए अपना जमीर …..
उसकी माली हालत ठीक करने के लिए …. मुझे इक बार इक फ्रॉड का केस लड़ना पड़ा और मैं उसमे जीत तो गयी पर अपना जमीर हार बैठी … बस इक बार जीतने  का चस्का लगा की अब सही गलत कुछ रह नहीं गया .. वैसे भी यह मिडिल क्लास तो चींटी  की तरह होता है ….. जिसे सिर्फ इकठा करना आता है ……

उसका इस्तमाल तो सिर्फ  हम जैसे घास के टिड्डे करते है यह चींटियाँ इक इक दाना करके जोडती है और हम इक ही झटके में सारा खाना ले फर हो जाते है ....... ...

यह लोग सारी जिन्दगी सपनो के भंर में फसे अपनी गाढ़े पसीने की कमाई जोड़ जोड़ कर इकठा करते है .. .....इनकी आधी  जिन्दगी उस इन्वेस्टमेंट के घाटे को पूरा करने में लग जाती है और बाकी आधी  उसे बढ़ता हुआ देखने में .. ना तो यह उस पैसे को खर्च करते है उस पैसे का कोई सुख़ भोग पाते है .........

उनका यह पैसा ..हम जैसे अमीर इक ही झटके में हडप कर जाते है इन्हें पता भी नहीं चलता ...........
और ऐसा कह उसने अपनी इक सिगरट सुलगाई और उसका धुवां मेरी तरफ उड़ा दिया ....

उसकी यह बात सुन मैं सकते में आगया .. और सोचने लगा कब यह टिड्डी मरेगी और चींटियो को अपना हिसा इनके शारीर के रूप में वापस मिलेगा .. शायद आज मेने कुछ चींटियो का भोजन तो बचा लिया था .. पर कब तक ?

Note: “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is purely coincidental.' 


 बलात्कार से बचने के उपाय !


यह विषय बहुत गंभीर और संवेदनशील है , इस पे  कुछ लिखना और कहना इतना आसन नहीं है ! मैं इस विषय का एक्सपर्ट भी नहीं हूँ और ही इक मनोचिकित्सक और ही कोई मनोविज्ञानिक और ही किसी कानून को लागू करने वाला ........ शायद वोह लोग इसे जिस तरह से देखते है और समझते है और मेरा समझना शायद वैसा हो और भी हो!  पर इक बात जो मुझे सबसे ज्यादा सालती है की सब लोग भेड़िया आया आया तो चिल्ला रहे है ,भेडिये को मारने की बात भी कर रहे है और ऐसा भी सोच रहे है की भेड़िया कभी आने ना पाए ! मुझे इन सब बातो से इंकार नहीं पर असली मुद्दा यह है की
अगर आए तो क्या कोई उसे मारने वाला हमेशा आपके साथ होगा ?
क्या ऐसा संभव है की भेड़िया कभी फिर ना आयेगा ? ..
यह समाज जब तक है भेड़िया हमेशा आता ही रहेगा  और हमें उससे मुकाबला करना सीखना ही होगा !....
अगर भेड़िया आपके सामने आजाये तो आप क्या करे ....इसलिए मेरी सोच यह कहती है अपनी सुरक्षा करना खुद सीखो और हमेशा बुरे वक़्त के लिए तैयार रहो और ऐसी ही सिख हमें अपने सामाज को भी देनी चाहिए है ...
हम बलात्कारी (भेड़िया ) को तीन भागो में बाँट सकते है !

1.प्रोफेशनल बालात्कारी ...
यह उस तरह के लोग होते है जिनमे अनुवांशिक विकार होता है इनकी जींस में कुछ खराबी इनके जन्म के साथ चलती है! यह लोग बचपन से सी शातिर किस्म के बदमाश होते है कई बार ऐसे लोग गलत परवरिश का भी नतीजा हो सकते है .. इन्हें ना तो कुछ समझ आता है ना इन्हें कुछ समझाया जा सकता है .. ऐसे लोग बहुत शांत और शातिर किस्म के होते है .. यह बलात्कार बहुत सोच समझ के पूरी योजना के साथ बनाते है .. यह अपने शिकार की पूरी गतिविधियों को कुछ दिन / महीने देखने के बाद अपनी योजना को अंजाम देते है ...
ऐसे लोग आप को सामाज में ईक सफेदपोश लबादा ओढ़े मिलंगे , जिनकी पहचान इतनी आसन नहीं है .. 
ऐसे लोगो को पहचाने और उनसे से बचने के उपाय ...
जब भी कोई अनजान व्यक्ति वीरान जगहों पर आप से अत्यधिक  आत्मीयता से बात करे .. और गाहे बगाहे आपका उसका सामना वीरान जगहों पर इक या दो बार से ज्यादा हो जाये तो आप को अपने को सतर्क करने का अन्टीना खोल लेना चाहिए ...


1...उस व्यक्ति से बात बिलकुल ना करे .. ऐसे लोग हो सकता है आपसे कोई रास्ता पूछनगे।। किसी तरह की निर्बलता दिखा कर आपकी सहानभूति लेना चाहंगे ताकि आपका विश्वास जीत आप को अकेले में ले जाकर आप पे हमला कर सके ..
2..कभी किसी अनजान  व्यक्ति के साथ  कम भीड़ भाड़ या एकांत स्थान पर बात बिलकुल ना करे! जैसे  सनेमा हाल  का कोना ,  कम भीड़ भाड़ वाला मेट्रो का डब्बा या स्टेशन , बस स्टैंड , सुनसान बाजार , दूध का बूथ  आदि आदि , आपकी थोड़ी सी लापरवाही आपको बहुत बड़ी मुसीबत में डाल सकती है ..ऐसे लोग हमेशा अपने को कमजोर , दयनीय दिखा कर आप पे बहुत तेज और जोरदार हमला का सकते है !

अगर आप ऐसी किसी स्थिति में फंस जाए ..
A.... पहले अपने आप पर विश्वास करे  की आप उससे लड़ सकती है ..उसकी ताकत और आपकी इस्मत का फैसला आपका होसला है अपनी हिम्मत को बिलकुल टूटने ना दे ..ऐसे लोग हमेशा शिकार पर धीरे धीरे हमला करते है ..इसलिए आपके पास वक़्त है अपनी ताकत और बुद्धि का प्रयोग कर इस मुसीबत से निकल भाग सके ...
B.... उसकी कमजोर हिस्से पे मौका मिलते ही जोर से प्रहार करे ..उसकी आँखों को अपने दोनों अंगूठो से पूरी तरहा से नोंच डाले .. मौका मिलते ही उसके सर पर कोई जोरदार प्रहार करे .. अगर यह कुछ कर सके तो उसके कपडे  उतरने का इंतजार करे और जैसे ही उसका ध्यान बंटे उसके गुप्तांग को अपनी मुठी से जोरदार भींच ले और उसे तब तक ना छोड़े जब तक उसका चेहरा पूरा लाल ना हो जाये ....और मौका देख मदद के लिए चिल्लाना शुरू करदे और भाग जांए .... आप को यह सब काम अति शीध्र करना होगा अगर उसने आपको रस्सी या किसी से बांध दिया तो आपके पास ज्यादा मौके नहीं होंगे …..उस स्थिति में आपको बहुत ही कड़ा फैसला लेना होगा की .. अगर  मौका मिले तो उसके कान को चबा ले  ,यह भी ना मिले तो उसे चूमने का मौका दे और उसकी जिव्हा को अपने दांतों से पूरी काट डाले... नहीं तो  जैसे ही मौका मिले उसके गुप्तांग को अपने मुंह में ले जोर से काट डाले ... नहीं तो जीवन भर आपको अपनी कायरता पर मलाल होगा ... यह बहुत अच्छी स्थिति नहीं है पर उस यातना से बेहतर है जो आने वाले वक़्त में हो सकती थी …..

2.कमजोर इच्छा वाले ...
ऐसे लोग आदतन इस अंजाम तक पहुचना नहीं चाहते पर अपने बचाव या आवेग के वश में ऐसा कर बैठते है , यह लोग छोटे मोटे गुंडे या लडकियों से छेड़  छाड़ करने वाले शोहदे टाइप होते है .. अगर समाज में इन्हें सही समय पर कड़ा दंड मिले तो इने पनपने से रोका जा सकता है ...
यह लोग आप से कोई झगडा करने के मूड में होते है .. और उस झगडे को अपने मान सम्मान का मसला बना आप पर हमला कर सकते है .. यह लोग अधिकतर आपके जान पहचान के या आपके आस जैसेआपके मोहल्ले के या  ऑफिस के  या आपके साथ बस में या ट्रेन में सफ़र करने वाले  बदनाम लड़के/आदमी जो छोटी मोटी छेड़  छाड़  करते है पर किसी नाराजगी या अवसाद में ऐसा भी कदम उठा सकते है ..

अगर आप ऐसी किसी स्थिति में फंस जाए ..
ऐसे लोगो की नजरो से बचकर रहे ... अगर  वोह आपके साथ बेहूदा हरकत करे तो उनकी शिकायत तुरंत करे .. उन्हें बिलकुल नजर अंदाज ना करे , क्युकी आपकी लापरवाही उनके होसले को बढ़ावा देती है ..
ऐसे लोग कमजोर दिल के और अनाड़ी मुजरिम हो सकते है .. अगर आप इन लोगो की हवस का शिकार बने तो .. उन्हें समझाने  से  या उनसे माफ़ी मागने से उस वक़्त आप अपनी विपदा को टाल सकती है ..ऐसे लोग अपनी इज्जत की शान में आप को छोड़ सकते है .. पर आजाद होने पे उनके ऊपर जरुरी कड़ी करवाई करे ...
फिर भी आप उन्हें समझा सके तो उप्पर बताये तरीके से उनपे काबू पाने की कोशिश करे ...
आपका होसला ही आपकी ताकत है ..
दुनिया की कितनी भी ट्रेनिंग किसी काम की नहीं जब तक आप अपनी हिम्मत से अपनी लडाई खुद नहीं लडती ....

3.बहके हुए अपराधी  ...

ऐसे लोग आदतन आपराधि नहीं होते पर दुसरो के उकसावे में आकर ऐसा अपराध कर बैठते है जिसका अंदाजा उन्हें भी नहीं होता …..
ऐसे अपराधी अधिकतर ग्रुप में होते है जो किसी बहाने आपसे उलझ कर ऐसा जघन्य अपराध कर बैठते है .. इस तरह के लोग गलत संगति , नशे में या बदले की भावना से आहात हो ऐसा कदम उठाते है ...
ऐसे लोगो से बचने का इक ही उपाय है .. जब भी आपको लगे आप ऐसी स्थिति में है जन्हा इस तरह का ग्रुप हो , वंहा से तुरंत मौका देख निकल ले . आपकी बहादुरी आपकी बेवकूफी का कारण बन सकती है .. क्युकी यह लोग आवेश में होते है जिन्हें आप समझा नहीं सकते जब तक उनका नशा या आवेश पूरी तरह से उतर ना जाये ...

अगर आप ऐसी किसी स्थिति में फंस जाए ..
अगर चाहते हुए भी आप ऐसी स्थिति में फंस जाए तो ... सबसे पहले अपनी हिम्मत को समेट उनमे सबसे कमजोर दिल वाले अपराधी की पहचान करे .. यही आपकी सबे बड़ी लीड है जो आपको इस लडाई में लड़ने में मदद दे सकती है .. आपको उस कमजोर दिल वाले अपराधी के साथ सहानभूति दिखाते हुए उसे पाने पक्ष में लाना है ताकि आप उस ग्रुप में फुट डाल सके ..ऐसे लोग किसी भी अपराध को करने में अकेले अपराधी से ज्यादा समय लेते है क्युकी इनमे नेता को लेकर ग़लतफ़हमी रहती है आप को इसका फायदा उठा कर उन्हें लड़ा कर ही वंहा से भागने का मौका मिल सकता है .. आप उनसे लड़ने का ख्याल ना करे उससे वोह जायदा संख्या में होने के कारण आपको शारीरक नुकसान पहुंचा सकते है जिससे आपके लड़ने की मानसिक शक्ति कम हो सकती है ... इनसे लड़ने का और बचने का सिर्फ इक ही उपाय है .. उन्हें आप कैसे हैंडल करती है …..आपका होसला ही आपकी आजादी की चाबी हो सकता है .....

मैं यह तो नहीं कहता की इन तरीको से आप अपने को हमेशा बचा सकती है.. पर जिन्दगी का अनुभव यह कहता है अगर आपने समस्या पर कभी इक बार भी विचार किया हो तो समस्या आने पर उसे सँभालने का इक होसला बन जाता है ..... 
कानून , पुलिस यह अपना काम अपनी तरह से करंगे पर तब तक हमें भी हाथ पे हाथ रख कर बैठ उनका इंतजार करने के बजाय अपनी लडाई को खुद लड़नी चाहिए ....

आपकी हिम्मत ही आपका सबसे बड़ा हथियार है
. ...
अगर होसला हो तो टूटी टांग से भी एवरेस्ट पार किया जा सकता है और होसला हो तो दो कदम भी बढ़ाना मुश्किल ... जिन्दगी खोने से बड़ा कोई बल्लात्कर नहीं होता ..औरत की इज्जत सिर्फ इक चीज के सन्दर्भ में देखने की मानसिकता भी सामाज दुरा किया जाने वाला बलात्कार है जिसका  भी हमें विरोध करना चाहिए .. शरीर का लुट जाना इक आघात है पर जिन्दगी झुकने का नहीं लड़ने का और आगे बढ़ने का नाम है ....बलात्कार  की घटना दुखदायी , निन्दनायी और मानिसिक पीड़ा देने वाली है पर जीवन को सिर्फ इक आघात के नाम पे ख़त्म कर देना ... बहुत अच्छा फैसला भी नहीं ....

फैसला आपका है की आप अपनी सुरक्षा खुद करना चाहती है या पुलिस , कानून और हमारे सामाज में रामराज्य आने का इंतजार करना चाहती है ..........

By 

Kapil Kumar

Note: “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is purely coincidental.' ”It’s not necessary everyone has to follow this idea. You will be solely responsible for your own cause.”


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