Saturday 14 November 2015

हकीकत के गाने का आधुनिक रूप .....



उंह उंह उंह उंहउंह उंह उंह उंह .........


मैं यह सोच के .... उससे मोहब्बत करने लगा था
की इक दिन ..... वोह भी चाहेगी मुझको ....

उसकी यादो में रहता था हरदम  
की वोह भी अपनी चाहतो में बसा लेगी मुझको ....

अरमान ऐसे अंदाज में मचल रहे थे
की अपने भी जज्बात दिखा देगी मुझको ....


उसने मुझको था टोका ,  मुझको  था समझाया
ना तो  सेल नंबर दिया , ना ही घर का पता बताया
ना ज्यादा  चेट की , ना ही ईमेल बताया
फिर भी मैं उसके पीछे चलता चला आया ....
दीवाना हो गया मैं ...दीवाना हो गया ...


मैं आहिस्ता आहिस्ता बहुत दूर निकल आया  ....
उसके इंतजार में इतना थक गया मैं... अब जुदा हो गया मैं
इतना थक गया मैं... उससे जुदा हो गया मैं....


....दूर हो गया मैं .....जुदा हो गया मैं .....
....दूर हो गया मैं ..... जुदा हो गया मैं....
....दूर हो गया मैं ..... जुदा हो गया मैं....
....दूर हो गया मैं ..... जुदा हो गया मैं....

By
Kapil Kumar
  

Note: “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is purely coincidental”. Please do not copy any contents of the blog without author's permission. The Author will not be responsible for your deeds..

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