Thursday 12 November 2015

आज मैं खुश हूँ !






जीवन में अगर हमसबसे ज्यादा किसी चीज की तलाश करते है ....तो ..शायद उसका नाम है ख़ुशी ...चाहे अमीर-गरीब , युवा-बुजुर्ग हो या कोई और ...सब दिन रात इस जुगत में रहते है ....
की कैसे उनके जीवन में खुशियाँ आये और आकर फिर कभी वापस ना जाये !! ....

क्या हमें वास्तव में ख़ुशी ढूंडनी आती है या क्या हम आई हुई ख़ुशी को संभाल  के रख उसका भरपूर मजा लेते है ?....

क्या हम ख़ुशी को अपने बनाये हुए जीवन के तराजू पे तोल उसका मूल्यांकन करके... उसका निरादर तो नहीं कर देते ?....

क्या हम वाकई में जानते है की हमारी ख़ुशी किसमे  है ?शायद आपको यह जानकर हैरानी होगी की ....कई बार इन्सान की सच्ची ख़ुशी बड़ी बड़ी सफ़लताओ या खूब सारा धन या बड़े नाम या शोहरत कमाने में ना होकर किस इक ऐसी छोटी सी चीज में हो सकती है जो हमेशा हमारी नजरो के सामने होती है पर उसे हम जानकार भी अनदेखा करते रहते है ..
कभी अनजाने में ...कभी समाज के डर से ...तो कभी दुसरो की खातिर ....अपनी ख़ुशी की कुर्बानी देते रहते है ....
सच में ख़ुशी क्या है और किस पल को हम ख़ुशी का नाम दे और सबसे बड़ी बात की उसे बिना किसी शर्म और झिझक के कैसे महसूस किया जा सकता है....उसका अनुभव.... आज मेने जाने अनजाने में कर लिया !! .....
                   आज ऑफिस जाने के लिए बस स्टैंड पर बस की वेट कर रहा था.....अचानक  देखा .. की ...सामने से मिशेल चली रही है..उसने मुझे देखा और मुस्कुरा कर हेल्लो कहा और हम दोने लाइन में खड़े होकर बस का इंतजार करने लगे ....

मिशेल इक 23/24 की आम सी लड़की है जिसे पश्चिम के युवा बर्ग के मापदंड के  स्तर पर बहुत सुन्दर तो नहीं कहा जा सकता... पर कमसिन और मासूम सी लगने वाली इक जवान लड़की की श्रेणी में जरुर रखा जा सकता है ....
मेरी मिशेल से पहली मुलाकात ,कुछ महीनो पहले इसी बस स्टैंड पे ही हुई थी..... उस दिन वोह मेरे से आगे बस की लाइन में खड़ी बस का इंतजार कर रही थी..... की किसी बात पे हम दोनों की बातचीत हो गई ..... उस मुलाकात के बाद करीब 2/3 दिन बाद हम फिर बस स्टैंड पर मिले और वोह भी उसी जगह ...फिर अगले 10/15 दिन बाद मुझे मिशेल फिर उसी जगह लाइन में खड़ी मिली                                           ......यह भी इक संजोग था ...की आप किसी इक अजनबी इन्सान से इतनी जल्दी इक ही जगह ..अलग अलग समय पे मिल सके ...... क्योकि मैं इतने लोगो को जानता  हूँ पर उन लोगो से दोबारा मिलना कभी कभी कई महीनो तक नहीं हो पाता.... सबके समय अलग होते है और बस भी हर 5/6 मिनट में आती रहती है ...

फिर इक ही बस में और अलग अलग समय किसी का यूँ मिलना ....सिर्फ इक संजोग ही कहा जा सकता है ...
मिशेल इक पढ़ाकू किस्म की लड़की है ..जो ..बायोकेमिस्ट्री में मास्टर कर रही है और साथ में किसी रिसर्च सेंटर में काम भी करती है ...हम दोनों ने पिछली मुलाकातों में बायो केमिस्ट्री की रिसर्च सम्बंधित कई जानकारी शेयर की और उसने हमेशा हँसते हुए ....मुझे उस फील्ड से सम्बंधित कई बातो के साथ अपने जीवन के बारे में बताया की .....

वोह हफ्ते के पांच दिन काम करती और आखिर दिनों की छुट्टी (शनि और रवि को ) अपनी क्लास और कॉलेज पर धयान लगाती....उसके पास और युवा लोगो की तरह शुक्र और शनि की रात को नाईट क्लब जाने या मूवी देखने का समय ना था....
ऐसे ही इक दिन बातो ही बातो में मेने उससे पूछ लिया की उसका कोई बॉयफ्रेंड नहीं है क्या ?...जो वोह इतनी मेहनत इस उम्र में करती है ....
                 उसने बड़े संजीदा होते हुए कहा ...की उसका किसी लड़के से रिलेशन हाई स्कूल से था ....जो अभी अभी कुछ दिनों पहले ही टुटा था ....अब वोह इन सब में ना पड़कर ..अपना समय ..पढाई में और अपने करियर में लगाना चाहती है ....
                   मेने उसे समझने की कोशिस की ...पढाई के साथ साथ ..इस उम्र में मस्ती का होना बहुत जरुरी है वरना इक उम्र बीत जाने के बाद .... इन सब बातो का मलाल हमेशा रहता है .....
उसनी मेरी बात इक कान सुनी और दुसरे से निकाल दी और मुस्कुराते हुए बोली... देखंगे ....अभी तो वक़्त ही नहीं है .......

खेर आज वोह जब मुझे दोबारा मिली तो थोडा सा खुश नजर रही थी ....उसे यूँ खुश देख ....मैं बोला इस बार हम दोनों काफी महीने बाद मिले है ....तो इन दिनों में उसकी जिन्दगी में कुछ बदलाव आया की नहीं ?....
उसने बड़े चहकते हुए कहा ....मैं आजकल किसी के साथ डेटिंग कर रही हूँ ...मेने अपनी भारतीय सभ्यता(पश्चिम में यह पूछना अच्छा नहीं ..जब तक सामने वाला खुद ना कहे ) का परिचय देते हुए झट अगला सवाल दाग दिया ...
किसके साथ ?
                           मिशेल थोडा झिझकते हुए बोली ....वोह फायर फाइटर है ....मुझे यह सुन थोडा सा झटका लगा और बिना कुछ सोचे समझे मेने उससे पूछ लिया ....अरे तुम इतनी पढ़ी लिखी इक स्कॉलर टाइप लड़की हो और तुम तो भविष्य में पीएचडी करने वाली हो ...फिर इस तरह के लड़के के साथ कैसे निभा लोगी? ..जन्हा तक मुझे जान पड़ता है ..वोह सिर्फ हाई स्कूल पास होगा ??....
मेरी बात सुन का वोह थोडा झेंपी और बोली ....वोह बहुत समझदार और दयालु किस्म का इन्सान है ....उसने कॉलेज ज्वाइन किया था ...पर बाद में छोड़ दिया...उन दोनों की मुलाकात चर्च में हुई थी जंहा वो और उसका बॉयफ्रेंड पिछले कई सालो से रोजाना हर इतवार को जाते है....

                मिशेल बोली वैसे ऐसा कुछ मेरे पेरेंट्स भी बोल रहे थे ...की ..मैं उसके साथ कैसे निभा पाउंगी .... पर हम दोनों ने इस विषय पे बात चित की है .... मेने और मेरे  बॉयफ्रेंड ने तय किया है ..की शादी के बाद वोहहाउस डैडबन कर रहेगा और मैं अपने करियर को आगे बढ़ाये रखने के लिए बहार की जिम्मेदारी देखूंगी ...
                  मुझे मिशेल की बात सुन कर हैरानी तो हुई ..पर उसके चहरे पे छाई ख़ुशी देख मेने कुछ नहीं कहा ...मुझे यूँ चुप देख शायद वोह भी समझ गई की... उसका दिल रखने के लिए मैं उसे और नहीं कुरेद रहा हूँ .....
                                मिशेल ने इक तिरछी या यूँ कहे कटाक्ष भरी नजर मेरे पे डाली और बोली ...वोह 24 का है. और अभी जीवन में बहुत कुछ किया जा सकता है और फिर मेरी तरफ मुस्कुराते हुए कहा ....अरे उसका कम पढ़ा लिखा होना कोई बड़ी बात नहीं....बस...

आज मैं खुश हूँ !!.....

उसकी यह बात सुन ....मैं भी धीरे से मुस्कुरा दिया और तभी उसका स्टॉप भी आगया ....और वोह मुस्कुराते हुए बाय बाय बोल कर चली गई ..
मैं ऑफिस में आकर अपने कामकाज में लग गया और लगभग इस घटना को भूल ही गया की .....
                              अचानक इक आवाज सुन मैं चोंक उठा ...देखा ऑफिस के कोरिडोर में मेरे साथ के कुछ लोग किसी से बाते कर रहे थे ....पास जाकर देखा तो ...पाया ....की मेरा बॉस जो पिछले साल रिटायर्ड हो गया था ....आज वोह किसी से मिलने ऑफिस में  आया था ....उसे देख मन बड़ा प्रसन हुआ ....वोह हमेशा से इक अच्छा और मिलनसार किस्म का इन्सान था और उसके समय में कभी किसी को उससे कोई शिकायत नहीं थी ....मेरी और उसकी काफी पटती थी ....उसके जाने के बाद ..हमारे डिपार्टमेंट में जो भी लोग आये थे ....वोह आज तक उसकी परछाई तक भी ना बन सके थे ....
खेर उसे देखा तो इक आश्चर्य जनक बात यह लगी की ....वोह देखने में पहले से भी ज्यादा हस्ट पुष्ट  और खुश लग रहा था ....
                   हम सबने उसकी इस सेहत और ख़ुशी का राज जानना चाहा ....तो वोह हँसते हुए बोला ...मैं अब जो भी करता हूँ ....वोह अपने मजे के लिए करता हूँ ..पैसे वैसे की मुझे कोई समस्या नहीं है ..उसके लिए मेरे पास रिटायरमेंट की इनकम और बहुत सारी सेविंग्स है ....हम सबने पुछा तो वोह अपना टाइम कैसे पास करता है ?

वोह हंसा और बोला ....मैं आज कल घास काटने का काम करता हूँ .....
घास काटने का काम ....वोह भी 1970 में कंप्यूटर साइंस में मास्टर किया हुआ इंसान....जो इक बहुत बड़े आई टी डिपार्टमेंट का चीफ रह चूका हो ??....
हम सबको बड़ी हैरानी हुई ....की वोह इतना छोटा काम क्यों करता है ?
                          यंहा पर यह काम तो इक आम नागरिक भी नहीं करता ...उसके लिए वोह ..बहार से आये सस्ते मजदूरो से करवाता है ...फिर उसे यह सब करने की क्या जरुरत ??.. इसमें दिन भर की मेहनत के बाद भी भी इतना पैसा नहीं मिल सकता....जितना वोह अपनी क़ाबलियत और अनुभव से सिर्फ कुछ मिनटों में कमा सकता है ....अगर वोह किसी भी आई टी कम्पनी में एडवाइजर या कंसलटेंट भी लगे.... तो लोग उसे घर आकर उसे इतना पैसा देंगे की ....उसे कुछ करने की जरुरत भी नहीं पड़ेगी....आखिर फिर इतना छोटा काम क्यों ??

                   हमारी शंका भरी नजरो को देख वोह समझ गया ..और हंसते हुए बोला ..अरे यह काम तो मैं अपना टाइम पास करने के लिए करता हूँ ..कोई पैसा कमाने के लिए थोड़ी करता हूँ ....इस काम के बहाने मुझे मेरे अडूस पडौस के लोगो से मेल मिलाप भी हो जाता है और दुसरे इससे करने से मेरी रोजाना की एक्सरसाइज भी बिना किसी नागा के हो जाती है .....

शायद बचपन से मेरी तमन्ना थी की ...मेरे पास इक बहुत बढ़िया....सीट पे बैठ के और गैस से चलने वाला घास काटने वाला लॉन मोवेर हो ....रिटायर होने से पहले तक इसे मेने अपने लिए नहीं ख़रीदा ....सोचा क्यों इतना पैसा बर्बाद करू ...इतनी जरुरत घर के लिए तो है नहीं ....पर काम के बहाने ..उसे खरीदना भी सार्थक हो गया ....मुझे घास काटने में मजा आता है और  इस काम को करके... 
आज मैं खुश हूँ ......
उसकी यह बात सुन कर मुझे सुबह की मिशेल से हुई मुलाकात की बात याद गई  ...की कैसे मिशेल ने भी ...दुनिया के नजरिये से लगने वाली अपनी इक बेमेल पसंद में अपनी ख़ुशी देखी है ...

शायद जीवन का फलसफा है ...की हमें जिन चीजो से ख़ुशी मिलती है या मिल सकती है ....उसे हम जाने अनजाने वयवहारिक , व्यवसायिक , झूटी शान और सामाजिक मान मर्यादा के तराजू में तौल कर उसे गवांते रहते है ....
और उन चीजो को इकठा करना शुरू कर देते है जो सामाजिक मापदंड में तो कीमती होती है पर हमें वोह सकून और ख़ुशी नहीं दे पाती ...शायद जिसकी तलाश हमारी प्यासी आत्मा या मन को होती है ....

इन लोगो ने समाज या लोग क्या कहेंगे से ऊपर उठकर वोह काम किया ..जिसे करने में इन्हें आज ख़ुशी मिलती है......ना की ...कल लोग क्या कहंगे के चक्कर में पडकर अपनी आज की ख़ुशी गवां देते ....

जीवन में ख़ुशी का पल कैसे भी आये ..उसे कभी गवाना नहीं चाहिए ...क्योंकि ..खुशिया कभी दौलत या शोहरत से नहीं खरीदी जा सकती ....अगर ऐसा होता ....तो हर अमीर और नामी गिरामी इन्सान अपने जीवन में खुश होता ....

कभी भी अपनी खुशियों का सौदा ...किसी तराजू के पलड़े में रख कर ना करो ....उसे बस जियो पूरी आन बान और शान से ...
क्योकि ....जैसे गया वक़्त कभी वापस नहीं आता ....वैसे ही हर पल खुशियाँ नहीं मिलती !!!....

शायद आपकी ख़ुशी किसी ऐसे काम ..मसलन ..गिल्ली डंडा, क्रिकेट,कंचे खेलना,पतंगबाजी ,कबूतरबाजी या पंटिंग्स करने में , सिंगिंग या डांसिंग या कार्टून मूवी देखने में या कुछ और में हो... पर आप जिसे आज करने में शर्मिंदा महसूस करते हो की ....लोग क्या कहेंगे ??...

अगर आपको अपनी सच्ची ख़ुशी लोगो के बारे में सोचने से मिलती हो तो वो भी बुरा नहीं ??

By
Kapil Kumar 



Note: - “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is purely coincidental.' ”

  

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