Saturday 7 November 2015

प्रेम का अंतर्द्वंद ?

कपिल की इस बेहूदा हरकरत पे रुपाली जैसे घायल नागिन की तरह फुंकार उठी ....उसने कपिल को लताड़ते हुए कहा ...तुम्हारी इतनी हिम्मत हुई कैसे की तुम... मुझे अपने गले लगाकर चूम लो ...मैंने तुम्हे गले लगाया अपना दोस्त समझके और तुमने उसका नाजायज फायदा उठा कर मुझे किस कर लिया ...मुझे शर्म आती है तुम्हे अपना दोस्त कहते हुए .....
                        
कपिल और रुपाली इक ही ऑफिस में साथ साथ काम करते थे और दोनों अपने जीवन के उस पड़ाव से गुजर रहे थे ..जन्हा जिन्दगी थम सी जाती है और इन्सान उस कशमकश में फंस जाता है ..की उसे समझ नहीं आता ...की उसने अपने जीवन में क्या गलती की थी ....जिसकी उसे इतनी बड़ी सजा भोगनी पड रही है ......

                 
कपिल इक अधेड़ उम्र का कुछ मनचला टाइप का शोहदा था ...जो जीवन में कुछ भी सही और गलत को अपने तर्क और तराजू से तोलता था ...उसके लिए धर्म-अधर्म, सही गलत  को नापने और देखने का पैमाना अलग  था...उसकी पत्नी उसकी परवाह ना करती थी ..तो वोह भी अपनी पत्नी को कुछ ना समझता और इधर उधर भटकता ....
               
वोह सिर्फ इक चीज में विश्वास करता था ...जो है वोह सिर्फ आज है ..बीता कल आता नहीं और आने वाले कल का किसी को पता नहीं ..इसलिए जियो तो आज में ......
                                        
पर उसकी यह फिलोसोफी....रुपाली के आदर्श , संस्कार और मनोभावों से मेल ना खाती थी ....वोह भारतीय परम्परा और संस्कारो का बोझ ढोने वाली ..उन भारतीय स्त्रियों की श्रृखला की आखरी कड़ी थी ...जिन्हें इतिहास में हम ..सीता , पार्वती और सावित्री के नाम से जानते है ....
                 
कपिल को .....रुपाली के यह संस्कार आज के ज़माने की आधुनिक नारी के सामने इक अजूबे जैसे लगते ..उसे समझ ना आता ..की इस कलयुग में कैसे कोई देवी जन्म ले सकती है ?
उन दोनों का यह विपरीत आचरण ..उन दोनों को जाने अनजाने इक दुसरे की तरह आकर्षित करता ....जिसे दोनों शायद समझ कर भी अनजान बन जाते .....
                            
जन्हा रुपाली अपनी जिन्दगी को ऊँचे आदर्शो पे जीती ....वन्ही रुपाली को  कपिल जैसे नैसंगिरक भंवरे की बाते... रूहानी , मस्तानी और उस मीठे सकून का अनुभव देती ...जो उसके जीवन में कंही परम्पराओ का बोझ ढ़ोते ढ़ोते दब सा गया था ..उसे भी समझ ना आता ..क्यों ..वो कपिल की तरफ बिन डोरी के खिंची चली जाती है .....

                         
पर आज की हरकत ने जैसे उसके सोये हुए स्वाभिमान को झिंझोर डाला ...उसके संस्कार ..उसके मन के भावो को कुचलते हुए ..उसकी जुबान पे अंगारे बन बरसने लगे और उसने कपिल को ऐसी ऐसी खरी खोटी सुनाई की ..कपिल को ..अपने कानो पे हाथ रखने भी मुश्किल हो गए ....की उसने कुछ देर तक रुपाली से छमा मांगने का भी प्रयास ना किया ...
                                 
कपिल को लगता था ..की रुपाली भी उससे प्रेम करती है ..पर अपने ऊँचे आदर्शो के तले उन्हें स्वीकार करने में हिचकिचाती है ..इसलिए ....आज जैसे ही रुपाली ने उसे किसी बात पे गले लगाया तो ..उसके मनोभाव काबू में ना रह सके ...उसके हॉट जो ..रोज रुपाली के सुर्ख होटो को देख तडपते थे ..जैसे आज पूरी बगावत पे उतर आए और उन्होंने आखिर आज अपनी मंजिल पा ही ली ....
                      
रुपाली के बदन से उठती खुसबू और उसके चेहरे का नूर ....वैसे तो रोज कपिल को मदहोश करता था ....पर अपनी भावनाओ को वोह किसी तरह काबू में कर... अपने उठने वाले जज्बातों को कुचल देता....की .. कंही ..उसकी कोई बेहूदा हरकत उसे हमेशा हमेशा के के लिए रुपाली की नजरो में ना गिरा दे ...पर आज नहीं तो कल यह तो होना ही था और आज वोह हो गया जिसकी तमन्ना कपिल के दिल में रोज हिंडोले लेती थी ....

   कपिल किंकर्तव्यविमूढ़  बना ...अपनी नम होती आँखों से प्रशनवाचक नजरो से रुपाली को देखने लगा ......पर रुपाली पे तो जैसे चंडी सवार थी ...शायद उसकी दबी कुचली इछाये ...जो इक ठंडी अग्नि की भांति इक खामोश ज्वालामुखी में बंद थी ...वोह कुछ और तरीके से फूट पड़ी ....
                     
ऐसा ना था कपिल के चुम्बन से रुपाली को कोई सिरहन , रोमांच और संवेदना का अनुभव ना हुआ था ..पर वोह सब इतना अविस्मित था ...की उसे सही और गलत के चक्रवात ने ....संस्कार रूपी ट्विस्टर में बदल दिया ......

 कपिल का दिला चाहा की वोह भी चीख चीख कर उन सब बातो और लम्हो को रुपाली के सामने बोल दे जब जब उसने उसे अपनी तरह आकर्षित किया था ...

पर उसके सच्चे प्रेम ने उसे ऐसा करने से रोक लिया ...उसने सोचा ..अगर इसे मुझसे प्रेम ही नहीं ...फिर क्या फर्क पड़ता है ...की उसने उसे क्या कहा और क्यों किया ?.....

  अगर आज... वोह सब बाते रुपाली को बोल दे ...तो शायद रुपाली शर्मिंदा होकर चुप हो जाये पर ....उससे कपिल को क्या हासिल होगा? ...अगर अपने प्यार को शर्मिंदा और रुसवा करके मनवा भी लिया तो क्या हासिल किया?? ....

 रुपाली से माफी  मांग ....भारी कदमो से चलता हुआ कपिल अपने घर की तरफ चल दिया ....पर सारे रास्ते भर कुछ अनुतरित प्रशन उसके दिमाग में कोंधते रहे ...उसे समझ ना आया ..उसने आखिर क्या गुनाह किया?....                    

उसने अपने दिल की बात हमेशा रुपाली के सामने रखी थी ...जिसे रुपाली ने कभी संजीदा होते हुए तो कभी मजाक में उड़ा दिया था ....वोह गाहे बगाहे रुपाली को गले लगाता ..उसे छूता रहता था ...पर कभी रुपाली ने अपनी तरफ से ऐसी कोई नाराजगी जाहिर ना की थी ...जिससे ऐसा आभास होता की वोह ...उसकी यह हरकते नागवार समझती है और इन्ही होसले ने आज उसे रुपाली को चूमने के लिए मजबूर कर दिया ......
               
चलते चलते कपिल घर तो नहीं पंहुचा पर अपनी यादो के उन दरवाजो पे पहुच गया ..जो ना जाने कब से उसने अपने सीने में बंद कर रखे थे !!...

कपिल को आज भी वोह मुलाकात याद थी ...जब उसका रुपाली से पहला परिचय हुआ था .....

                               रुपाली और कपिल इंटरव्यू के लिए इसी ऑफिस में कुछ महीने पहले आए थे .... रुपाली बड़े विश्वास के साथ बैठी अपने इंटरव्यू का इंतजार करते हुए ....किसी मगज़ीन के पन्ने उलट पुलट कर रही थी ...की ... कपिल दौड़ता हांफता हुआ ...कंपनी के रिसेप्शन पे आया ..उसकी साँस उखड़ी हुई थी और कपडे की अस्त वयस्त थे...रुपाली ने इक उजड़ी सी हुई नजर उसपे डाली और अपनी मगज़ीन में खो गई ....

  की अचानक किसी की आवाज से रुपाली का ध्यान भटका .... उसके बगल वाली सीट पे बैठा हुआ कपिल... उससे पूछ रहा था की ....उसे ...इस कंपनी की लास्ट ईयर की बैलेंस शीट के बारे में कुछ पता है या नहीं? ....और यह कंपनी आने वाले दिनों में कौन कौन से नये प्रोडक्ट लांच करने वाली है ???....

कपिल की बाते सुन रुपाली का भेजा घूम गया ...उसे इन सब बातो का जरा भी गुमान ना था ....वो तो यूँही सीधे मस्ती में इंटरव्यू देने चली आई थी ....की वोह लोग इंटरव्यू में उसके वर्तमान ऑफिस के काम के बारे में या उसकी एजुकेशन के बारे में बाते पूछंगे ...पर यह तो कुछ और ही गाना गा रहा है .....


 उसने उत्सुकता पूर्वक कपिल से पुछा ..भला मुझे यह सब जानने की क्या जरुरत ?....मेने कोई यह कंपनी अभी ज्वाइन थोड़ी ना की नहीं है ....तो भला ....मुझे इन सबके बारे में कैसे पता होगा ?
                        कपिल उसकी मासूमियत पे मुस्कुरा भर दिया और अपनी मस्ती में बोला ...

  डिअर ..यह कम्पटीशन का जमाना है ...यंहा पर वो ही कामयाब है ..जो दो कदम आगे की सोच रखे ..और ऐसा कह उसने अपनी थोड़ी बहुत उस कंपनी की नोलेज ..जो उसने इधर उधर से पढ़ी थी रुपाली के साथ शेयर कर ली ....

   रुपाली ने आधे अधूरे मन से कपिल की बाते सुनी ....उसे लग रहा था ...की यह शोहदा उसे लाइन मारने के लिए अपनी कहानी गढ़ रहा है ..उसे कपिल का उसको इस तरह से डियर कहना भी अच्छा ना लगा था ..पर उस वक़्त वोह कपिल की बाते मुंह बिचकाकर सुनती सी रही....

 कपिल भी रुपाली के रूखे वयवहार  को समझ.... थोड़ी देर बाद चुप हो गया की ....अचनाक रिसेप्शनिष्ट ने ...रुपाली को इंटरव्यू के लिए आवाज लगा दी .....

   थोड़ी देर बाद जब रुपाली इंटरव्यू रूम से बहार आई तो ख़ुशी के मारे चहक रही थी ...इंटरव्यू बोर्ड ने उसे हाथो हाथ सेलेक्ट कर लिया था...वोह  बहार आकर सीधा कपिल के पास औए और बोली ....
तुमने जो जो मुझे अभी बताया था ...वोह सब इन लोगो ने मुझसे पुछा और बहुत इम्प्रेस हए ..की मैं इस ऑफिस में काम ना कारने के बावजूद भी इनके काम को इतना ज्यदा जानती हूँ ...और ऐसा कह उसने कपिल को गले लगते हुए कहा ....यू आर ग्रेट

 इतनी सुन्दर और कोमल सी युवती के मोहक अनुभव में कपिल की वर्षो से सोई हुई कामइच्छा को जैसे इक चिंगारी सी दिखा दी .....
                 रुपाली तो उसे धन्यवाद कह और मुस्कुरा कर चली गई ....पर प्रेम के इक ऐसे बीज को उसके सीने में अंकुरित कर गई ...जो ना जाने कबसे .... किसी बहार के आने भर का इंतजार कर रहा था .....

   कपिल को भी उसी ऑफिस में जॉब मिल गई... अब रुपाली और कपिल का रोज आमना सामना होने लगा .....शुरू शुरू में कपिल... रुपाली से थोडा समझल संभल कर बात करता ...क्योकि रुपाली कब किस बात पे मुंह बिचका  दे ..उसका कोई पता ठिकना ना था ....


  होने को तो दोनों शादी शुदा थे ...जंहा कपिल अपनी बीवी को डाइवोर्स देकर  छुटकारा पाने की जुगत में था .... उधर रुपाली अपने पति की कारगुजारियो से सख्त नाराज रहती थी....

  पर....उसका यह दुःख उसके सिवा और कोई ना जनता था ...उसकी मज़बूरी थी ..की वोह यह सब जानते हुए भी ना तो अपने घर वालो को ना ही अपने दोस्त और रिश्तेदारों को बता सकती थी ...की उसका पति ..ऑफिस में और कांफ्रेंस के बहाने शहर के बहार जाकर क्या क्या गुल खिलाता है ...

    ऐसा कहने में उसे अपनी ही बदनामी का डर था ....क्योकि ..लोगो का क्या है ..वोह तो बोल देते की तुझमे ही कोई कमी होगी ...जो तेरा पति ..इधर उधर मुंह मारता फिरता है ....वोह लोगो को कैसे समझाती ...

की आदमी आखिर में ...सिर्फ इक कुत्ता ही होता है जिसे हर जगह ..चाहे अच्छी या बुरी ....सिर्फ मुंह मारने की आदत होती है .....भले उसके घर में कितनी भी अच्छी रोटी और बोटी हो .....

 ऐसे में दो निराश और हताश लोग इक दुसरे का सहारा बन गए ...शायद ...इक लंगड़ा और इक अँधा ..इक दुसरे का हाथ पकड अपने अपने गंतव्य की और चल निकले थे ....

   कपिल की मस्तानी , रूहानी , अल्हड , शोख और मदहोश बाते कुछ नाकबिले  बर्दाश्त होते हुए भी ...रुपाली की रुखी-सुखी और पतझड़ जैसी जिन्दगी में कुछ मीठी हलकी ओस की तरह होती......जो उसकी प्यास तो ना बुझा सकती ..पर जिन्दा रहने के होसले को जरुर बढ़ा देती .....

 इक दिन बातो ही बातो में रुपाली ने अपने पति के बारे में बताया तो कपिल चोंक उठा ..उसे पता था की रुपाली शादीशुदा है ..पर उसने ऐसा जाहिर किया की ..वोह उसे कुंवारी समझ कर ही उसे अपना दोस्त समझता है ...उसने झूटे शिकायती लहजे में रुपाली से कहा ...

  अरे तुमने तो मेरा दिल तोड़ दिया ..मैं तो तुम्हे कुछ और समझा था ...कपिल के इस मजाक पे रुपाली संजिंदा हो गई ..और उससे माफ़ी मांगते हुए बोली ..उसे नहीं पता था ..की वोह उसके शादी शुदा होने पे उसे अपना दोस्त नहीं समझ सकता ...कपिल को बड़ी हैरानी हुई की ...रुपाली ..इस छोटे से मजाक को क्यों इतना सीरियस ले बैठी ...पर उसने कुछ कहा ....

कपिल ने मन ही मन में सोचा ...शायद रुपाली ...उसे लेकर कुछ सोच तो नहीं रही ?.....
                   इक दिन कपिल और रुपाली साथ साथ बैठे लंच कर रहे थे ...की रुपाली ने...कपिल के लंच को देखा और बोली अरे तुम क्या रुखा सूखा खाते हो??...कुछ अच्छा और हेल्थी क्यों नहीं खाते ?

कपिल आह भर कर बोला ..मेरी बीवी तो बस जैसा तैसा बना देती है ..वैसा ही मैं उठा लाता हूँ ...अब ऑफिस वाले दिन तो मेरे पास वक़्त नहीं होता ..वरना और दिन तो मैं खुद बना लेता हूँ ....

   उसकी बात सुन रुपाली ...नाराजगी भरे स्वर में बोली ...ठीक है कल से मैं तुम्हारे लिए लंच बना कर लाऊंगी ..इस तरह का खाना खाने से तुम्हारी तबियत बिगड़ जायेगी ....और उसने जबरदस्ती अपना लंच कपिल को खिला दिया .और खुद उसे खाते देख मंद मंद मुस्कुराने लगी ....

               अब यह बात उसने दोस्ती के लहजे में करी या किसी और में ....पर कपिल का मन मयूर तो जैसा झूम उठा ...आज से पहले कभी किसी ने उसकी इतनी फ़िक्र तक ना की थी .....

   उसकी पत्नी ..तक ने उसे कभी इतने प्यार से खाना तक ना खिलाया था ....कपिल ने बड़ी प्यारी नजरो से रुपाली को देखा तो वोह शर्म से सिंदूरी हो उठी और उसे प्यार से डांटते हुए बोली...जनाब जरा अपनी नजरो को निचे कर लो ..इधर उधर टांक झांक करने की कोशिश मत करो .....मुझे इस तरह से ना देखो ..उसके यह कहने से कपिल झेप गया ..और इधर उधर देखने लगा .....

  यूँही ...बाते ही बातो में और लंच साथ करते... दोनों अपने दुःख दर्द आपस में बाँट लेते.....धीरे धीरे कपिल के दिमाग पे रुपाली का सम्मोहन सा छाने लगा ....वोह जब भी किसी लड़की या औरत को देखता ..उनमे वोह रुपाली का अक्श धुन्ड़ता...पर उसे उनमे ना पाकर.... उसे उन सब से विरक्ति सी हो जाती .....

  कल का आवारा भंवरा ..जो हर फूल को सूंघने की इच्छा से यूँ खुले गुलिस्तां में मंडराता था ..अचानक अपनी मोलिकता खो ..सिर्फ इक फूल के अन्दर बंद होने के सपने देखने लगा .....
कांश कोई उसे समझा देता ...की भँवरे के लिए ....फूल सिर्फ सूंघने भर के लिए होते है ना की उसमे कैद होकर मरने के लिए .....

 इक दिन लंच करते वक़्त ..रुपाली ने कपिल को कुछ फोटो दिखाए ...उन फोटो को देख कपिल को समझ ना आया की वोह क्या कहे??.. ..उसमे से कुछ फोटो रुपाली की शादी के वक़्त दुल्हन वाले मेकअप के थे ....तो कुछ उसके बचपन के ..वोह बचपन में कितनी खुबसूरत और आजाद लड़की थी.......

 कपिल उन फोटो को देख असमंज में पड़ गयाया ...उसे ऐसा लगा ..जैसे रुपाली उसे बहुत चाहती है और उसे अपने जीवन के हर पल का राजदार बनाना चाहती है .....

                कभी कभी बाते करते वक़्त रुपाली कुछ रोमांटिक हो जाती और .....कुछ ऐसी ऐसी बाते कर बैठती की कपिल को समझ ना आता की वोह सब अंजाने में हुआ या रुपाली उसकी नीयत की परीक्षा ले रही है?? .....

             इक दिन कपिल रुपाली को देख बहक गया और उसके आगे अपना प्रेम निवेदन कर बैठा.... कपिल की बात सुन रुपाली गंभीर सोच विचार में पड़ गई....  उसे समझ ना आया वो कपिल को क्या कहे?.. ...

उसने कपिल से माफ़ी मांगते हुए हुए कहा .....वो तो शादीशुदा है और अपने पति को ही अपना भगवान मानती है ...उसके लिए किसी और आदमी के बारे में सोचना भी पाप है .....कपिल तो सिर्फ उसका दोस्त भर है ..... कपिल सकते में आगया उसे रुपाली से इस रिजेक्शन की उम्मीद ना थी ..उसे लगता था ..जब वोह अपने पति से प्रेम नहीं करती और उसके साथ खुश नहीं है ...तो ...फिर क्या वजह है वोह उसे स्वीकार नहीं कर पा रही ?

  कुछ दिनो तक .... दोनों इक दुसरे से नजरे बचाए रहे पर ...कुछ तो ऐसा था ...जो दोनों को अन्दर ही अंदर कंही ना कंही कचोटता था ..आखिर थक कर कपिल ने ही रुपाली की शर्तो से समझोता कर लिया और दोनों फिर से पुराने दोस्तों की तरह अपनी अपनी गप्पो में तल्लीन रहने लगे .....

            अब तक ... कपिल के मन में ...रुपाली इस कदर समां चुकी थी ...की उसके बिना उसे सब कुछ सुना सुना सा लगता ...

   जिस दिन रुपाली ऑफिस ना आती ..उस दिन कपिल का मन ऑफिस में ना लगता ...वो ही हाल रुपाली का भी होता .....दोनों जैसे सुबह ऑफिस आते ही इक दुसरे को देख लेते ...उनके दिल को तब तक चैन ना आता......

कपिल को लगता ....शायद रुपाली अभी मानसिक रूप से तैयार नहीं है ...की वोह यह फैसला ले सके की.... वोह अपने पति के साथ रहे या उसे छोड़े...हो सकता है ..उसका साथ धीरे धीरे ..रुपाली के दिल में उसके लिए प्रेम का बीज अंकुरित कर दे .....इसी उम्मीद पे .....वोह उसके साथ अपनी दोस्ती ..को रुपाली की शर्तो पे बनाये रखने लगा.....
कपिल रुपाली को जितना समझना चाहता ....वोह उसमे उतना ही उलझता जा रहा था ...उनका रिश्ता इक ऐसी दलदल में बदल चूका था ...जिसमे दोनों उतर तो चुके थे पर शायद निकलने का रास्ता दोनों को ही मालूम ना था?? ...

 इक तरफ कपिल ....उस दल दल से निकल इक साफ सुथरी जमींन पर अपना नया आशियाना बनाना चाहता था ...वन्ही दूसरी तरफ रुपाली के दिमाग में क्या चल रहा था ...यह  मालूम करना कपिल के बस में नहीं था ...वोह किसी चीज का इंतजार कर रही थी .... ..यह अपने आप में इक रहस्य था ?

 दोनों कभी कभी लड़ते ,झगड़ते ,रुठते , मनाते ....फिर कुछ दिन बाद मान मटौल करते ...रुपाली माफ़ी मांग लेती ..की वोह ....कपिल का दिल जान कर दुखाना नहीं चाहती ..पर उसकी भी कुछ मज़बूरी है... और कपिल ..उसकी शर्ते को आधे अधूरे मन से मान लेता  और थोडा रुपाली कपिल को ढील दे देती ...और दोनों फिर से दोस्त बन जाते ....पर हर बार के झगडे के बाद कपिल का दिल उसके पहले से भी और नाजिदिक होता जाता .....

  रुपाली का चरित्र कपिल जितना समझना चाहता ..उतना ही ..उसमे उलझ जाता ...पुरे ऑफिस में सिवाय कपिल के वोह किसी से इक बात तक ना करती थी .....

इसलिए कपिल को लगता ..वोह सिर्फ उसे ही चाहती है ..पर हिम्मत नहीं दिखा पा रही है ....

  कभी कभी रुपाली... कपिल से इतनी रोमांटिक बाते करती... की कपिल को समझ ना आता ..की ये वही रुपाली है ..जो उसके कुछ बोलने पे.... उसे ..औरत और मर्द का लेक्चर दे देती है .....

 की आखिर हर मर्द औरत को सिफ भोगने की चीज ही क्यों समझता है?? ...आखिर इक मर्द और औरत सिर्फ दोस्त क्यों नहीं हो सकते ?....

 कपिल चाहते हुए भी इसका जवाब ना दे पाता ...की जब इक औरत सिर्फ इक ही मर्द को दोस्त चुनती है ...तो लक्ष्मण रेखा वोह खुद तैय करती है और उसका पालन वोह मर्द से करवाना चाहती है ...वोह इसमें मर्द की इछा और अनिच्छा जानना भी नहीं चाहती .....आखिर क्यों ?...

   अगर औरत के इक से ज्यादा दोस्त हो तो गलतफहमी की गुंजाईश कम  होती है .....पर सिर्फ किसी खास इक से दोस्ती ...तो प्रेम का ही दूसरा रूप होती है .....

  जब कभी कपिल रुपाली के नजदीक जाना चाहता ..वोह उसे झिड़क देती और कहती ....की सारे मर्द सिर्फ औरत से उसके शरीर की खातिर दोस्ती करते है ..
उसकी इन बातो से कपिल निरुत्तर हो जाता ....

  इक दिन कपिल ऑफिस में बैठ कुछ काम कर रहा था ..की रुपाली धीरे से उसके पीछे से आई और अपना सर उसके कंधे के करीब ला कर कपिल के कंप्यूटर की स्क्रीन पे देखने लगी ...

 रुपाली  की गर्म गर्म सांसो और बदन की खुशबु कपिल को मदहोश करने लगी ... की ..उसने रुपाली से कहा ..इतने करीब मत खड़े हो ...लोग देखंगे तो क्या कहंगे ...उसपे रुपाली ..उसका मजाक बनाते हुए बोली ...लोगो का तो पता नहीं ..पर तुम अपने को काबू में रख सको तो रखो ..मैं तो ऐसी ही रहूंगी और ऐसा कह धीरे से हंस दी ...

  रुपाली के मदमाते योवन की गर्मी से जल कपिल का दिमाग सन्न सन्न की आवाज से बेजान हो गया ....

और थोड़ी देर बाद रुपाली हँसते हुए उसकी पीठ पे इक धौल भर जमा कर चली गई .....

                 
              कपिल सारी रात रुपाली की यादो में खो... सोचता रहा की ...वोह करे तो के करे?? ..उसने साफ़ साफ़ शब्दों में रुपाली को अपने दिल की बात कह दी थी ....फिर भी रुपाली ने कोई ठोस वजह नहीं बताई की वोह अपने पति के साथ क्यों और कब तक रहना चाहती है?? ....

     अगर वोह खुश नहीं ..तो ..उसकी ख़ुशी किस्मे है?? ...और कभी उसने खुलकर कहा की ..वो कपिल से क्या उम्मीद करती है?? ....

   रुपाली का उलझा चरित्र कपिल की रात की नींद और दिन का चैन हराम करने लगा ..कभी कभी ..वोह जान बूझ कर रुपाली से बात ना करने की कोशिस करता ...

पर रुपाली की मुस्कुराहट जैसे उसे झिंझोडती और उसे पूछती ..बस यही तुम्हारा प्रेम है? .....

क्या सिर्फ शरीर का मिलन ही आखरी है ...क्या मन और  आत्मा का कोई अर्थ नहीं ??...

                   
  वोह अपने अंतर्मन के  उलहानो से परेशान हो फिर रुपाली की रूहानी और रहस्यमयी दुनिया में आजाता ..सोचता कभी तो रुपाली ....उसे स्वीकारेगी ...


   पर रुपाली तो जैसे ना सुलझने और समझ में आने वाली वो पहेली थी ...जिसे कपिल जितना सुलझाता उसमे और ही उलझता जाता ..उसे समझ ना आता वोह करे तो क्या करे ???

उसके बिना वोह जी नहीं सकता ..और मर कर उसे वोह खो नहीं सकता ...और आज उसने वोह कर दिया ..जिसको उसने अपने मन के अन्दर ही अंदर कितने महीनो से ढका छुपा कर रखा था .....

आखिर इक मर्द और औरत..कुछ होने से पहले ...आदम और ईव की परम्परा के इक आम इन्सान ही तो है ....

By 
Kapil Kumar 



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