Saturday 14 November 2015

किस्मतवाल- या बदनसीब ?



मार्च 26 सन 2017 .....आज मैं जो ब्लॉग लिख रहा हूँ ...शायद यह मेरा आखरी ब्लॉग हो.....मैं कंहा हूँ? ..शायद भागते भागते, मैं खुद भूल चूका हूँ ...अब तो आइना भी ,मेरी सूरत नहीं पहचानता...ना- जाने कितनी बार प्लास्टिक सर्जेरी से अपना चेहरा बदल चूका हूँ की याद ही नहीं,की मेरे चेहरे पे अब किसका मास्क है? ...नाम तो मेरे कपड़ो की तरह लगभग रोज ही बदल जाते है ..कितने देशो में मेरे घर है ?....मुझे खुद याद नहीं ....कितनी भाषाए मैं बोलने लगा इसकी भी गिनती शायद मुझे याद नहीं? ...बस किसी तरह से इक शौक बचा के रखा था ....की लिखना ....कभी भी नहीं छोडूनगा ..और शायद यही वजह है .... की मैं अपनी जिन्दगी की वोह दास्ताँ ..लिख रहा हूँ ..जो शायद आपके समझ में आये और शायद आप इसे कोरी गप्प समझ के भूल जाये .......

                                                           मैं इस वक़्त ....इक बड़े से हवेलीनुमा घर के इक ऐसे बेसमेंट में हूँ ....जो मुझे किसी भी प्राकृतिक और मानवीय विपदा से बचा सकता है ...मेरे घर के चारो तरह सिक्यूरिटी- के कैमरा लगे है और घर के दो कोनो पे मचान नुमा मंच से सुरक्षा कर्मी दिन रात घर की देखभाल करते है और कुछ सुरक्षा कर्मी घर के मैं दरवाजे पे तैनात है तो कुछ घर के आँगन में टहल रहे है ...कुल मिलकर 10/12 सुरक्षा कर्मी दिन रात मेरी सुरक्षा में लगे रहते है .... इतने सुरक्षित घर में ..इतने सुरक्षा कर्मी के होते हुए भी ..नींद जैसे मेरी दुश्मन हो चुकी है ...हर वक़्त मौत का डर मुझे जकड़े रहता है ..कब ,कौन और किधर से मेरी मौत का पैगाम ले कर आजाये ....मैं नहीं जानता ?...आज बड़ी हिम्मत जूटा कर अपने जीवन के उस रहस्य को जनता के सामने ला रहा हूँ ..
अगर कल मैं ना रहूँ ....पर सत्य जिन्दा रह जाए ....
                     मेरा, बहार की दुनिया से संपर्क ख़त्म हो चूका है ....अपने दोस्त , रिश्तेदार को ना जाने कबका पीछे छोड़ चूका हूँ ...शायद ,उनके लिए मैं जिन्दा भी नहीं हूँ ....यह सारी दुश्वारिया- मेरे जीवन में, जिस काम के वजह से आई ....वोह था मेरा ब्लॉग राइटर बनना....अगर मेने अपने जीवन मैं वोह मनहूस ब्लॉग ना लिखा होतातो शायद, मैं भी ,आप लोगो की तरह इक मस्त , आवारा , बैखोफ और सामान्य जीवन जी रहा होता ….नहीं मुझे तो भूत सवार हुआ था की बहुमुखी लेखक बनने का ....और उसी की क़ीमत जो मैं चूका रहा हूँ ...वोह तो मैं पहले ही लिख चूका हूँ .....
इस सारे मजरे की शुरुवात ऐसे हुई ....
हुआ यूँ की आज से करीब 3 साल पहले मेने इक ब्लॉग इसी कॉलम में लिखा था ...जिसने मेरा नसीब ही बदल डाला....

                       मार्च ...सन 2014…तक, ब्लॉग लिखते हुए मुझे करीब साल भर से ज्यादा हो चूका था ....पर अन्दर का लेखक, जैसे अभी तक प्यासा का प्यासा ही था ....सोचा. क्यों इक रहस्य रोमांच से भरपूर इक कहानी को ब्लॉग के माध्यम से लोगो तक पहुंचायु ....और इसी उधेड़ बून में लगे... मेने हर बार की तरह कुछ नया लिखने का निर्णय ले लिया ....
                                 मेने इक काल्पनिक कहानी लिखी ....जिसमे, मेने अपने आप को इक ऐसा आम आदमी दिखाया ....जो कल्पना की दुनिया में जीता है... की, उसे इक दिन बहुत सारी दौलत घर बैठे बैठे मिल जाती है ....उसकी इंटरनेट पे .....किसी अमीर आदमी से दोस्ती हो जाती है और कुछ दिन बाद, वोह अमीर आदमी मुझे इक की ईमेल भेजता है जिसमे वोह इक स्विस अकाउंट का नंबर लिख के भेजता है और लिखता है की उसकी जान को खतरा है ...अगर कुछ दिन बाद, उसने मुझसे द्वारा संपर्क नहीं किया तो ......मेरा नाम कुछ दिन बाद.. उस स्विस अकाउंट में खुद बे खुद जुड़ जायेगा और मेरा उस अकाउंट के पैसे पे पूरा अधिकार होगा ....और मैं कभी भी अपनी सुविधानुसा- स्विट्ज़रल- ैंड जाकर, उस अकाउंट के पैसे को निकाल सकता हूँ ...इस कहानी को सजीव बनाने के लिए.... मैं उसमे कोई 16 अक्षरों का इक काल्पनिक नंबर लिख दिया......ब्लॉ- छपता है लोग कहानी को पढ़ते है और भूल जाते है ....पर यह ब्लॉग मेरी जिन्दगी की इक असली कहानी बन जाता है .....

कुछ दिन बाद मेरे ब्लॉग में इक कमेंट आता है .....उसका मेसेज यह था ....
                                               जो मेसेज आपने अपने ब्लॉग के माध्यम से जो  लिखा है ...उसके सिलसिले में कमेंट के माध्यम से हम आपसे जल्दी संपर्क करेंगे ....कृपा आप इस ईमेल पे हमें हाँ में अपना जवाब भेज दे ....मेने भी मजाक मजाक में ,उस ईमेल पे, “यसका जवाब लिखके ईमेल भेज दिया ...फिर कुछ दिन बाद मुझे इक ईमेल मिला ...
                              जिसमे भेजने वाले ने ईमेल  में मुझसे पुछा... की... आपके पास यह अकाउंट नंबर कैसे आया ...उसके जवाब में मेने झूट मूट में लिख दिया की.... मेरे इक दोस्त ने, मुझे अपने अकाउंट में पार्टनर बनाया और मुझे बताया की यह हमारा साझा अकाउंट नंबर है  और मेरे मित्र ने कहा था की.... उसके रहने पे इस अकाउंट का मालिक में बन जाऊंगा और मेने इस नंबर को अपने ब्लॉग की कहानी में  लिख दिया था!! मुझे इससे ज्यादा और कुछ नहीं पता ?.....
                                असल में ,मैं तो इस नंबर को कब का भूल चूका  था ....की यह सच है या झूटा नंबर .....मेरे ईमेल का जवाब भेजने के कुछ दिन बाद ...मुझे ईमेल के जरिये ,इक कांफ्रेंस का इनविटेशन मिला ...जिसमे लिखा था ....की आपका हमारे G40  ग्रुप में स्वागत है ....

                                           यह कांफ्रेंस देल्ही के किसी फाइव स्टार होटल में रखा गया  था ...मुझे लगा यह सब बकवास और फर्जी है ....जैसे मेने कमेंट के जवाब में कुछ झूट  मूट कुछ लिख दिया... वैसे ही किसी ने, मुझसे मजाक करने के लिए ,ऐसा कोई फर्जी इनविटेशन भेज दिया है .....बात आई गई हो गई!! ........पर कुछ दिन बाद ,कूरियर से ,जब मुझे वही इनविटेशन द्वारा मिला.... जिसमे मेरे नाम से उस होटल में कमरे की बुकिंग और कांफ्रेंस की डिटेल्स थी ....तो मेरा माथा ठनक गया!!
                               इस इनविटेशन को देख जन्हा मैं ख़ुशी में झूम उठा ,वंही मेरा दिल अन्दर ही अन्दर धक् धक् कर रहा था ....अगर उन लोगो को पता चला की ...मेरा असल में कोई दोस्त वोस्त नहीं है और मैं इस आर्गेनाइजे- शन के बारे में कुछ भी नहीं जानता और मेरा इससे कुछ लेना देना नहीं है तो ..वोह लोग कंही मुझे किसी लफड़े में ना फंसा दे ...पर अब क्या किया जा सकता था ...या तो इसे मजाक समझ के भूल जाऊ या फिर जिन्दगी में इक जोखिम लेके देखा जाये ..आखिर इसकी असलियत क्या है ?वैसे भी मेरे पास खोने के लिए है ही क्या ? ऐसा सोच मेने उस कांफेंस में जाने का निर्णय ले लिया .....
पर इन्सान भूल जाता है ..जब तक वोह जिन्दा है ..उसके पास खोने के लिए हमेशा बहुत कुछ होता है ...जैसे दिन रात का चैन/नींद/आर- , शारीर के अंग और दहलाने वाली मौत !!

 जिस दिन की कांफ्रेंस थी , ठीक ऊससे ,इक दिन पहले, मेरे घर पे इक कॉल आया!!
                                  जिसमे किसी ने, मेरे आने की बात को इक बार और कन्फर्म किया .....मामला इक मजाक से शुरू होकर, अब इक सीरियस मोड़ की तरफ मूड चूका था ....मैं हिम्मत कर, डरते डरते कांफ्रेंस को अटेंड करने उस होटल के लिया निकल गया ...सोचा देखते है, जीवन में अब और कौन सा नया गूल खिलने वाला है .....होटल पे जब मैं पहुंचा तो रिसेप्शनिस- ्ट ने मुझे इक उडती नजर से देखा और अपनी निगाह परे फेर ली ... जब मेने उसे अपना परिचय दिया तो मेरे आश्चर्य का ठिकाना ना रहा ..होटल रिसेप्शनिस- ्ट ...जो मुझे पहले देख भी ना रही थी ,अचानक मेरे कदमो में लोट सी गई ..उसने मुझे बड़े अदब से सलाम ठोका और फिर मुझे बड़े अदब और सलीके से ले जाकर, इक सोफे पे बैठ दिया और गिडगिडाते हुए बोली ....सर मुझे माफ़ करे ....मेने आपको जल्दी से अटेंड  नहीं किया ....
फिर उसने मुझसे से पुछा मैं क्या लूँगा? ...
                         मेने ना में सर हिल दिया ..फिर भी उसने इक वेटर को कुछ बुला और मेरे से मेर हाल चाल पूछने लगी ....पलक झपकते ही वेटर अपने साथ की बड़ी सी ट्राली खींचता हुआ ले आया ...जिसमे चाय , कॉफ़ी और सब तरह  की ड्रिंक्स का सामान था ..उसने मुझे इक ड्रिंक ऑफर की जो मेनें बिना झिझके ले ली ...फिर उसने वेटर से कुछ कहा और मेरे से मेरी ड्रिंक कैसे है के बारे में बात करने लगी ......
थोड़ी देर बाद , वोह रिसेप्शनिस- ्ट अपने साथ ,इक निहायत ही सुन्दर लड़की जोविक्टोरिय- सीक्रेटके मॉडल जैसी  कपडे पहने थी लेकर आई ...जिसका परिचय, उसने मुझे, यह कह कर कराया की ....सर जब तक आप ,इस होटल में हैं, तब तक यह केयर टेकर आपकी सेवा में है ....यह आपको हर तरह की सेवा उपलब्ध करवाने के लिए आपके साथ 4/7 रहेगी ..अगर आपको यह पसंद नहीं तो हम दूसरी केयर टेकर आपकी सेवा में भेज देंगे ....
                                          मेरी हालत ऐसी थी की ...क्या बोलता ...इस तरह की लडकियों के तो... मैं सपने लेने लायक भी ना था ...ऐसी खुबसूरत लड़की तो, मेने सिर्फ मगज़िने के कवर या मूवीज में देखि थी .....मुझे अपनी किस्मत पे रश्क हो रहा था ...अब मुझे लग रहा  था ....की मेरा रिस्क लेना ,बेकार नहीं गया .....उसने मेरे से बड़ी गर्मजोशी से हाथ मिलाया और अपना परिचय इस तरह दिया ...
                     
                          सर , मेरा नाम डिओरहै और मैं आपकी सेवा में हर वक्त हाजिर हूँ ...मेरी तरफ से आपको शिकायत का कोई मौका नहीं मिलेगा ...आपकी सेवा करके मुझे अतियंत ख़ुशी होगी ...ऐसा कह उसने मेरा बैग उठा लिया और मुझे मेरे कमरे की तरफ ले गई ...रास्ते में चलते चलते उसने ...मुझे कांफ्रेंस का सारा कार्यकर्म समझा दिया ....की आज आप फ्री है ....आपकी कांफ्रेंस कल सुबह ठीक 9 बजे इक स्पेशल कांफ्रेंस रूम में है , जिसमे वोह मुझे अपने साथ लेकर जाएगी.....
                  जब मैं होटल के कमरे में पहुंचा तो ....मेरा आश्चर्य का ठिकाना ना रहा ...ऐसा सुन्दर और सजा हुआ कमरा तो , शायद मैं अपने सपनो में भी ना सोच पाता...कमरे में पहुँच उसने मेरे कपडे बदलने में मेरी मदद की और बोली ....सर, आप फ्रेश होना पसंद करेंगे या ड्रिंक लेंगे या मसाज लेना पसंद करेंगे ?

               मुझे थोड़ी सी बदहवासी सी थी और थोडा तनाव, तो मेने सोचा ,क्यूँ का नहा लिया जाये ..तो बदन हल्का हो जायेगा ..मेने उससे कहा , मैं नहाने जा रहा हूँ ...उसपे उसने कहा ठीक है ...मैं बाथरूम में जाकर सब ठीक करती हूँ ...थोड़ी देर बाद वोह इक तोलिया लपेटे हुए आई और अपने साथ मुझे बाथरूम में ले गई ..बाथरूम के अन्दर इक बड़े से टब में उसने मुझे बैठा कर ....मुझे ,मेरे जीवन का वोह स्नान कराया ..जिसे शब्दों में बताना शायद संभव नहीं! ....
                                    बाथरूम से निकलने के बाद, उसने मुझे इक ड्रिंक बना कर दी और उसके बाद शुरू हुआ ..जीवन का वोह हसींन सफर ..जिसकी कल्पना भी शायद कुछ लोगो की सोच में ना आये .... आज से पहले  जीवन में स्त्री सुख तो बहुत लिया था ....पर उस सुख में और इस आनंद में जो फर्क था ....वोह वैसे ही था ..जैसे किसी लोकल टैक्सी में सफ़र करने और किसी फरारी की सवारी में होता है ......
अगले दिन जब मेरी केयर टेकर ने मुझे उठाया तो ..बदन में इक ताजगी के साथ मीठी सी थकावट थी ...खेर हम दोनों ने साथ साथ बाथ लिया और तैयार होकर कांफ्रेंस के लिए चल दिए...   

                              कांफ्रेंस में जाते हुए मुझे डर लग रहा था ..की मुझे तो इस संस्था के बारे में कुछ पता नहीं ..वंहा मैं क्या बोलूँगा ....खेर जब इतनी दूर का सफ़र तैय कर लिया तो आगे भी चले चलते है .....इक बड़े से कॉफ्रेंस रूम में इक ओवेल शेप की टेबल थी ..जिसपे 40 कुर्सियां थी ..और हर कुर्सी के पीछे इक स्टूल रखा था ...और हर कुर्सी के सामने टेबल पे उस मेम्बर का नाम   लिखा हुआ था ...मेरी केयर टेकर ने मेरी सिट धुंडी और मेरा हाथ पकड मुझे वांह मेरी कुर्सी की तरह ले आई ..पहले उसने मेरी कुर्सी खिंची और मुझे उसपे बैठाया फिर कुर्सी के पीछे रखे स्टूल पे बैठ गई ..देखते ही देखते उस कमरे में सारे लोग कुछ ही मिनट में आकर अपनी अपनी कुर्सियों पे बैठ गए ...
                                   वंहा का माहौल बड़ा ही रंगीन और दिलचस्प लग रहा था.. ..इक तरफ दुनिया की इक से इक खुबसूरत हसिनाओ की मस्ती भरी खुशबु और मुस्कान बिखेरती चमक... दूसरी और कई देशो के भिन्न भिन्न वेश वूषा वाले अलग अलग उम्र के लोग .....थोड़ी देर बाद, इक गंभीर आवाज ने सन्नाटे को तोडा ..65/70 की उम्र वाले इन्सान ने कमरे में प्रवेश किया और टेबल की बिच वाली कुर्सी के पास आकर खड़ा होगया ...उसके आते ही सब लोग अपनी अपनी कुर्सी छोड़ खड़े हो गए .....

                                 जब वोह बैठ गया तो सब मेम्बर अपनी अपनी कुर्सी पे बैठ गए ..उसने सबका अभिनन्दन किया और बोला ....आज की कांफ्रेंस में हम अपने नए मेम्बर Mr कपिल कुमार का स्वागत करते है ...यह हमारे ग्रुप के इंडिया के रिप्रेजेन्- टेटिव है...जैसा की हमारा नियम है ..जब कोई मेम्बर रिटायर्ड होता है तो वोह अपना वारिस ...अपने देश के समाचारपत्र- के माध्यम से घोषित करता है ....तो इस बात Mr कुमार ...Mr सिंह का स्थान लेंगे ...उसकी बात सुन मुझे इक झटका सा लगा ...मेने अपने ब्लॉग में जिस कहानी का जिक्र किया था ..उसमे अपने इन्टरनेट वाले फ्रेंड का नाम कुछ सिंह करके ही लिखा था ....
                                तो इसका मतलब यह हुआ ....की मेरे ब्लॉग की कहानी ...दुनिया में किसी संगठन की कार्यप्रणा- ली से मिलती थी ....इसलिए, इन लोगो ने मुझे इस कांफ्रेंस में बुलाया ....खेर मामला अब मेरी समझ में आगया था ...पर अभी भी ,मिलियन डॉलर का सवाल यह था ...की असली सिंह कौन है और वोह कंहा है ?...क्या वोह इस कांफ्रेंस में बुलाया गया की नहीं , क्या उसे इस कांफ्रेंस के बारे में मालूम है या नहीं? ..इतने सारे प्रशन मेरे दिमाग में कोंध रहे थे ....की अपने ख्यालो से निकल मैं ...स्पीकर की बातो को सुनने लगा ....
                             स्पीकर ने कहा जैसे की आप लोग जानते है ....इस G-40 ग्रुप में.... चालीस देशो के चुंनिंदा अमीर लोग मिलकर..... हर साल इक कांफ्रेंस का आयोजन करते है ...जिसमे यह तैय किया जाता है ..की ..किस देश की इकॉनोमी को हमें आबाद या बर्बाद करना है ..और उसकी रूप रेखा हम इस तरह की कांफ्रेंस के माध्यम से बनाते है....तो..पिछल- कुछ सालो में हमने एशिया और साउथ अमेरिका की इमर्जिंग मार्किट में इन्वेस्ट करके वंहा की इकोनोमी को आर्टिफीसिय- बूम देकर काफी ऊपर उठा दिया था .....जैसा की हमने अपनी लास्ट कांफ्रेंस में फैसला लिया है ....की... सब लोग अपना अपना इन्वेत्स्म- ेंट वंहा की शेयर और रियल एस्टेट मार्किट से निकल ले ...
                                    आप , अपना अपना इन्वेस्टमे- ंट पश्चिम में संसार के सबसे शक्तिशाली देश में और पूर्व में जापान में लगाना शुरू कर दे .....वंहा की रियल एस्टेट और स्टॉक मार्किट में आप इक नया बूम लेकर आये और अपना अपना मुनाफा आने वाले / सालो में कमा कर निकाल ले ....इन्वेस्ट- ेंट निकालने का समय अगली कांफ्रेंस में तैय किया जाएगा .....पिछले बार के इन्वेस्टमे- ंट में हमारे ग्रुप में सबसे ज्यादा फायदा Mr सिंह ने ....इंडिया,ची- और ब्राजील में इन्वेस्टमे- ंट करके कमाया है ....
                         और उस फायदे का 20% ..Mr कुमार जो की Mr सिंह के वारिस है ..इस ग्रुप G-40 को कंट्रीब्यू- करंगे ....इनका कुल फायदा 500 अरब डॉलर था ..तो Mr कुमार 100 अरब डॉलर(100 billion  dolor) … 3 महीनो के अन्दर ग्रुप के कॉमन अकाउंट में जमा करवाने होंगे ...और जिन भी सदस्यों का फायदा पिछले बूम से हुआ….वोह सब भी अपना अपना फायदा जल्दी से जल्दी G-40 के स्विस अकाउंट में जमा करा दे.... ....ताकि जिन सदस्यों को ..किसी वजह से नुक्सान उठाना पड़ा उनके नुकसान की भरपाई किया जा सके ......

                      उसकी बात सुन मेरा भेजा चकरा गया ...मेरे पास तो 100 हजार डॉलर का भी ठिकाना ना था और यह जनाब बात कर रहे है 100 अरब डॉलर की ...क्या मजाक है ...साला इक कांफ्रेंस करने की यह क़ीमत मेरी समझ से बहार थी ...
                              उसके बाद उस स्पीकर ने क्या कहा ....मुझे कुछ सुनाइ नहीं दिया ...मेरे साथ बैठी मेरी केयर टेकर ....जो थोड़ी देर पहले तक मुझे जन्नत की हूर लग रही थी ....मुझे अब इक ऐसी चुडेल नजर आने लगी ..जिसके जाल में फंस,शायद मेने अपनी मौत लिख दी थी ......
                           100 अरब डॉलर(100 billion  dolor)....यह रकम मेरे कानो में इक हथोड़े की तरह बज रही थी ...कांफ्रेंस- ख़त्म होने के बाद इक लड़की मेरे पास आई और इक स्विस अकाउंट का नंबर देकर बोली ....आप पैसा इसमें वायर करवा दे ...मेने मरते , कांपते हाथ, उसकी तरफ बढ़ाये थी की ....
                                            मेरी केयर टेकर ने उससे नंबर अपने हाथ में लिया और मेरे देखते ही देखते सारी इनफार्मेशन- उसने अपने टेबलेट में डाल ली ....फिर वोह मुझसे बोली ....सर आपको परेशांन होने की जरुरत नहीं ...मेने सारा डाटा आपके पर्सनल कंप्यूटर में ट्रान्सफर कर दिया है ....आप अपने पर्सनल कंप्यूटर को जब चाहे ...इस टेबलेट से कनेक्ट करके ...सारी इनफार्मेशन- चेक कर सकते है ....
                            मेने अब तक अपनी केयर टेकर जिसका नामडिओरथा को सिर्फ इक भोगने और मजा लेने की चीज समझा था ..अब इस मौत की घडी में वोह मुझे किसी देवी से कम नहीं लग रही थी ...मेरे पास सिवाए उसके ..इस मामले को समझने का और कोई जरिया ना था ...

                     मेने डिओर से कहा ....चलो अपने कमरे में चलते है वंहा मुझे, तुमसे कुछ जरुरी बाते करनी है ....कमरे में पहुच ...मेने उससे कहा , “डिओर” ..मैं तुमसे झूट नहीं बोलूँगा , मैं बड़ी मुसीबत में फंस गया हूँ और ऐसा कह मेने उसे पूरी दास्तान सुना दी ....की कैसे मेने ब्लॉग लिखा और कैसे मैं इस कांफ्रेंस में आया ....
                            मेने उसके सामने गिडगिडाते हुए कहा ...तुम मेरी मदद करोगी तो बहुत अहसान होगा .... मेर बात सुन वोह थोडा संजीदा हो गई और बोली ...सर , आप पहले इन्सान हैं जिसने मुझे इक औरत से ज्यादा इक इन्सान समझा और मुझे इस काबिल समझा की मैं आपकी मदद कर सकूं ....मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिस करुँगी ...पर यह मामला इतना सीधा नहीं है जितना ..की लगता है ....मेने उससे पुछा ...तुम कितने सालो से इस तरह की कांफ्रेंस अटेंड कर रही हो ...क्या तुम Mr सिंह से पहले मिल चुकी हो ....मेरी बात सुन डिओर बोली ...सर आपने मुझे इक बहुत बड़ी मुसीबत में फंसा दिया है ....इसमें मेरी जान भी जा सकती है ....पर आपकी मदद मैं जरुर करुँगी ......

                             मेरे पास Mr सिंह के एकाउंट्स के डिटेल्स है और उनके कंप्यूटर का कंट्रोल जिसपे मेने अभी अभी इनफार्मेशन- ट्रान्सफर की थी ....मेने उत्सुकता से कहा.... जल्दी से उस अकाउंट को चेक करो ....हमने जब अकाउंट चेक किया तो मेरा सर चकरा गया ...वोह अकाउंट, मेरे नाम से इक स्विस बैंक में था  और उसमे अभी भी 100 अरब डॉलर (100 billion  dolor) जमा थे .....यानि की, ठीक उतना पैसा... जितना मुझे G-40 ग्रुप को देना था ...
किस्मत का इससे क्रूर मजाक शायद कुछ नहीं था .....दौलत के ढेर पे बैठा मैं इक ऐसा अमीर था ....जिसके पास सब कुछ होते हुए भी ,कुछ भी नहीं रहना था.....मतलब , मैं कल भी खाली हाथ था और कल भी खाली हाथ होने वाला था ...पर, मुझे किस्मत का यह फैसला मंजूर ना था ....
क्रमश:

By

Kapil Kumar 

Note: “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is purely coincidental.' ”


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