Thursday 12 November 2015

गिलास.....आधा ...खाली या भरा ??



इंसानी फितरत भी अजीब चीज है जब उसे खूब खाने को दो तो पेट दर्द कि शिकायत और खाने को ना मिले तो वोह भूख कि शिकायत करेगा ...कहने का मतलब है ...की ..उसे हर हालत में शिकायत ही करनी है  समस्या शायद यह है कि  उसे पता ही नहीं उसे क्या चाहिए ?
इक बार मैं... किसी मैनेजमेंट कि ट्रैनिंग में गया ...वंहा पर इंस्ट्रक्टर सकारात्मक सोच यानि पॉजिटिव रवैये पे कुछ बाते समझा रहा था ....उसने वही घिसा पिट्टा उधाहरण हमारे सामने रखा कि गिलास आधा भरा है तो …… इसे कैसे देखोगे ?

कि गिलास आधा खाली है या आधा भरा ?

तुम्हारे जवाब से ही तुम्हारी सोच का पता चलता है कि.. तुम सकारात्मक सोच रखते हो या नकारात्मकउसने यही सवाल पूरी क्लास यानि जो जो लोग ट्रैनिंग में आये थे उन सबसे किया ...

मेने उसकी यह बात सुनी और चुपचाप बैठा रहा ... जब मेरा नंबर आया उसने वही प्रशन मुझसे भी किया...

मेने उसे सर से पैर तक ऊपर से निचे देखा और बोला ....मुझे फर्क नहीं पड़ता कि गिलास आधा खाली है या आधा भरा ? .....
मेरा इतना कहना था कि सबकी प्रशन वाचक निगाहे मेरी तरफ घूम गई ....

 इंस्ट्रक्टर के समझ ना आया कि मेने क्या कहा?   उसने फिर पुछा तो तुम्हारा जवाब क्या है ? गिलास आधा खाली है या आधा भरा ?

मैं बोला मेरे लिए गिलास आधा खाली है या आधा भरा है उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि मेरे पास गिलास है  … मेरा इतना कहना था कि सब लोग मुझे यूँ ताकने लगे कि मैं इक अजूबा हूँ .....  अब इंस्ट्रक्टर भी मेरी तरफ ऐसे देखने लगा कि मैं कुछ पी कर तो नहीं गया उसकी क्लास में?…

उसने फिर कहा इसका क्या मतलब?

मैं बोला गिलास आधा खाली है या आधा भरा... यह तभी तो मतलब रखेगा   जब किसी पे गिलास होगा ......
अब जिसके पास आधा भरा गिलास होगा उसके पास दो विकल्प है .... वोह इसे पूरा भी भर सकता है या चाहे तो उसे पी कर उसे पूरा खाली भी कर सकता है  इससे क्या फर्क पड़ता है कि वोह इसे आधा भरा समझे या आधा खाली... जो इसे आधा खाली समझेगा वोह इसे पूरा भरने के नए आयाम सोचेगा और जो इसे आधा भरा समझेगा वोह इसे पीकर आराम करनी कि सोचेगा ...

पर वोह बदनसीब क्या करेगा जिसके पास गिलास ही नहीं है? मेरा यह जवाब सुन पूरी क्लास में सन्नाटा छा गया  .. अब इंस्ट्रक्टर कि हालत अजीब हो गई उसे समझ ना आया कहे तो क्या कहे ?

उसने खीज मिटाते हुए कहा  मान लो तुम पे गिलास है तब.......मैं बोला गिलास भरा है या खाली...मेरा सवाल सुन फिर सब चोंके ... अब इसका क्या मतलब  इंस्ट्रक्टर खीजते हुए बोला ... मेने फिर पुछा कि गिलास में कुछ है या कुछ भी नहीं ?

इंस्ट्रक्टर बोला तुम ही पसंद कर लो हम और सबको समझा दो ...मैं बोला ..पहली चीज मेरे पास गिलास है .... दूसरी अगर वो भरा है ..तो मेरे पास दो विकल्प है जो मेने पहले बताये ..अगर गिलास पूरा खाली है तो मैं उसमें कुछ  भरने का प्रयत्न करूँगा ...अब इंस्ट्रक्टर बोला अगर पहले वाली सिचुएशन है तो ....

मैं बोला यह निर्भर करता है ....की मैं जिन्दगी के कौन से पड़ाव पर हूँ ?

अगर जवान हूँ तो इसे पूरा भरने की कोशिस कुछ समय तक जरुर करूँगा अगर भरा तो ठीक वरना इसे एन्जॉय करूँगा .... अगर बुढ़ापे में हूँ तो इस आधे भरे गिलास से बचे हुए वक़्त को एन्जॉय करूँगा ...

मेरी बात सुन कुछ लोग मेरे समर्थन  में तो कुछ विरोध में सर हिलाने लगे ...खेर यह बात इक दार्शनिक नजरिये से कही गई .... इसके पीछे कहने का कारण यह था .... की जीवन में सबसे बड़ी बात है की आपके पास गिलास यानी मौका का होना होना

 अगर मौका है ..तभी आप तय कर सकते है की ..किस विकल्प को आप अपनाये ....अब हमारे पास दो विकल्प है ...इक हम उसे आराम से मजे में काट ले या उसे और मेहनत करके ज्यादा पाने के की कोशिस करे ...

कई बार कुछ बहुत ही समार्ट और योग्यता वाले लड़की और लड़के कुवांरे रह जाते ..क्योकि वोह अपने जीवन रूपी गिलास को भरने में लगे रहते ....और कुछ बेसबरे  वक़्त से पहले ही गिलास का पानी पी जाते यानी शादी , बच्चे या अफयेर के चक्कर में पड ...अपने करियर को ही बर्बाद कर बैठते ...

मैं यह तो नहीं कह सकता की पहला विकल्प अच्छा है या दूसरा ..पर  जीवन में मौका होना यानी गिलास का होना ही सबसे बड़ी चुनौती है ...अगर आपके पास गिलास है तो उसके आधे भरे या खाली होने के वाद विवाद में ना पड़ कर ...गिलास का इस्तमाल करे .....

यह जीवन इक गिलास है और इसमें खुशिया और दुःख भरे है ..अब आप पे निर्भर है ..की गिलास में आधे दुःख देखे या आधे सुख ..और किसे भरे या खाली करे या उसे जिए ....

कुछ लोग जीवन भर पैसा कमा कमा कर जोड़ते जाते है और बैंक में इक नंबर को चेस करते हुए परलोक सिधार जाते है या कुछ लोग यह सोच कर आज में नहीं जीते की.. जब यह होगा तभी मुझे ख़ुशी होगी या मेरा शौक पूरा होगा .....

बहुत से लोग जीवन भर इसी सोच में अपना समय बीता देते है ..की कल जब रिटायर होंगा तब यह करूँगा वोह करूँगा ..या मेरा बच्चा कॉलेज जाएगा ..तब मैं यह करूँगा ....पर कलके इंतजार में वक़्त निकल जाता है ...कई बार ...

गिलास तो नहीं भरता ..पर गिलास ही टूट जाता है"

सच तो यह की हर बीतने वाले पल के साथ समय पीछे छूटता जा रहा है ....आप गिलास को भरने यानी जीवन में सारी खुशियाँ इकट्ठी करने के चक्कर में ..कंही पूरा वक़्त ही बर्बाद कर दे ..की आपका भरा गिलास ताकता रह जाए और आप दुनिया को टाटा बाय बाय कर जाए ..... 

बचपन में पढ़ी किसी लेखक की कुछ पक्तियां याद आगई ...


खीर पकाई जतन से चरखा दिया चला ..आया कुत्ता खा गया , तू बैठी ढोल बजा

By

Kapil Kumar 


Note: “Opinions expressed are those of the authors, and are not official statements. Resemblance to any person, incident or place is purely coincidental. Do not copy any content without author permission”

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