Thursday 12 November 2015

क्या तुम मुझसे शादी करोगे? --- भाग-१


दिल्ली भी इक विचित्र नगरी है ....अगर आप गौर करे तो दिल्ली के आसपास सिमटे शहर जैसे गुडगाँव , नॉएडा , ग़ाज़ियाबाद, सोनीपत और फरीदाबाद ....जिन्हें हम आजकल एनसीआर के नाम से भी जानते है ...सबमें अपनी अलग विशेषता है .....जैसे गुडगाँव इक हाई टेक सिटी , फरीदाबाद  इक छोटे तबके का फैक्ट्री वाला शहर , ग़ाज़ियाबाद में खूब सारे कॉलेज और इंस्टिट्यूट और साथ में इक से बढ़कर इक माफिया और सोनीपत इक ठेट हरयाणवी सभ्यता लपेटे और नॉएडा में इन सबका मिला जुला असर आदि आदि ...इसे विधि का विधान या कपिल का सोभाग्य की उसे इन शहरो में किसी किसी वजह से नौकरी करने और रहने का अनुभव हुआ ...खेर कपिल की यह कहानी इनमें से इक शहर की है .....

बात उन दिनों की है जब कपिल ने अपनी पहली पहली नौकरी शुरू की थी ...नौकरी करते हुए उसे करीब दो साल बीत चुके थे ...कपिल इक आम सा और साधारण शक्ल सूरत , गेहुए रंग और सामान्य कद काठी का नौजवान था.... उसकी जिन्दगी अपनी रफ़्तार से चल रही थी ...

दिन में काम ..शाम को अपनी गर्लफ्रेंड(सहेली) के साथ कुछ पलो का साथ और बिंदास लापरवाह होकर इधर उधर घूमना .....उसका शगल था ....उसने रहने के लिए इक कमरा किराये पर ले रखा था ..जिसके साथ कमरे और अटैच्ड थे ...जिनमे इक पंजाबी माँबेटा ...रहते थे ...कपिल और माँ- बेटे ..घर में बाथरूम और पीछे का आँगन साझा करते थे ....बेटा जिसका नाम संजय था ...कपिल की ही उम्र का और उसके जैसे ख्यालो का शोहदा था ....संजय और कपिल जब भी मौका मिलता ..साथ साथ गप्पे लड़ाते , बीअर पीते , खाना खाते  और अपने नयन सुख के लिए शहर में मारे मारे फिरते ......

कपिल की सहेली भी कभी कभी उसके कमरे पे दस्तक देने आजाती ..पर उन दिनों किसी को घर पे बुलाना इतना आसन ना होता ...आस पडूस की खडूस औरते ..सब ताक झांक में रहती की ..इन कुवांरे छड़ो के ..घर कोई जवान लड़की क्यों और कैसे आई ....

खेर संजय की माँ इक खुले दिल की नेक औरत थी .. जैसे संजय अपनी माँ को झाई (माँ ) बोलता ..वैसे ही कपिल  भी उसे झाई बोलता ...वोह भी उसे  पूरा स्नेह और दुलार देती ...इसलिए जब भी कपिल की  सहेली उसके  दरवाजे आती ...उसकी माँ ..उन  दोनों के मिलन में कोई रुकावट ना डालती ..उनकी इक ही शर्त थी ...की तुम लोग दरवाजा बंद करके नहीं बैठोगे ..उन लोगो को भी इस शर्त में कोई आपत्ति ना होती  ..इस बहाने उन  दोनों को अकेले  कमरे में बैठ ..बेधडक होकर गप्पे मारने  और कभी कभी इधर उधर हाथ भी साफ़ करने का मौका मिल जाता .....

कपिल की जिन्दगी इक बेजान सी गाडी की रफ़्तार से चल रही थी ...कपिल  हर वीक एंड पे अपने घर जाता था ...तो अपने कमरे की चाबी झाई (संजय की माँ ) के पास छोड़ आता ....इक दिन उसे  संजय ने बताया की उसकी शादी तैय हो गई है और जल्दी ही उसकी शादी है... ..वोह दोनों इतने करीब होकर भी ..कुछ बातो से इतने अनजान थे ..की वोह समझता उसने उसे सब कुछ बता दिया और कपिल को  कुछ पता ना होता ..

शायद दिया तले अँधेरा होता है ..उसकी मिसाल उन  दोनों की दोस्ती या समझदारी से अच्छी तरह परिभाषित होती थी ...

इक दिन कपिल जब अपने घर से वीक एंड ख़त्म करके कमरे पे आया तो ..कमरा खुला देख भोचंका रह गया ....अंदर देखा तो सारा सामान उल्टा पुल्टा पड़ा था ...उसका  बेड कमरे में इक कोने में खड़ा था और कमरे के फर्श पे हर तरफ गद्दे बीछे हुए थे ....कपिल  बड़े ही गुस्से में अन्दर घुसा तो ...सामने इक खुबसूरत लड़की को बैठा पाया ....

वोह करीब २०/२१ साल की गोर वर्ण की और मझले कद की लड़की थी ...उसकी आँखे में इक अजीब सा सम्मोहन था ....जैसे वोह पुकार पुकार कर कह रही हो ..आओ इसमें डूब जाओ ....उसका बदन सांचे में ढले आकर जैसा लगता था ..उस ज़माने में ...ऑवर गिलास (समय नापने का यंत्र ) जैसी फिगर होना बहुत बड़ी बात होती थी .... उसे देख कपिल चोंक पड़ा

कपिल उसकी सुन्दरता से इक बार ठिठका ..पर अपने पे काबू पा कर और लगभग चिल्लाते हुए बोला ...तुम कौन हो, क्यों और कैसे मेरे कमरे में आई ? लड़की ने  उसकी  तरफ इक टेढ़ी निगाह की और अपनी नाक मुंह सुकुड भर दिया ..अभी वोह और कुछ कहता ..की संजय दौड़ता हुआ आया और बोला ..जरा बहार ...

कपिल, संजय के साथ कमरे से बहार आया तो वोह बोला ..यह मेरे रिश्तेदार है ...परसों मेरी शादी है ...कपिल को बड़ी हैरानी हुई ..वोह  बोला ..अबे तूने तो बताया ही नहीं ...इसपे संजय बोला सारी दुनिया को कार्ड बंट गए और तू कह रहा है की बताया नहीं ?

अब उसे कपिल  क्या कहता ..की संजय ने उसे शादी का कार्ड ही नहीं दिया ..खेर ..थोड़ी देर में इक बुजुर्ग और आये ..जो संजय के पिताजी थे ...वोह लड़की उनके साथ शादी में आई थी ...संजय के पिताजी लुधियाना में नौकरी करते थे ..जबकि संजय और उसकी माँ ..यंहा साथ रहते  .... संजय के पिताजी ने कपिल से बड़े बेत्कुलफ़ होकर बाते की ..शायद उन्हें कपिल और संजय की दोस्ती के बारे में पहले से मालुम था ...
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अब अपने ही घर में पराया होने किसे कहते है इसका अनुभव कपिल को हो रहा था ..ना तो वोह कंही लेट सकता था और ना ही कंही बैठ सकता था ..उसको उलझन में पड़ा देख संजय के पिता बोले अरे ..अपने ही कमरे में हो आराम से बैठो ..पर कपिल की समस्या कुछ और थी ..

किसी अंजान खुबसुरत लड़की के सामने यूँ बैठना ..कुछ अजीब और शर्मिंदगी का अनुभव दे रहा था ...कपिल बाते तो संजय के पिता से कर रहा था पर उसकी आँखे जैसे लड़की के चहरे पे टिकी थी......वोह उसकी सुन्दरता से मदहोश हुआ ..जा रहा था ..उस वक़्त उसका मन कह रहा था .....कांश यह लड़की पट जाये...
पर उस वक़्त कपिल को क्या पता था ..की.....
 उसके जीवन का वोह सुनहरा वक़्त चल रहा था और कंही कोई उसकी कामनाओ कोतथास्तुबोल चूका था .....

थोड़ी देर की ताक़ झांक के बाद वोह लड़की उठ कर चली गई और कुछ देर बाद अपने साथ चाय की ट्रे लेकर गई ..उसने सबको चाय के प्याले पकडाए ..पर जैसे ही कपिल का नंबर आया ..उसने ट्रे जमींन पर रख दी और उसकी तरफ मुंह बिचका दिया ..शायद वोह उसके चिल्लाने से नाराज थी ...
कपिल का दिल बार बार उसे देख मचल रहा था ..उसने मौका देख ..संजय को पकड़ा और उस लड़की की पूरी जानकारी मांगी ...संजय उसकी तरह हँसते हुए बोला ..बेटा उसकी तरफ आँख उठा कर भी मत देखना ..वरना मुंह के बल गिरोगे ..कपिल ने उससे पुछा ऐसा क्या है ?

संजय कपिल से बोला..देख ....इसका नाम रीना है ....
पहली बात यह लड़की मेरे बाप के साथ आई है .. यह उसके मकान मालकिन की बेटी है .. ..वोह उसे अपनी बेटी की तरह मानता है ....उसे मेरा बाप अपनी आँखों से दूर ना होने देगा.....
दुसरे यह लड़की किसी को लिफ्ट नहीं देती ....
तीसरे इसके भाई बड़े खतरनाक है..अब बोल ...बता तेरी दाल कैसे गलेगी ..वैसे भी तू ठहरा ..पक्का बानियाँ ..और ऐसा कह वोह हंस पड़ा .....

पर दुनिया में वोह ही काम सबसे ज्यादा सम्भव है ...जिसे इन्सान असम्भव कहता है ..क्योकि हर असम्भव में इक सम्भव छिपा होता है ...
  
यह कपिल के व्यक्तित्व का जादू था या शादी का माहौल की ...दुरिया नजदीकियों में बदलने लगी .....कपिल जाने अनजाने रीना को निहारता और शायद वोह भी जानती थी की कपिल उसे गाहे बगाहे टक टक्की लगा कर देखता रहता है ...

अगले दिन कपिल ...संजय की शादी में आये हुए संजय के चचेरे बहनो और भाईयो से गप्पे कर रहा था ...उनसे बातो ही बातो में कपिल ने कहा उसे हाथ देखना आता है..बस उसका इतना कहना था की ...सब लड़कियां अपना अपना हाथ फैला कर उसके आगे बैठ गई .....कपिल ने कुछ दिनों पहले ही किरो की हस्तरेखा  विज्ञानं के ऊपर किताब पढ़ी थी ..उसने अपनी आधी अधूरी जानकारी से उन लडकियों को कुछ खट्टी मीठी बाते बता दी ..उसकी बाते सुन सब हंस रही थी और इक दुसरे का मजाक बना रही थी ...

की अचानक इक हाथ कपिल के आगे आया और अपनी मधुर आवाज में बोला .....
क्या आप हमारा भी भविष्य बतायंगे ...कपिल ने जैसे ही उस हाथ को पकड़ा तो उसका हाथ कांप उठा ..... उसने नज़र उठा कर देखा तो ....उसकी आँखे जैसे पत्थरा गई और गला जैसे सुख गया ...उससे कुछ बोलते बना .....
रीना की काजल से सजी आँखे जैसे उससे कुछ पूछ रही थी ...जिसका जवाब कपिल के पास ना था ..... सब लड़कियां कपिल को देख हंस रही थी ...और रीना कपिल की हालत पे मंद ही मंद मुस्कुरा रही थी .....

भगवान ने भी इन औरतो को इक विशेष गुण दिया है... औरतो की कुछ अनकही बाते...जो बड़े से बड़ा उस्ताद मर्द भी समझ नहीं पाता...उसे आम औरते इशारो ही इशारो में बड़ी आसानी से समझ लेती है ...

जब कपिल ने कोई जवाब ना दिया तो रीना ने अपना हाथ उसके हाथ पे रख दिया और बोली ..हमारा भी हाथ भी देखे ...कपिल ने रीना का हाथ झटक दिया और वोह घबरा कर वंहा से उठ कर चला गया ....

जो कल तक असम्भव था...आज वोह सम्भव हो चूका था ..

कपिल के कमरे में शादी में आए पुरुषो के लिए सोने का इंतजाम था...कपिल भी अपने कमरे में बिछे इक बिस्तर को ठीक करने लगा...अचानक रीना वंहा आई और कपिल से बिना बोले ही उसके साथ बिस्तर ठीक करने लगी ...तभी संजय के पिताजी कमरे में आए.....उन्होंने दोनों को देखा और पंजाबी में कुछ कहा ...जिसका मतलब कपिल के समझ में ना आया ...पर रीना कपिल को देख मंद मंद मुस्कुरा रही थी ...और कपिल उन दोनों को देख शर्म से गडा जा रहा था ....

अगले दिन संजय की बारात को कैथल (हरियाणा ) के लिए निकलना था ...सब लोग सजधज के बस में बैठ गए ...कपिल भी संजय के और दोस्तों की साथ बस में आगे वाली सीट पे बैठ गया ..... सब लडको में रीना को लेकर कानाफूसी हो रही थी ...इस वक्त वोह इक गुलाबी सूट पहने थी ...जिसमे उसकी खूबसूरती सबके होश उडाये हुए थी ...जब वोह बस में चढ़ी तो सबकी निगाहे उसकी और थी की वोह कहाँ जाकर बैठती है?

कपिल अपनी ही धुन में खोया ..बस से बहार झांक रहा था ..की उसने अपनी नजरे बस के अंदर घुमाई तो ...अपने सामने वाली सीट पे रीना को बैठा पाया ..उसने अपनी नजरे वंहा से घुमा ली ...इतने लोगो के बीच रीना की तरफ देखने की उसकी हिम्मत ना थी ....शादी की बस बारात को ले अपने गंत्य्व्य यानी संजय की होने वाली ससुराल (कैथल ) की तरफ चल पड़ी .....कपिल अपनी धून में खोया कुछ लोगो से गप्पे मारने मे लग गया ...पानीपत के करीब  पहुँचने पर ....बारात में आए बुजर्गो ने ड्राईवर से बस को रोकने के लिए कहा ..की सब लोग थोडा नाश्ता वाश्ता कर ले ....

सब लोग बस से उतर गए ...की संजय के इक करीबी दोस्त ने जो कपिल को अच्छे से जनता था ....अचानक आकर कपिल के गले में हाथ डाल दिया और बोला .....बेटा क्या चक्कर चल रहा है ?

उसके इस अचानक सवाल के हमले से कपिल घबरा गया ...वोह बोला ...क्या मतलब ....कपिल को लगा शायद रीना ने उसके घूरने की शिकायत किसी से कर दी है ..इसलिए वोह यह सब पूछ रहा है ....वोह हंसा और बोला बेटा ..हमसे ही छिपाओगे...तुम्हारा तो हम मोर बना देंगे.... और ऐसा कह वोह उसके साथ बैठे कुछ लड़के जो जोर से हसने लगे ..कपिल ने हडबडा कर पुछा ..अरे बात क्या है ? कुछ बताओ तो सही?? ....

इसपे वोह सब हँसे और बोले ...बेटा सारे रास्ते वोह तुझे ही देख रही थी ..और तो और ..जब हम सबको बस में पीने के लिए पानी दे रहे थे ...तो तेरे लिए वोह कबसे पानी लेकर बैठी थी ...की कब तू उससे पानी ले ..अरे हमें सब मालूम है ..बता कबसे चल रहा है यह चक्कर ?

उनकी बाते सुन कपिल का दिल मन मयूर नाचने लगा ..उसे आभास भी ना था ...की इतनी सुन्दर लड़की भी कभी उसपे मर मिट सकती है ...सारी दुनिया उसकी दीवानी और वोह कपिल की ...क्या अजब पहेली थी ?

इसके बाद तो बस में कपिल का बैठना दुर्भर हो गया जैसे ही रीना की नजरे घुमती ..सभी लड़के उसकी नजरो का पीछा करते हुए ....कपिल के चेहरे पे आकर टिक जाते ...और उसे देख कोई आँख दबा देता ..तो कोई उसे चुटकी काट देता ...

वैसे यूँ तो आम जिन्दगी में कपिल कोई अनाड़ी या सीधा साधा ना था ...पर जीवन में किसी लड़की का उसे ....यूँ सरे आम देखना ...उसके मजबूत इरादों और उसकी मर्दानगी की हेकड़ी की दिवार रेत की तरह खुलम खुल्ला ढा रहा था....कहाँ उसकी नजरो से लड़कियां तो लड़कियां ......शादी शुदा औरते भी शर्मा जाया करती थी और आज वोह बारात की सबसे शर्मीली लड़की की नजरो से ...अपनी नजरे छिपाने को मजबूर था ....

कपिल कंही भी जाता ..रीना की निगाहे उसे ढूंड ही लाती ...सब लड़के बस से उतर ...आपस में गप्पो में मशगुल हो गए ...उनमे से कुछ इक कोने में खड़े होकर सिगरेट फूंकने लगे ...कपिल भी उनके साथ खड़ा हो गया और सिगरेट के छल्ले उडाने लगा ....उसे कंही दिल में यह अहसास था ...की रीना को सिगरेट पीना अच्छा नहीं लगता  और वोह उसे चिढाने के लिए उसे देख सिगरेट के धुएं को हवा में उड़ा कर उसकी तरफ देख मंद सा मुस्कुरा देता ....

रीना की आँखों में इक हलके से क्रोध की छवि उभरती पर वोह अपने जज्बातों को छिपाने में माहिर थी ..उसके दिल का हाल सिर्फ कपिल ही समझ सकता था ....

कुछ मस्तियो , छेडछाड , गाने बजाने करती हुई बारात आखिर कैथल पहुँच गई ...लड़की वालो ने बारात का इंतजाम इक बड़ी सी धर्मशाला में किया था ....बारात को लम्बे सफ़र की वजह से इक रात धर्मशाला में रुकना था ...सब बाराती उतर कर अपने पसंद के लोगो के साथ अपने कमरों में चल दिए ....जंहा सबने अपना सामान रख दिया ...कपिल अपने साथ कुछ ना लाया था....कपिल के पास कुछ ना था इसलिए वोह इधर उधर घुमने लगा ...की संजय और उसके दोस्त उसके पास आए और बोले ...सामने वाले कमरे में पीने इंतजाम है..सभी वंही जा रहे है .....कपिल का मन पिने का तो ना था ...पर उन्हें मना  कैसे करे वो इसी कशमकश में था .....

यूँ तो कपिल और संजय कभी कभी बियर पीते थे ....पर शादी विवाह में कुछ भी पीना कपिल के उसूलो के खिलाफ था ...उसे शादी में पीने वालो से बचपन से ही चिढ थी ...लोग पहले खूब पी लेटे और फिर पूरी शादी उनका ड्रामा चलता ...पर उनको यूँ मना कर देना उसे ठीक ना लगा ....इसलिए वोह उनसे बोला तुम लोग चलिए मैं आता हूँ ....

सब लोग चले गए ..की अचानक कमरे में रीना , संजय के पिता और किसी बड़े ही समार्ट लड़के के साथ आई ...उन दोनों को साथ देख कपिल के दिल पे इक छुरी सी चल गई ..उसे लगा यह शायद उसका बॉयफ्रेंड है ?
वोह दोनों आपस में बड़े ही धीमे धीमे बात कर रहे थे ...की संजय के पिता ने कहा ...अरे कपिल तुम भी यंही इसी कमरे में सो जाना ... तुम और लोगो के साथ नहीं गए ?...कपिल बोला बस जा ही रहा हूँ  और ऐसा कह वोह कमरे से बहार निकल गया...उसका इतना बोलना था ..की रीना की नजरो से इक क्रोध की जवाला निकली ....जिसका अर्थ कपिल को समझ ना आया ?...

संजय की बारात दुलहन के घर की तरफ जा रही थी ...अधिकतर आदमी नशे में धुत होकर नाच रहे थे और उनके साथ औरते और बच्चे भी पूरा पूरा साथ दे रहे थे ...कपिल गुम सुम सा बारात के साथ ..चल रहा था..उसे शादी विवाह में इस तरह सडको पे नाचना पसंद ना था ....यदा कदा कोई कभी उसे खींच लेता तो वोह दिखावे के लिए थोडा बहुत मटक जाता ....ना जाने क्यों उसे सीने में कंही से रीना की निगाहे चुभती सी प्रतीत होती थी ...

कपिल की आँखे रीना को बारात में तलाश रही थी ...पर उसका कंही नामोनिशान ना था ....बारता दुलहन के घर पहुंची ...सब लोग अपने दोस्तों और परिवारों के साथ अपनी अपनी पसिंदा जगह पे बैठ गए ....कपिल उन सबके साथ होकर भी अकेला था ..क्योकि सब लोग पंजाबी बोलते थे ..उसे समझ तो आती थी पर पंजाबी ना बोल पाने की वजह से ..वोह अपने को कटा कटा सा महसूस करता ...वैसे भी वोह उस भीड़ में मुश्किल से इक दो लोगो के अलावा किसी को अच्छे से जानता तक ना था और वोह सब नशे में धुत पड़े थे ...कपिल अपने हाथ में कुछ नाश्ता के इक कोने में बैठ गया ....की ...

अचानक इक आवाज को सुन कपिल चोंका... उसने सर उठा कर देखा तो ..सामने रीना खड़ी थी .... रीना की आँखे कुछ सूजी सूजी सी थी लगता था वोह काफी देर तक रोती रही थी...

वोह उसके थोडा करीब आई और गुस्से में बोली ...मुझे आपसे यह उम्मीद ना थी .....की आप भी शराब पीते होंगे ...
सिगरेट तो पीते है और शराब भी बहुत अच्छे और ऐसा कह वोह वंहा से चली गई ...

उसके बाद कपिल को फिर रीना दिखाई नहीं दी ..उसका मन ना जाने क्यों दुःख और अवसाद से भर गया ..उसे समझ ना रहा था ..की उसका रीना से कैसा और किस तरह का रिश्ता जुड़ता जा रहा था ....

आज से पहले इतना अधिकार तो उसकी पंजाबी गर्लफ्रेंड ने भी ना दिखाया था ..उसे ना तो कभी भी कपिल के यदा कदा सिगरेट पीने से परेशानी थी.... ना ही कभी उसने कपिल के बियर पीने पे उसे टोका था ...बल्कि वोह तो उसका मजाक उड़ाती की ..उसे पीने की अकल ही नहीं है ...की कैसे पी जाती है ...क्युकी पंजाबी ही अच्छी तरह से पीना जानते है ...

बारात ने खाना खा लिया ...कुछ लोग फेरो के पास बैठ गए ...कपिल भी वंही बैठ  गया ....अब तक रीना का कंही अता पता ना था ...शादी के फेरे ख़त्म हो गए पर रात अभी अभी काफी बाकी थी ....दुलहन की विदाई सुबह की थी..... इसलिए सब लोग आराम करने धर्मशाला में चले गए ....

कपिल अपने कमरे में पहुंचा तो सब लोग सो चुके थे ...वोह भी जमींन पे बिछे गद्दे पर लेट गया ...अभी उसकी नींद लगी भी ना थी ..की उसके कानो में रीना और संजय के पिताजी की आवाज पड़ी ..संजय के पिता कह रहे थे ..अरे इसके ऊपर कोई कम्बल डाल दो यह तो सर्दी में ठिठुर रहा है ...फिर किसी ने उसके ऊपर कुछ डाला ..पर तब तक उसकी नींद उचट गई और वोह उठ कर बैठ गया ...उसने देखा रीना , संजय के पिता और वोह लड़का बैठे चाय पीते हुए आपस में कुछ गप्पे कर रहे थे ...की अचानक कपिल को उठा देख संजय के पिता बोले अरे तुम्हे तो बहुत सर्दी लग रही थी बाकी सब लड़के तो बेहोश पड़े है ...

कपिल ने अपनी आँखे मलते हुए कहा ...अंकलजी .. इन लोगो ने कई पेग लगाये है ..इसलिए इन्हें क्या सर्दी और क्या गर्मी ..मैं तो पीता नहीं इसलिए ...नींद आई नहीं और ऐसा कह उसने अपनी नजरे रीना पर गडा दी ....

कपिल की नजरो का अर्थ समझ...रीना अचानक अपने पास बैठ लड़के से बोली ...वीरजी ..क्या और चाय है ..इन्हें भी दे दे  और ऐसा कह वोह कपिल की तरफ धीमे से मुस्कुरा दी ..उसकी यह मुस्कान ..उस वक़्त की सर्दी में कपिल के लिए किसी गरमा गर्म चाय से कम ना थी ...कपिल ने मन ही मन ख़ुशी की हुंकार भरी ....तो यह इसका भाई है....

अगले दिन संजय अपनी दुलहन को विदा कराके घर ले आया ...घर पहुंचते पहुचते  दुपहर का बज गया ...रास्ते भर लड़के कपिल से ..उसकी और रीना की बाते पूछते ..पर कपिल के पास उनके टेढ़े मेढ़े सवालों का कोई जवाब ना था ..सबको यह लगता ..की संजय और कपिल इक साथ रहते है तो ..रीना का संजय के घर आना जाना होता रहता होगा और कपिल का रीना से कोई पुराना चक्कर है ...पर सच्चाई तो सिर्फ संजय , रीना और कपिल के सिवा किसी को पता ना थी ... 

घर पहुँच कपिल ने अपना थोडा सा सामान इक बेग में डाला और अपने घर (माँ बाप ) निकल पड़ा ...आज शनिवार का दिन था ...हर शनिवार को वोह अपने घर जाता और रविवार की शाम वापस आजाता था...

जाने अनजाने कपिल अपने पीछे कुछ अनकहे कसमे वादों और चाहतो को छोड़ आया ...उसे लगा शादी की गर्मी के साथ साथ यह बात भी ठंडी पड जायेगी ...पर उसे क्या मालूम था की गर्मी की तो अभी शुरुवात हुई भर थी ....कमश:


आगे की कहानी के लिए कृपा दूसरा भाग पढ़े ...... 



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